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सऊदी से तनाव के बीच कतर का ‘ओपेक’ से बाहर निकलने का ऐलान

जानिए ओपेक से कतर केे बाहर निकलने से कच्चे तेल के दामों पर क्या प्रभाव पड़ेगा

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कतर ने गैस उत्पादन पर ज्‍यादा फोकस करने और सऊदी अरब के साथ जारी तनाव के बीच उसके दबदबे को कम करने के लिए कच्चा तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक से बाहर निकलने का फैसला किया है.

कतर के ऊर्जा मंत्री साद शरीदा अल-काबी ने सोमवार को इसकी घोषणा की.

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कतर की इस अचानक घोषणा से ओपेक की भूमिका फिर से संदेह के घेरे में आ गई है. यह पहला मौका है, जब 1960 में ओपेक के गठन के बाद किसी पश्चिमी एशियाई देश ने इससे बाहर निकलने का निर्णय किया है.

अल-काबी ने कहा, ‘‘कतर ने ओपेक की सदस्यता छोड़ने का निर्णय किया है, जो जनवरी 2019 से प्रभावी होगा.''

अल-काबी ने कहा कि कतर आगे भी कच्चा तेल का उत्पादन जारी रखेगा, लेकिन वह गैस उत्पादन पर अधिक ध्यान देने वाला है, क्योंकि वह दुनिया में लिक्‍विड नेचुरल गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है.

उन्होंने कहा कि कतर की योजना लिक्‍विड नेचुरल गैस का उत्पादन अभी के 7.7 करोड़ टन सालाना से बढ़ाकर 11 करोड़ टन सालाना करने की है.

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कतर के ऊर्जा मंत्री बताया कि कतर की योजना कच्चा तेल उत्पादन को भी 78 लाख बैरल प्रतिदिन से बढ़ाकर 65 लाख बैरल करने की भी है.

अल-काबी ने कहा:

‘‘इन योजनाओं के जरिये हमारा मकसद दुनिया में एक भरोसेमंद ऊर्जा आपूर्तिकर्ता के रूप में कतर की स्थिति मजबूत करना है. इसी वजह से हमें कतर के योगदान और भूमिका की समीक्षा करनी पड़ी.’’

ओपेक ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ओपेक के सदस्य देश उत्पादन में संभावित कटौती को लेकर इस महीने बैठक करने वाले हैं.

बता दें कि कतर ओपेक में 1961 में शामिल हुआ था. ओपेक पर सऊदी अरब का दबदबा चलता है. दोनों देशों के बीच जून 2017 से संबंध खराब चल रहे हैं.

इनपुट: भाषा

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