ADVERTISEMENTREMOVE AD

'साजिश की थ्योरी, जिन्न, एक औरत और इमरान', पाकिस्तान में आखिर चल क्या रहा है?

पाकिस्तान के हुक्मरानों के मन में असल में कुछ और ही है और वो सब इसमें हमबिस्तर हैं.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

जरा सोचिए...यूक्रेन-रूस संकट (Ukraine-Russia Crisis) के बीच वाशिंगटन दुनिया के एक महत्वपूर्ण देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने की साजिश कर रहा है. ऐसा तख्तापलट जिसमें संसद के 174 सदस्यों को खरीदने के लिए अरबों रुपए खर्च किए गए. जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, उसी दिन इमरान के मॉस्को यात्रा का मजा चखाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के “कितना बढ़िया समय, हाई जोश’ वाले बयान ने व्हाइट हाउस को चिंतित कर दिया जबकि मॉस्को से इमरान इस्लामाबाद खाली हाथ ही वापस आए थे. बाइडेन और अमेरिकी सरकार कई रातों से इस खतरे को लेकर सो नहीं पाई थे और इसके खात्मे की प्लानिंग में जुटी हुई थी. आखिर में उन्होंने घातक हथियारों का सहारा लिया और वो थी राजदूतों की रूटीन रिपोर्ट. इसमें मौजूदा हालात पर उन्होंने अपना नजरिया बताया था.

जब इमरान ने अंतिम सच का खुलासा किया

क्रिकेट के अपने शानदार दिनों में जैसे वो बल्ला थामते थे, उसी अंदाज में चिट्ठी को लहराते हुए वो टीवी मीडिया के सामने आए और अंकल सैम को भला बुरा कहा. बहुत गर्व के साथ उन्होंने बताया कि सच सामने आएगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अल्लाह का अपना देश है और वो अपने जिन्न से इसकी रक्षा करवाते हैं. ये जिन्न उनकी पत्नी अपने साथ रखती हैं. फिर चट्टान से तलवार निकाली जाती है और आसमान में झंडा लहराने लगता है. मतलब यह कि नेशनल असेंबली स्पीकर को डरा धमकाकर अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कराकर विदेशी साजिश की बात मनवा लेते हैं. साथ ही राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को मना लेते हैं कि वो संसद भंग कर दें.

फिर से चुनाव जल्दी कराए जाएंगे. पब्लिक के चैंपियन, युवाओं का राजकुमार, मानव अधिकारों का हीरो, क्रांतिकारी विदेश नीति के मास्टरमाइंड जिनकी छाप सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर है और फिर से लोकतांत्रिक तरीके से उन्हें पाकिस्तानी जनता चुनेगी.
0

मतलब: आर्मी उन्हें एक बार फिर से देश में शासन चलाने देगी क्योंकि उन्हें आर्मी ने बता और दिखा दिया है कि कठपुतली की क्या भूमिका और हैसियत होती है . जैसा कि कई लोग कहते हैं- जब आप किसी के अहंकार को खत्म कर चुके होते हैं तो उसे अपनी मर्जी से हांकना आसान हो जाता है और किसी नए शख्स को मनमर्जी से चलाना थोड़ा मुश्किल होता है.

अगर जो गपशप चल रही है, उस पर यकीन करें तो एक और दूसरा तलाक होने वाला है। पर्दे के पीछे से पाकिस्तान पर शासन करने वाली, जिनके कहने पर इमरान आत्मघाती नीतियां अपनाते रहते हैं, उन्होंने इमरान से कहा है कि चुनाव वो अब तब ही जीतेंगे जब वो उनसे शादी कर लेंगे. उसने इमरान को कहा कि वो ISI के डायरेक्टर जनरल फैज हमीद की जगह पर जनरल नदीम अंजुम को नहीं लाएं. इमरान को ये ख्याल बहुत पसंद आया है.

जैसे बादशाह कॉन्सटैंटाइन ने आसमान में एक क्रॉस देखा था जिस पर लिखा था आप इस निशान के साथ जीतेंगे, पर्दे के पीछे रहने वाली ने कैप्टन इमरान को बताया कि आपका शासन फैज के बिना खत्म हो जाएगा. इसलिए पाकिस्तान में मैरी शेली की फिल्म Frankenstein का नया वर्जन यहां खेला जा रहा है. क्रिएटर के खिलाफ बगावत हो जाती है और संसद में अविश्वास प्रस्ताव का ड्रामा होता है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

काला जादू और पर्दे की पीछे की शक्ति

लेकिन ऐसा हालात के लिए ही मशहूर इटालियन व्यंग्य लेखक एनिनो फ्लैइनो ने लिखा था कि ‘दयनीय हालत लेकिन गंभीर नहीं’. पाकिस्तान के लिए फिलहाल कुछ कुछ हाल वैसा ही है. निश्चित ही किसी पाकिस्तानी को अब ये सबूत नहीं चाहिए कि लोकतांत्रिक संस्थाएं पाकिस्तान में मजाक हैं. लोकतंत्र के नाम पर उसका सिर्फ गुबार बनाया गया है जिसकी आड़ में असली शासक अपना शासन चलाते हैं. पाकिस्तानी संसद में जो कुछ हुआ वो जनता की इच्छा और लोकतंत्र की सेहत का परिचायक नहीं है बल्कि उसकी कमी को दिखाती है. असल बात ये है कि देश के बड़े हिस्से को समझाया जा सकता है कि संसद को विदेशी ताकत खरीद सकती है. इससे ये भी पता चलता कि पाकिस्तान में किस तरह का पॉलिटिकल क्लास है और कैसे यहां का पूरा सिस्टम सड़ चुका है।

अभी इस फिक्शन में जो कुछ डेवलप किया जा रहा है वो कुछ भी जमीनी तौर पर है नहीं. ना ही पर्दे के पीछे कोई ताकत है, ना ही काला जादू और ना ही सनकी अहंकारी जो पाकिस्तान में लोकतंत्र को खत्म करना चाहता है. असल में देश में दूर दूर तक कुछ वैसा है ही नहीं जिसे कानून का शासन कहा जा सके. जो कुछ भी है वो एक खराब प्लॉट की तरह है जिसे किसी सनकी पटकथा लेखक ने लिखा है.

जिन्नों को फिर अपने वश में किया जाएगा. परदे के पीछे से ज्यादा फैसले होंगे. अमेरिका सब कुछ हासिल कर लेगा जो वो चाहता है, ये सब क्रूर मजाक है. असली हुक्मरानों के मन में कुछ और ही है और वो सब इसमें हमबिस्तर हैं. सबसे अधिक संभावना इस बात की है कि एक बार जोर का धक्का देने के बाद फिर गुलाम अपने मालिक की गोद में लाए जाएंगे और तमाशा ऐसे ही चलता रहेगा।

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×