भारतीय मूल के ऋषि सुनक मंगलवार, 25 अक्टूबर को ब्रिटेन के पीएम पद की शपथ लेंगे. यानी ब्रिटेन को आज अपना पहला गैर-श्वेत प्रधानमंत्री के साथ-साथ साल का तीसरा प्रधान मंत्री भी मिलने जा रहा है. पूर्व पीएम लिज ट्रस के केवल 45 दिनों के अंदर इस्तीफा सौंपने के बाद ऋषि सुनक का नाम पीएम पद की रेस में सामने आया और भारत के साथ-साथ पाकिस्तान के लोग भी ऋषि सुनक की विरासत को अपने से जोड़ने लगे.
ऐसे में सवाल है कि जब ऋषि सुनक पीएम पद पर बैठने जा रहे हैं वो अपनी जातीयता (एथनिसिटी), भारत से जुड़ी जड़ें और अपने धर्म के बारे में क्या सोचते हैं?
इस सवाल का कुछ हद तक जवाब ऋषि सुनक ने अगस्त 2015 में बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए एक इंटरव्यू में दिया था, जब वे नए-नए सांसद बने थे. इस इंटरव्यू में ऋषि सुनक ने अपनी जातीयता और भारत से जुड़ी धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत से जुड़े सवाल के जवाब में कहा था कि " जनगणना के फॉर्म पर मैं ब्रिटिश इंडियन वाले बक्से में टिक करता हूं, उसका विकल्प है हमारे यहां. मैं पूरी तरह से ब्रिटिश हूं, यह मेरा घर और मेरा देश है, लेकिन मेरी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत भारतीय है."
मेरी पत्नी भारतीय है. मैं एक हिंदू होने के बारे में खुली सोच रखता हूं."ऋषि सुनक
खास बात है कि इस इंटरव्यू में ऋषि सुनक ने बताया था कि वह बीफ नहीं खाते है और यह उनके लिए कभी कोई समस्या नहीं रही है.
ऋषि सुनक हिंदी और पंजाबी बोल लेते हैं. जब सुनक बड़े हो रहे थे तब भारत के साथ उनके संबंध बहुत जुड़े नहीं थे. इसका कारण था कि उनके लगभग सभी करीबी रिश्तेदार यहां से चले गए थे. इस इंटरव्यू रिपोर्ट के अनुसार फिर भी बचपन के उस दौर की एक याद ऋषि सुनक के जेहन में आज भी हैं, वो है दिल्ली के एक पार्क में क्रिकेट खेलने की और सुनक का मानना था कि वहां के क्रिकेट का स्टैंडर्ड इतना हाई था कि उनके होश उड़ गए.
बता दें कि ऋषि सुनक के दादा और दादी, दोनों ही पंजाब में जन्मे और पहले पूर्वी अफ्रीका, चले गए. सुनक के पिता, यशवीर, का जन्म केन्या में और उनकी मां, उषा, का जन्म तंजानिया में हुआ था. इसके बाद फिर 1960 के दशक में अपने परिवारों के साथ वे ब्रिटेन चले आये जहां सुनक का जन्म हुआ.
इतने सफल नहीं होते तो नारायण मूर्ति के दामाद बन पाते? सुनक ने खुद दिया था जवाब
ऋषि सुनक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं. उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति नारायण मूर्ति की बेटी हैं. इस इंटरव्यू में सुनक से सवाल किया गया कि अगर वह इतने सफल (ओवर-अचीवर) नहीं होते तो क्या वे मूर्ति परिवार में फिट हो पाते?
इस सवाल का जवाब ऋषि सुनक ने हंसते हुए दिया कि "हां मैं हो जाता क्योंकि यह बात (सफल होने की) मायने नहीं रखती. मेरे ससुराल वालों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या उनकी बेटी खुश है?”
बता दें कि ऋषि सुनक ने केवल सात सालों में सांसद से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर तय किया है. डेविड कैमरन ने यह मुकाम नौ साल में हासिल किया था. सबसे तेज सीढ़ी चढ़ने का रिकॉर्ड Pitt the Younger (1804–1806 तक पीएम) के नाम है जिन्होंने 2 साल में सांसद से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर तय किया.
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