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अफगानिस्तान: US सैनिकों की हत्या के लिए रूस ने पैसा दिया- रिपोर्ट

2019 में अफगानिस्तान में 20 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे

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रूस की एक मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट ने अफगानिस्तान में तालिबान से जुड़े आतंकियों को खुफिया तौर पर अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए इनाम का ऑफर दिया था. 26 जून को द न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट में अमेरिकी इंटेलिजेंस अधिकारियों के हवाले से इस बात का खुलासा किया.

रिपोर्ट में उन अधिकारियों के हवाले से जानकारी दी गई है, जिन्हें इस मामले पर ब्रीफ किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया कि हत्या की कोशिश और यूरोप में कोवर्ट ऑपरेशन्स से संबंधित इस रूसी यूनिट ने पिछले साल ही अमेरिकी सैनिकों पर हमले के लिए इनाम ऑफर किया था.

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अधिकारियों ने बताया कि यूनिट से जुड़े आतंकियों या हथियारबंद अपराधियों ने इनाम का कुछ पैसा लिया है.

2019 में अफगानिस्तान में 20 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे, लेकिन ये साफ नहीं है कि इनमें से कितनी मौत संदेह के दायरे में हैं.  

अमेरिकी अधिकारियों को इंटेलिजेंस पर विश्वास है. हालांकि इस बात का नहीं पता है कि इन कोवर्ट ऑपरेशन्स को रूसी सरकार के किस स्तर पर मंजूरी दी गई और इसका मकसद क्या था.

व्हाइट हाउस का बयान से इनकार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस इंटेलिजेंस के बारे में ब्रीफ किया गया था और व्हाइट हाउस की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने एक इंटर-एजेंसी मीटिंग भी रखी थी.

अधिकारियों ने इस मामले में कई विकल्प दिए हैं. मॉस्को से राजनयिक शिकायत करने से लेकर रूस से ऑपरेशन बंद करने और सैंक्शन जैसे कई और प्रतिक्रिया देने जैसे विकल्पों पर बातचीत हुई. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी सरकार ने अभी किसी प्रतिक्रिया को मंजूरी नहीं दी है.  

रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रेस सचिव दिमित्री पेस्कोव ने बताया कि रूस की सरकार को इन आरोपों के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.

तालिबान के एक प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने तालिबान की किसी इंटेलिजेंसी एजेंसी के साथ रिश्ते से इनकार किया है. मुजाहिद ने कहा कि रिपोर्ट तालिबान को बदनाम करने की साजिश है.

व्हाइट हाउस की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने मामले पर बयान देने से इनकार किया.

कैसे मिली इंटेलिजेंस?

रिपोर्ट में बताया गया कि इंटेलिजेंस पकड़े गए अफगान आतंकियों से पूछताछ से मिली है. मामले से जुड़े अधिकारियों ने हालांकि ये नहीं बताया कि टारगेट कैसे चुने गए और आतंकियों को पैसा कैसे दिया गया.

इस बता की भी जानकारी नहीं कि इस मिशन के रूसी ऑपरेटिव ने अफगान आतंकियों से मुलाकात अफगानिस्तान में की थी या किसी और देश में.

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