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कतर की जेल में बंद 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई की इनसाइड स्टोरी

Qatar Indian Navy: आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों और उनके परिवारों को रिहाई की कोई सूचना नहीं थी.

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भारतीय नौसेना (Indian Navy) के आठ पूर्व सैनिकों में से सात के वापस लौटने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के एक राजनयिक सूत्र ने क्विंट को बताया, "राजनयिक अधिकारियों ने हमारे पूर्व सैनिकों की रिहाई के लिए कतर के अधिकारियों पर लगातार दबाव डाला है, और उनकी घर वापसी महीनों की बातचीत और कानूनी प्रक्रियाओं की वजह से हुई है."

कतर में लगभग दो साल की लंबी हिरासत के बाद भारतीय नौसेना के पूर्व सैनिक घर वापस लौट आए है.

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कतर के एक कोर्ट ने "जासूसी" के आरोप में आठ पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा का फैसला सुनाया था, जो दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के साथ काम कर रहे थे.

आरोपों का खुलासा किए बिना 30 अगस्त 2022 को हिरासत में लिए जाने के बाद, दिसंबर 2023 में कतर की एक अदालत ने पूर्व सैनिकों की मौत की सजा को घटाकर 5 से 25 साल तक के कारावास में बदल दिया था.

सोमवार, 12 फरवरी की सुबह विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया. इस बयान में लिखा था, "भारत सरकार दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है, जिन्हें कतर में हिरासत में लिया गया था. उनमें से आठ में से सात भारत लौट आए हैं. हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी करने के लिए कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं."

जबकि कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि उन लोगों के खिलाफ आरोप "कथित तौर पर इजरायल के लिए जासूसी करने" का है.

इस अदालती कार्यवाही की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने इन दावों का खंडन किया और नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया कि ये लोग "वहां (कतर में) केवल ट्रेनर के रूप में थे, और जासूसी के योग्य किसी भी जानकारी तक उनकी पहुंच नहीं थी."

राजनयिक सूत्रों ने द क्विंट को बताया, "उनका एकमात्र काम ट्रेनिंग का था, और कंपनी को कतर में बहुत सम्मान दिया जाता था. कतर के नौसेना प्रमुख अक्सर उनके कार्यालयों और ट्रेनिंग सेंटर का दौरा करते थे, और दाहरा को उनके काम के लिए हमेशा सराहना मिलती थी."

भारतीय सरजमीं पर उतरने के बाद एक पूर्व सैनिक ने कहा कि उनकी मौत की सजा को कैद में बदलने और आखिरकार उनकी रिहाई, भारत सरकार के लगातार राजनयिक प्रयासों और कानूनी सहायता का नतीजा है.

कैसे छूटे पूर्व नौसैनिक?

सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि सैनिकों को उनकी रिहाई की पहले से कोई सूचना नहीं थी और रिहा होने के तुरंत बाद दूतावास के अधिकारी उन्हें अपने साथ ले गए. उन्होंने बताया कि वे लोग कल इंडिगो की उड़ान में सवार हुए और देर रात दो बजे अपने वतन वापस लौटे.

परिवार के करीबी सूत्रों ने द क्विंट को बताया, "हम उनकी रिहाई से पूरी तरह से अचंभित हैं. अभी कुछ दिन पहले हम उनसे मिले थे और हम यही सोच रहे थे कि अपील प्रक्रिया समाप्त होने तक उन्हें कैद में रखा जाएगा. हमें नहीं पता कि यह कैसे हुआ क्योंकि अपील अदालत की पूरी प्रक्रिया स्किप कर दी गई है."

कौन-कौन हुए रिहा?

  • कैप्टन नवतेज सिंह गिल

  • कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा

  • कैप्टन सौरभ वशिष्ठ

  • कमांडर अमित नागपाल

  • कमांडर पूर्णेंदु तिवारी

  • कमांडर सुगुनाकर पकाला

  • कमांडर संजीव गुप्ता

  • नाविक रागेश

सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि कमांडर पूर्णेंदु तिवारी अभी तक वापस नहीं लौटे हैं. लेकिन कमांडर तिवारी को जेल से रिहा कर दिया गया है. कमांडर तिवारी लंबित प्रक्रियाओं की वजह से भारत नहीं लौट पाए हैं.

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि ये सैनिक भारतीय समयानुसार रात 2 बजे के आसपास दिल्ली पहुंचे. उन्हें अपनी तुरंत रिहाई के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, और उन्हें "बस रविवार सुबह 10 बजे के आसपास अपना सामान पैक करने के लिए कहा गया था."

राजनयिक सूत्रों ने द क्विंट को बताया, "जेल के बाहर दूतावास के अधिकारियों ने उनका स्वागत किया. उसके बाद उन्हें दोहा में स्थित भारतीय दूतावास ले जाया गया. और फिर दिल्ली के लिए पहली उड़ान पकड़ने के लिए हवाई अड्डे पर ले जाया गया."

क्विंट ने इससे पहले भी विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी थी उन्होने कहा ये लोग कतर में "ट्रेनर के रूप में कार्य करते थे, और जासूसी के लायक किसी भी जानकारी तक उनकी पहुंच नहीं थी."

दिसंबर 2023 में, कतर की अपीलीय अदालत ने दहरा ग्लोबल से जुड़े इन व्यक्तियों की मौत की सजा को तीन से 25 साल तक की अलग-अलग सजा में बदल दिया था. दहरा ग्लोबल के एक उच्च पदस्थ अधिकारी कमांडर तिवारी को 25 साल की सबसे लंबी सजा सुनाई गई थी. अन्य को 15, 10 और 3 साल की सजा मिली थी, जिनमें से एकमात्र नाविक रागेश को सबसे कम सजा मिली थी.

अपीलीय अदालत द्वारा उनकी सजा कम किए जाने के बाद, परिवार के सदस्यों ने कतर की सर्वोच्च न्यायिक संस्था, Court of Cassation में अपील करने के संकेत दिए थे. जनवरी की शुरुआत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कानूनी टीम को अदालत के आदेश की एक गोपनीय कॉपी मिलने के बाद अपील दायर करने के लिए 60 दिन का वक्त दिया गया था.

प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि हमारी कानूनी टीम अगले कदम तय करने के लिए सक्रिय रूप से स्थिति का मूल्यांकन कर रही है, और प्रभावित परिवारों और कानूनी प्रतिनिधियों के साथ संपर्क में बनी हुई है.

राजनयिक सूत्र ने द क्विंट को बताया, "सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि अधिकारियों द्वारा पहली बार सैनिकों को हिरासत में लेने के बाद कतर छह महीने से अधिक समय तक आरोपों का खुलासा करने में और उनसे मिलने पर झिझक रहा था. एक बार जब हमें मामले की जानकारी मिली, तो हमारे नागरिकों को घर वापस लाने के लिए राजनयिक प्रयास के साथ-साथ उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया."

हालांकि, न्यायिक प्रक्रिया समाप्त होने से पहले ही पूर्व सैनिकों को रिहा कर दिया है. ये संभवतः भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों या फिर पूर्व नौसैनिकों के परिवारों की दया याचिका की वजह से हुआ है, बता दें कि कतर के अमीर रमजान और ईद के दौरान माफी देने के लिए जाने जाते हैं.

इसके अलावा, बातचीत से परिचित सूत्रों ने एक अन्य घटना की ओर भी इशारा किया जिससे "वार्ता प्रभावित हो सकती है."

मामले से जुड़े करीबी सूत्रों ने द क्विंट को बताया, "यह दिलचस्प है कि अभी मंगलवार को, बेटू में भारत ऊर्जा सप्ताह (India Energy Week) के मौके पर, दिल्ली ने कतर से तरलीकृत प्राकृतिक गैस ( liquefied natural gas) आयात करने के लिए एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसकी कीमत काफी कम है. ये वार्ताएं बहुत तनावपूर्ण थीं और महीनों तक चलीं. लेकिन केवल दिसंबर और जनवरी के आसपास सफल हुईं जब सैनिकों को कम सजा दी गई."

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मंगलवार को भारत ने कतर से LNG ( Liquefied natural gas) आयात को 2048 तक और 20 साल बढ़ाने के लिए 78 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते को अंतिम रूप दिया, जिससे दरें मौजूदा कीमतों से कम हो जाएंगी. इस गैस का उपयोग बिजली उत्पादन, उर्वरक उत्पादन और संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) में बदलने के लिए किया जाएगा.

भारत में LNG के सबसे बड़े आयातक, पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड(Petronet LNG Ltd) ने घोषणा की कि उसने सालाना 7.5 मिलियन टन गैस खरीदने के अनुबंध को बढ़ाने के लिए कतर एनर्जी (Qatar Energy) के साथ एक समझौता किया है.

टाइमलाइन पर एक नजर

  • 30 अगस्त 2022 को, दो अन्य लोगों के साथ आठ लोगों को अज्ञात आरोपों में पकड़ा गया और बाद में एकांत कारावास में रखा गया.

  • 3 अक्टूबर को पहली काउंसलर पहुंच प्रदान की गई.
    25 मार्च 2023 आठ लोगों के खिलाफ आधिकारिक तौर पर आरोप दायर किए गए.

  • 26 अक्टूबर 2023 को अदालत ने सभी आठ लोगों को मौत की सजा सुनाई.

  • 28 दिसंबर 2023 को आठ पूर्व नौसेना कर्मियों की सजा कम कर दी गई.

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