पाकिस्तान (Pakistan) और तालिबान (Taliban) की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. कभी सामने से तो कभी दरवाजे के पीछे से पाकिस्तान तालिबान का साथ देता आया है. अब जब तालिबान बंदूक के दम पर लोकतांत्रिक सत्ता को हटाकर अपनी सरकार का ऐलान करने जा रहा है तो पाकिस्तान के इंटेलिजेंस चीफ जनरल फैज हमीद (Faiz Hameed) काबुल पहुंच चुके हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई (ANI) ने एक पाकिस्तानी पत्रकार हमजा अजहर सलाम का हवाला देते हुए कहा कि
"हमीद तालिबान के न्योते पर दोनों देशों के आगे के संबंधों के बारे में बात करने अफगानिस्तान गए हैं."
अमेरिका और अफगानिस्तान की सरकारें अक्सर पालिस्तान पर आरोप लगाती हैं कि तालिबान नेताओं के पाकिस्तान में हेडक्वार्टर हैं और पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई (ISI) तालिबान से सीधे संपर्क में रहती है.
हालांकि पाकिस्तान तालिबान को किसी भी तरह की सैनिक सहायता देने के इन आरोपों को हमेशा से नकारता आया है.
भारत ने लगाए थे गंभीर आरोप
शुक्रवार 3 सितंबर को वाशिंगटन में पत्रकारों से बात करते हुए अमेरिकी विदेश सचिव हर्ष वी श्रींगला (Harsh V Shringla) ने भी पाकिस्तान पर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा
"पाकिस्तान ने तालिबान को हमेशा समर्थन दिया और उसका विकास किया है, जिसका नतीजा है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में चुनी हुई सत्ता को पलट दिया. पाकिस्तान, अफगानिस्तान का पड़ोसी है और ऐसे कई तत्व हैं जिनको वो समर्थन देता है. इसलिए इन संदर्भों में पाकिस्तान के रोल को देखना होगा."
दरअसल पाकिस्तान के तालिबान समर्थक होने का आरोप केवल अमेरिका ही नहीं लगाता था बल्कि हाल ही में यूनाइटेड नेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट में भी यह बात कही गई कि ISIL-K और अल-कायदा के सभी विदेशी सदस्य अफगानिस्तान में पाकिस्तान के रास्ते घुसे. इसके अलावा इन गुटों के नेता तालिबानी नेताओं के साथ पाकिस्तान में ही रहते हैं.
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