जब पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन संकट (Russia Ukraine crisis) के बीच युद्ध की आशंका जता रही है और अमेरिका सहित पश्चिमी शक्तियां मॉस्को पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रही हैं- पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan PM Imran Khan) दो दिवसीय रूस दौरे पर मॉस्को पहुंच चुके हैं.
इमरान खान और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच गुरुवार, 24 फरवरी को मुलाकात होगी. शीर्ष पाकिस्तानी अधिकारियों ने इमरान खान के इस दौरे को ऊर्जा क्षेत्र और क्षेत्रीय संपर्क में रूस के साथ आगे बढ़ने का अवसर करार दिया है लेकिन इस दौरे की टाइमिंग अपने आप में कई सवालों को खड़ा करती है.
एक बड़ा सवाल है कि कभी अमेरिका के पाले में रहने वाला पाकिस्तान क्या आज रूस-चीन-पाकिस्तान धूरी का हिस्सा बन गया है? भारत-रूस और पाकिस्तान-अमेरिका का गठजोड़ आज एकदम बदले स्वरूप में क्यों दिख रहा?
23 साल बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का आधिकारिक रूस दौरा, लेकिन टाइमिंग अपने आप में सवाल है
रूस का दौरा करने वाले अंतिम पाकिस्तानी नेता 2011 में पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी थे लेकिन यह दौरा आधिकारिक नहीं था. इससे पहले पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने मार्च 1999 में रूस का आखिरी आधिकारिक दौरा किया था.
भले ही प्रधान मंत्री इमरान खान की सरकार ने रूस दौरे की टाइमिंग और इसके कारण पश्चिम देशों के साथ अमेरिका के संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव को ज्यादा तरजीह न देने को कहा है- कई विश्लेषकों का भी मानना है कि यह एक दोधारी तलवार है और बिना कुछ कहे भी यह दौरा पाकिस्तान को रूसी मोर्चे का हिस्सा बना देता है.
वैसे ध्यान देने लायक बात यह भी है कि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते सामरिक संबंधो के बीच पाकिस्तान शायद ही इस नैरेटिव को अपने लिए खराब माने.
यूक्रेन संकट के बीच रूस दौरे पर क्या कह रहा पाकिस्तान
इमरान खान के विशेष सहायक डॉ. शाहबाज गिल उनकी यात्रा से पहले मास्को पहुंच गए थे. डॉ. गिल ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि पाकिस्तान मुख्य रूप से ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति करने की ओर देख रहा है.
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद युसूफ ने डॉन न्यूज टीवी से बात करते हुए इमरान खान के दौरे की टाइमिंग पर उठ रहे सवाल को कमतर बताया.
"हां, एक वैश्विक तनाव है लेकिन हमारी यात्रा द्विपक्षीय प्रकृति की है, और इसी तरह का रास्ता हाल ही में चीन की यात्रा के दौरान अपनाया गया था. अर्थव्यवस्था, आर्थिक इंडिकेटर और कनेक्टिविटी उस दौरे के भी केंद्र में थे."मोईद युसूफ, पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
बढ़ते रूस-यूक्रेन संकट पर पाकिस्तान के रुख के बारे में पूछे जाने पर पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि रूस और पूरी दुनिया के लिए संदेश यह है कि यह जीरो-सम गेम (एक का घाटा ही दूसरे का फायदा) नहीं है”
मोईद युसूफ ने आगे यह भी कहा कि प्रधान मंत्री बनने से पहले ही इमरान का हमेशा यह विचार था कि सैन्य कार्रवाई से संघर्षों को हल नहीं किया जा सकता है, खासकर अफगानिस्तान के संबंध में.
रूस से बढ़ रही पाकिस्तान की यारी, आखिर क्यों?
कभी अमेरिका के पाले में रहने वाले पाकिस्तान को अब पड़ोस में रूस और चीन जैसे दो बड़े ‘दोस्त’ मिल गए हैं. पिछले कुछ वर्षों में मॉस्को और इस्लामाबाद के बीच संबंधों में बहुत सुधार हुआ है और वरिष्ठ आधिकारिक स्तर पर द्विपक्षीय बातचीत बढ़ रही है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने लगभग नौ साल बाद पिछले साल अप्रैल में इस्लामाबाद का दौरा किया था.
व्यापार और आर्थिक संबंधों में मजबूती के अलावा दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग में वृद्धि हुई है. दोनों ने 2016 से नियमित रूप से संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है और 2018 में जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने रूस का दौरा किया, तो उन्होंने एक संयुक्त सैन्य आयोग का गठन भी किया.
काफी हद तक रूस के साथ यह मधुर संबंध पाकिस्तान के अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों का परिणाम भी रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2021 की शुरुआत में पद संभालने के बाद से पीएम इमरान को एक बार भी फोन नहीं किया है जबकि पुतिन ने अगस्त 2021 से अबतक 3 बार फोन पर बातचीत की है.
अमेरिका से इस तनावपूर्ण संबंधों ने पाकिस्तान को चीन और रूस के साथ सामरिक संबंधों में सुधार के लिए प्रेरित किया है. साथ ही बीजिंग और मॉस्को के साथ अमेरिकी नीति की बढ़ती टकराव और भारत के साथ बढ़ती नजदीकी ने इन दोनों शक्तियों को भी भारतीय उपमहाद्वीप में पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया.
पाकिस्तान तटस्थता (न्यूट्रल) पर चाहे जितना जोर दे, लेकिन हाल के वैश्विक घटनाक्रम, जिसमें अमेरिकी सैनिकों के जाने के बाद अफगान स्थिति भी शामिल है, ने पाकिस्तान को बीजिंग-मास्को धूरी के करीब ला दिया है.
भारत के लिए इमरान खान के दौरे में क्या है?
भारत रूस-यूक्रेन संकट के बीच इमरान खान के मॉस्को दौरे का माइलेज अमेरिका को यह जताकर ले सकता था कि रूस का दोस्त पाकिस्तान है तो आप हमें अपना दोस्त समझिए.
लेकिन जब खुद भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक बार भी रूस का नाम लेकर उसके फैसलों को गलत नहीं कहा, तब भारत पाकिस्तान के इस दौरे की आलोचना करने की स्थिति में नहीं है.
कई विशेषज्ञों का मानना है कि डिप्लोमेसी में इस हद की तटस्थता भारत को पश्चिमी शक्तियों से दूर ले जाएंगी. उनका कहना है कि रूस और अमेरिका दोनों के साथ संबंधों में सुधार का स्वागत किया जाना चाहिए, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि संतुलन का अर्थ कोई स्टैंड न लेने को न मान लिया जाए.
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