जिम्बाब्वे में चल रहा सत्ता संकट अपने मुकाम पर पहुंच गया है. राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसी के साथ मुगाबे की 37 साल से चली आ रही सत्ता खत्म हो गई. कुछ दिनों पहले सेना ने जिम्बाब्वे की सत्ता को अपने हाथ में लिया था और मुगाबे की सारी शक्तियां छिन गईं थीं.
अब मुगाबे के इस्तीफे के बाद जिम्बाब्वे की सड़कों पर जश्न का माहौल दिख रहा है. लोगों ने कार के हॉर्न बजाकर और चिल्लाकर खुशी का इजहार किया.
मुगाबे ने सत्ता सौंपते हुए क्या कहा?
जिम्बाब्वे संसद के स्पीकर मुंदेड़ा ने मुगाबे का त्यागपत्र पढ़ा. इसमें लिखा था,
मैं रॉबर्ट गैब्रिएल मुगाबे जिम्बाब्वे के संविधान की धारा 96 के तहत औपचारिक रुप से अपना इस्तीफा देता हूं जो तत्काल प्रभावी है.
इस्तीफे की ये बड़ी खबर संसद के विशेष संयुक्त सत्र के सामने दी गई. मुगाबे पर महाभियोग के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था. बता दें कि वो 1980 से वो सत्ता पर काबिज थे.
सत्ताधारी पार्टी ने पहले ही पद से हटा दिया था
19 नवंबर को ही मुगाबे को उन्हीं की पार्टी ZANU-PF के चीफ पद से हटा दिया गया था. उनकी जगह इमरसन मनंगावा को नया चीफ बनाया गया था. इमरसन देश के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं, उन्हें मुगाबे ने पद से हटा दिया था.
इमरसन को सेना और सत्ता के बीच की कड़ी माना जाता है, उनकी बर्खास्तगी से सेना नाराज बताई जा रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि जिम्बाब्वे की कमान अब इमरसन संभाल सकते हैं.
सेना ने 'तख्ता पलट' किया था
जिम्बाब्वे की आजादी के बड़े हीरो मुगाबे, अब देश में बतौर 'विलेन' देखे जा रहे हैं. इसके पीछे उनकी महत्वकांक्षाएं और पत्नी को उत्तराधिकार सौंपने की इच्छा का बड़ा योगदान है. इसी महीने मुगाबे का 'सम्मान करने वाली' देश की सेना ने बड़े ही शांतिपूर्वक सत्ता को अपने नियंत्रण में ले लिया था. इसके बाद रॉबर्ट मुगाबे के इस्तीफे की मांग को लेकर राजधानी हरारे में हजारों की संख्या में लोगों ने प्रदर्शन किया.
प्रदर्शनकारी बता रहे थे कि जिम्बाब्वे लंबे समय से पीड़ा सह रहा है और अब जाकर यहां के लोग खुश हैं.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)