कतर (Qatar) ने अपने हिरासत में रखे भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई है. इस मामले में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि, "हम पूरा फैसला आने का इंतजार कर रहे हैं, और मामले को करीब से देख रहे हैं."
ये 8 लोग भारतीय नौसेना के पूर्व कर्मचारी हैं, जिन्हें पिछले साल अगस्त में कतर के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था, जिन्हें अब मौत की सजा सुनाई गई है.
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, विदेश मंत्रालय ने 26 अक्टूबर को फैसले पर आश्चर्य जताते हुए कहा कहा कि, "भारत इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष उठाएगा."
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उनके मुकदमे की पहली सुनवाई 29 मार्च को हुई थी. लेकिन नौसेना के पूर्व कर्मचारियों के खिलाफ आरोपों के बारे में अटकलें लगने के बावजूद, पूर्व कर्मचारियों के परिवार वालों में से एक सूत्र ने कहा कि उन्हें कतर के अधिकारियों द्वारा उन औपचारिक आरोपों के बारे में सूचित नहीं किया गया है जिनके तहत मुकदमा चलाया जा रहा है.
इन पूर्व नौसेना अधिकारियों पर चला था मुकदमा:
कैप्टन नवतेज सिंह गिल
कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा
कैप्टन सौरभ वशिष्ठ
कमांडर अमित नागपाल
कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी
कमांडर सुगुनाकर पकाला
कमांडर संजीव गुप्ता
नाविक रागेश
हिरासत में लिए गए आठ भारतीयों में कंपनी के प्रबंध निदेशक कमांडर पूर्णेंदु तिवारी (सेवानिवृत्त) भी शामिल हैं. उन्हें 2019 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था.
जासूसी का आरोप?
बता दें कि अभी तक कतर की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, ना ही इस तरह की कोई जानकारी है कि उन्हें किस मामले में गिरफ्तार किया गया है.
भारतीय नौसेना के ये पूर्व अधिकारी कतर की एक कंपनी 'अल-जाहिरा अल-आलमी कंसल्टेंसी एंड सर्विसेज' के लिए काम करते हैं. यह कंपनी कतर की नौसेना को प्रशिक्षण और सामान मुहैया कराती है.
फिलहाल कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन मीडिया रिपोर्ट की माने तो कतर की नौसेना को प्रशिक्षण और सामान मुहैया कराने वाली 'अल-जाहिरा अल-आलमी कंसल्टेंसी एंड सर्विसेज' ओमान की कंपनी है, वहीं इन 8 भारतीयों पर जासूसी का आरोप लगाया गया है.
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