डोकलाम विवाद के बाद भारत-चीन के बीच सीमावार्ता (बॉर्डर टाक) फिर चालू हो गई है. बीजिंग में वापस शुरू इस वार्ता अगस्त में रोक दी गई थी.
शुक्रवार को शुरू हुई बातचीत को चीन में भारतीय एम्बेसी ने सकारात्मक बताया है. एक स्टेटमेंट में एम्बेसी ने कहा,
वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स (WMCC) के तहत हुई बातचीत रचनात्मक रही. भारत की कोशिश चाइनीज सैनिकों को विवादित डोकलाम में दोबारा निर्माण न करने देने की है. दोनों देशों के प्रतिनिधि.प्रणय वर्मा (ज्वाइंट सेक्रेट्री, ईस्ट एशिया) और शियो कियान (डॉयरेक्टर जनरल, डिपार्टमेंट ऑफि एशियन अफेयर्स, चीन) ने सीमा पर सभी क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की. दोनों ने इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देशों के आपसी संबंधों में विकास के लिए सीमा पर शांति जरूरी है.स्टेटमेंट
दोनों प्रतिनिधियों ने विश्वास बढ़ाने वाले कदमों और सैन्य सहयोग पर भी चर्चा की.
क्या है इंडिया-चाइना बॉर्डर पर WMCC बातचीत
WMCC का मुख्य उद्देश्य सीमा पर शांति बनाए रखना होता है. यह सैनिकों के बीच पैदा होने वाले तनाव को कम करने और दोनों देशों के सुरक्षाबलों के बीच सहयोग बढ़ाने का मैकेनिज्म है.
यह WMCC वार्ताओं का दसवां दौर है. इनकी शुरूआत 2012 में हुई थी. इस मीटिंग के बाद अगले महीने से दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा वार्ता शुरू हो जाएगी.
यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब अगले महीने चीनी विदेश मंत्री भारत आने वाले हैं. नई दिल्ली में अगले महीने विदेश मंत्री वांग यी, रुस भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मीटिंग में शामिल होने आएंगे.
डोकलाम विवाद के बीच रोकी गई थी WMCC
अगस्त में डोकलाम विवाद के बीच WMCC वार्ता रोक दी गई थी. डोकलाम विवाद चीन द्वारा भूटान के डोकलाम इलाके में सड़क बनाने से शुरू हुआ था.
भूटान की मांग पर भारत ने हस्तक्षेप करते हुए रोड कंस्ट्रक्शन को रुकवा दिया था. इसके बाद दोनों ने क्षेत्र में सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ा दी थी. करीब 73 दिन चली इस तनातनी का खात्मा प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा से पहले हुआ था.
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