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ईरान-अमेरिका तनाव: क्या हम ‘थर्ड वर्ल्ड वॉर’ की तरफ बढ़ रहे हैं?

अमेरिकी हमले में ईरान के टॉप के जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी 

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

अमेरिकी हमले में ईरान के टॉप के जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई. जवाब में ईरान ने इराक में अमेरिकी एयरबेस पर हमला किया और दावा किया कि 80 लोग मारे गए. अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप कह चुके हैं अगर सुलेमानी की मौत पर ईरान ने जवाबी कार्रवाई की तो उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी.  ईरान ने दुबई और इजरायल पर हमला करने की भी चेतावनी दी है. इजरायल ने कहा है कि अगर इजरायल की जमीन पर हमला हुआ तो अच्छा नहीं होगा. ब्रिटेन ने ईरान को संयम बरतने के लिए कहा है.

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इन तमाम डेवलपमेंट्स को देखते हुए मन में सवाल उठता है कि क्या दुनिया थर्ड वर्ल्ड वॉर की तरफ बढ़ रही है? क्योंकि कुछ खबरिया चैनल तो ऐसे ही सवाल पूछ-पूछ कर डरा रहे हैं.. और अगर ऐसा हुआ तो भारत पर क्या असर पड़ेगा? और ये युद्ध न हो इसमें भारत की क्या भूमिका हो सकती है? लेकिन अब तक हम जो जानते हैं उसके आधार पर किस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है?

अमेरिकी एयरबेस पर हमले के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने कहा है कि ये अमेरिका के मुंह ईरान का करारा तमाचा है. लेकिन ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि सुलेमानी की हत्या के बदले में हमारी कार्रवाई उचित है. लेकिन हम युद्ध नहीं चाहते. ईरान का ये बयान बहुत अहम है. क्योंकि रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की कुद्स फोर्स के चीफ सुलेमानी की मौत पर ईरान में जबरदस्त गुस्सा है. कितना गुस्सा है ये इससे समझिए कि उनके जनाजे में 10 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे. लिहाजा ईरान के लिए चुप बैठना जनभावना के लिहाज से संभव नहीं था. तो उसे अमेरिका को जवाब देना ही था.

ईरान के हमले में कोई इराकी या अमेरिकी हताहत नहीं: ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा है कि ईरान के हमले में कोई इराकी या अमेरिकी हताहत नहीं हुआ है. क्योंकि जिन दो जगहों पर ईरान ने हमला किया वहां सैनिक तैनात ही नहीं थे. तो क्या ईरान ने जानबूझकर ऐसी लोकेशन को निशाना बनाया, जहां अमेरिकी सैनिक नहीं थे? क्या ईरान अपनी जनता को शांत करने के साथ-साथ ये भी कोशिश कर रहा है कि अमेरिका और नाराज न हो जाए. इस सवाल को आप ईरान के विदेश मंत्री के बयान से जोड़ कर देखिए.

अब आप ईरान के हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के  बयान को याद कीजिए ट्रंप ने कहा- ऑल इज वेल. सो फॉर सो गुड...यानी सब ठीक है. ये ट्रंप के स्वभाव के उलट है. ट्रंप ऐसा क्यों कह रहे हैं, खासकर तब जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं? शायद उन्हें पता है कि ईरान के हमले में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है? इसलिए बदले की एक और कार्रवाई की जरूरत नहीं है. हालांकि ट्रंप कह चुके हैं कि अगर ईरान ने सुलेमानी की मौत का बदला लिया तो अच्छा नहीं होगा...लेकिन ट्रंप ऐसी धमकियों से कई बार पीछे हट चुके हैं...नॉर्थ कोरिया को याद कर लीजिए. वैसे ट्रंप क्या करेंगे ये वो खुद भी नहीं जानते, तो हम पक्के तौर पर उनके अगले कदम के बारे में कुछ कह नहीं सकते.

ये भी समझने वाली बात है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के प्रतिबंधों के कारण ईरान की आर्थिक हालत पहले ही खराब है. इस वक्त ईरान एक फुल स्केल युद्ध को जारी करने और उसे सस्टेन करने में सक्षम नहीं है.

आज की दुनिया की एक सच्चाई ये भी है कि अब पारंपरिक युद्ध का समय खत्म हो चुका है. परोक्ष युद्ध का जमाना है. आर्थिक प्रतिबंध लगाना आज की पहली रणनीति होती है.

अमेरिका-ईरान तनाव का भारत पर असर

अब बात भारत की. गौर करने वाली बात है कि भारत में ईरान के राजदूत डॉ अली चेगेनी ने कहा है कि ईरान युद्ध नहीं चाहता है. चेगेनी ने ये भी कहा कि तनाव कम करने के लिए अगर भारत मध्यस्थता करता है तो ईरान इसका स्वागत करेगा. ईरान का भारत की मध्यस्थता की बात कहना अहम है क्योंकि भारत के इस वक्त अमेरिका और ईरान दोनों से अच्छे संबंध हैं. भारत भी ऐसा नहीं चाहेगा कि अमेरिका और ईरान में युद्ध हो. पहले से ही बढ़ते तनाव के कारण क्रूड ऑइल की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं. अगर ये जारी रहा तो मंदी की मार झेल रहे हिंदुस्तान के और पसीने छूटेंगे. युद्ध हुआ तो चाबहार पोर्ट को लेकर भारत की महत्वाकांक्षी योजनाओं की बात भी भूल जाइए.

इन तमाम बातों को ध्यान में रखकर हम ये कह सकते हैं ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव बढ़ते-बढ़ते थर्ड वर्ल्ड वॉर में तबदील हो जाएगा, इसकी आशंका कम है. दुनिया और मानवता एक और युद्ध को झेलने की हालत में नहीं.

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