ADVERTISEMENTREMOVE AD

Pakistan Blast: "पुलिस की वर्दी में आया था हमलावर, इसलिए सुरक्षा जांच नहीं हुई"

Pakistan Blast:अधिकारी इस संभावना की भी जांच कर रहे हैं कि परिसर के अंदर के लोगों ने हमले करने में कैसे मदद की.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

पाकिस्तान (Pakistan) में सोमवार 30 जनवरी को पेशावर के उत्तर-पश्चिम शहर में सैंकड़ों पुलिसकर्मी दोपहर की नमाज में शामिल हो रहे थे, तभी विस्फोट हो गया, जिससे एक दीवार गिर गई और कई अधिकारी कुचल गए.

यह एक आत्मघाती हमला था अब इस हमले को लेकर नई जानकारी सामने आई है. सुरक्षा में चूक कहां हुई, इसकी जानकारी दी गई है. एक पुलिस प्रमुख ने बताया कि पाकिस्तान में मस्जिद के अंदर 101 लोगों की हत्या करने वाले आत्मघाती हमलावर ने हमला करने के समय वर्दी और हेलमेट पहन रखा था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बीते कुछ सालों में पाकिस्तान का सबसे घातक हमला 

खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पुलिस बल के प्रमुख मोअज्जम जाह अंसारी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "ड्यूटी पर मौजूद लोगों ने उसकी जांच इसलिए नहीं की क्योंकि वह पुलिस की वर्दी में था. यह सुरक्षा में चूक थी."

सीसीटीवी फुटेज मिलाने के बाद पुलिस को इस बारे में "उचित जानकारी" है कि हमलावर कौन था

मोअज्जम जाह अंसारी ने यह समझाते हुए कि हमलावर ने अकेले हमले की योजना नहीं बनाई थी, कहा कि , "उसके पीछे एक पूरा नेटवर्क है."

अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि शहर के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में जिसमें खुफिया और आतंकवाद विरोधी ब्यूरो हैं और क्षेत्रीय सचिवालय के बगल में है. वहां इतना बड़ा उल्लंघन कैसे हो सकता है.

यह कई वर्षों में पाकिस्तान का सबसे घातक हमला है और 2021 में काबुल में अफगान तालिबान के अधिग्रहण के बाद इस क्षेत्र में हिंसा शुरू होने के बाद से सबसे खराब हमला है.

अधिकारी इस संभावना की भी जांच कर रहे हैं कि परिसर के अंदर के लोगों ने हमले करने में कैसे मदद की. शहर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बुधवार को नाम न छापने की शर्त पर न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया.

उन्होंने एएफपी को बताया, "हमने पुलिस लाइन (मुख्यालय) से लोगों को इस बात की तह तक जाने के लिए हिरासत में लिया है कि विस्फोटक सामग्री कैसे पहुंची और इसकी जांच के लिए कि क्या कोई पुलिस अधिकारी भी हमले में शामिल था."

पुलिस अधिकारी ने कहा कि कम से कम 23 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें कुछ पूर्व कबायली इलाकों से भी शामिल हैं, जो अफगानिस्तान की सीमा से लगते हैं.

विश्लेषकों का कहना है कि अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो सैनिकों के हटने और तालिबान के काबुल में घुसने के बाद से आतंकवादियों के हौसले बुलंद हो गए हैं. इस्लामाबाद ने उन पर अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने में विफल रहने का आरोप लगाया है.

तब से सुरक्षा बल निम्न-स्तरीय हमलों में बढ़ोत्तरी का टारगेट बन गए हैं.

हमलों का दावा ज्यादातर टीटीपी के साथ-साथ आईएसआईएस के स्थानीय संगठन द्वारा किया जाता है.

टीटीपी ने खुद को पेशावर मस्जिद विस्फोट से यह कहते हुए अलग कर लिया है कि अब वह पूजा स्थलों पर हमला नहीं करते हैं.

हालांकि, पुलिस ने कहा कि अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या इन हमलों के लिए ग्रुप का कोई सामयिक सहयोगी जिम्मेदार था.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×