पाकिस्तान की लाहौर हाई कोर्ट ने हाफिज सईद की नजरबंदी बढ़ाने से इनकार कर दिया है. मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद अब ऑफिशियली कस्टडी से बाहर आ चुका है. इससे पहले अक्टूबर में कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार को आगाह किया था कि अगर वो हाफिज सईद के खिलाफ सबूत दाखिल नहीं करती है तो सईद की नजरबंदी रद्द कर दी जाएगी.
कोर्ट ने लगाई थी पाक सरकार को फटकार
कार्यवाही के दौरान पाक के गृह सचिव की गैर मौजूदगी से नाराज कोर्ट ने कहा था कि महज प्रेस क्लिपिंग की बुनियाद पर किसी नागरिक को लंबे वक्त तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता. न्यायाधीश सैयद मजहर अली अकबर नकवी ने कहा था, सरकार का बर्ताव दिखाता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है.
31 जनवरी से नजरबंद था हाफिज सईद
आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का सरगना सईद 31 जनवरी से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में नजरबंद है. इससे पहले दो बार सईद की कस्टडी को बढ़ाया गया था. बता दें कि पंजाब सरकार ने सईद और उसके चार करीबी सहयोगियों अब्दुल्ला उबैद, मलिक जफर इकबाल, अब्दुल रहमान आबिद और काजी आसिफ हुसैन को आतंकवाद रोधी कानून 1997 के तहत हिरासत में लिया था. खबरें थी कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान पर इस कार्रवाई के लिए दबाव बना था.
मुंबई अटैक का मास्टरमाइंड है सईद
हाफिज सईद ने 2008 में हुए मुंबई हमले की जिम्मेदारी ली थी. सईद लश्कर-ए-तैयबा संगठन का सरगना है. इस संगठन की शुरुआत अफगानिस्तान के कुन्नार में साल 1987 में हुई थी. लश्कर के अलावा हाफिज सईद ने जमात-उद-दावा की शुरुआत भी की. साल 2008 में मुंबई आतंकी हमलों के बाद हाफिज सईद ने जमात-उद-दावा की शुरुआत की थी.
इस संगठन को हाफिज और पाक दोनों ही चैरिटेबल ट्रस्ट बताते हैं. जबकि अमेरिका और यूएन ने इसे बैन किया हुआ है. 5 दिसंबर 2001 में अमेरिका ने इसे अपनी आतंकी लिस्ट में शामिल किया था. 26 दिसंबर 2001 को अमेरिका ने इसे एफटीओ यानी फॉरेन टेररिस्ट संगठन करार दिया
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