पाकिस्तान में जारी राजनैतिक संकट आखिरकार खत्म हो गया. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद में बहुमत हासिल कर लिया है. विश्वास मत प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में इमरान खान सरकार के पक्ष में 178 वोट पड़े.
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में शनिवार को विश्वास मत प्रस्ताव पर हुई वोटिंग का विपक्ष ने बहिष्कार कर दिया. बहुमत के लिए 171 वोट की जरूरत के मुकाबले इमरान सरकार को 178 वोट मिले.
इमरान खान को क्यों पड़ी बहुमत साबित करने की जरुरत?
पाकिस्तान में सीनेट चुनाव में इमरान खान सरकार में मंत्री रहे हफीज शेख विपक्ष के उम्मीदवार युसुफ रजा गिलानी से हार गए थे. जिसके बाद सरकार के इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी. विपक्ष की मांग को लेकर इमरान खान सरकार ने विश्वास मत साबित करने का ऐलान किया.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी बहुमत साबित करने के लिए शनिवार को दोपहर 12.15 बजे सत्र बुलाया, हालांकि विपक्ष ने सत्र का बहिष्कार कर दिया.
नेशनल असेंबली के बाहर विपक्ष का प्रदर्शन
इमरान खान सरकार के खिलाफ विपक्ष के नेता मीडिया को संबोधित कर रहे थे. इसी दौरान इमरान खान के समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी. इसके बाद विपक्ष और सरकार समर्थकों के बीच झड़प हो गई.
वहीं विश्वास मत प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने सांसदों से कहा था कि वो पार्टी लाइन के साथ चलें. इमरान का कहना था कि जो भी फैसला आए, उसका सम्मान किया जाए.
इमरान खान को लगातार मिल रही है चुनौती
इमरान खान 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे. सत्ता संभालने के बाद से ही उन्हें विपक्ष से लगातार चुनौतियां मिल रही हैं. चुनाव में धांधली से लेकर देश की अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष इमरान खान के नेतृत्व पर सवाल उठाता आया है.
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