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UN में पाकिस्तान ने फिर उठाया कश्मीर का मुद्दा, भारत ने दिया करारा जवाब

United Nations | संयुक्त राष्ट्र महासभा का 78वां सत्र न्यूयॉर्क में चल रहा है.

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संयुक्त राष्ट्र (United Nation) महासभा का 78वां सत्र न्यूयॉर्क में चल रहा है. इस बीच, शुक्रवार, 22 सितंबर को पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर-उल हक काकर ने एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा यूएन में उठाया.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे में सबसे लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों में से एक है. उन्होंने भारत का जम्मू-कश्मीर पर "अवैध कब्जा" बताया. इस पर भारत ने शनिवार (23 सितंबर) को पलटवार करते हुए कड़े शब्दों में अपना जवाब दिया.

आइए देखते हैं कि पाकिस्तान ने इस बार संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर को लेकर क्या कहा और भारत ने इसपर क्या जवाब दिया?

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पाकिस्तान ने कश्मीर पर क्या कहा?

पाकिस्तान में चुनाव से पहले संसद भंग हो गई है और इस वक्त कोई चुना हुआ प्रधानमंत्री नहीं है, इस स्थिती में कार्यवाहक प्रधानमंत्री ही कुर्सी संभालते हैं. फिल्हाल कार्यवाहक पीएम अनवर-उल हक काकर हैं. इन्होंने ही UN में कश्मीर का मुद्दा उठाया.

संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने भाषण में काकर ने कहा, "पाकिस्तान भारत सहित सभी पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण और उत्पादक संबंधों की इच्छा रखता है." इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कश्मीर पाकिस्तान और भारत के बीच शांति की कुंजी है.

काकर यहीं नहीं रुके. उन्होंने फिर एक बार 'जनमत संग्रह' और 'अवैध कब्जे' जैसी बातें कह डालीं. उन्होंने कहा, "भारत ने सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने से परहेज किया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के अंतिम स्वरूप का फैसला संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह के माध्यम से वहां के लोगों द्वारा करने का आह्वान किया गया है. अगस्त 2019 से, भारत ने अवैध रूप से कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में अंतिम समाधान लागू करने के लिए 900,000 सैनिकों को तैनात किया है"

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भारत ने क्या जवाब दिया?

भारत ने पाकिस्तान के भाषण पर 'जवाब देने के अधिकार' का प्रयोग करते हुए अपनी बात एक बार फिर सामने रख दी है.

संयुक्त राष्ट्र में UNGA की दूसरी समिति के लिए प्रथम सचिव पेटल गेहलोत ने भारत की तरफ से जवाब दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को कब्जे वाले भारतीय इलाकों को खाली करना चाहिए और क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद को रोकना चाहिए. भारत ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे मानवाधिकारों का मुद्दा भी उठाया.

दक्षिण एशिया में शांति के लिए पाकिस्तान को तीन जरूरी कदम उठाने की जरूरत है. पहला, क्रॉस बॉर्डर आतंकवाद पर रोक लगाएं और आतंकवाद के ढ़ांचे को खत्म करें. दूसरा, अपने अवैध कब्जे से भारत की जमीन को मुक्त करें और तीसरा, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे गंभीर मानवाधिकार हनन पर रोक लगाएं.
पेटल गेहलोत

भारतीय राजनयिक ने इस बात पर जोर देकर कहा कि जम्म-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं और इससे जुड़े मुद्दे पूरी तरह से भारत के आंतरिक हैं.

पेटल गहलोत ने आगे कहा, "पाकिस्तान को हमारे आंतरिक मुद्दों में बोलने का कोई हक नहीं है. मानवाधिकारों को लेकर सबसे खराब स्थिती वाले देश के रूप में, खासकर जब महिलाओं और अल्पसंख्यकों की बात आती है, तो पाकिस्तान को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर सवाल उठाने से पहले अपना घर ठीक करने की जरूरत है."

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अपने जवाब में गहलोत ने कहा, "जब इस मंच का प्रयोग करके भारत के खिलाफ आधारहीन और प्रोपेगैंडा भरी बातें रखने का मसला आता है तो पाकिस्तान की ये आदत हो गई है. संयुक्त राष्ट्र के देश और बहुसंख्यक संगठन भी जानते हैं कि पाकिस्तान ऐसा इसलिए करता है, ताकि अपने देश में मानवाधिकारों की खराब स्थिती से ध्यान भटका सके."

इसके अलावा भारत ने 2011 में मुंबई आतंकी हमले के गुनहगारों को सजा देने की मांग की. भारत ने कहा कि पाकिस्तान आतंक के सबसे बड़े संरक्षक देश के रूप में जाना जाता है. पेटल गहलोत ने पाकिस्तान में ईसाईयों और अहमदिया समुदायों की स्थिति का जिक्र किया. उन्होंने जरनवाला हमले का भी जिक्र किया, जिसमें इसाइयों के घरों और चर्च को जला दिया गया था.

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