इराक के एक एयर बेस पर रॉकेट से हमला हुआ है. न्यूज एजेंसी AFP ने मिलिट्री सूत्रों के हवाले से बताया है कि एयर बेस पर 4 रॉकेट दागे गए हैं. इस एयर बेस पर अमेरिकी सेना मौजूद है.
इससे पहले ईरान ने इराक के इरबिल और अल-असद एयर बेस पर मिसाइल से हमला किया था. इन एयर बेस पर भी अमेरिकी सेना मौजूद थी. ईरान ने इस हमले को अमेरिकी हमले में जनरल कासिम सुलेमानी की मौत का बदला बताया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान ने हमले में एक दर्जन से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल दागे थे. न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, ईरान ने अमेरिकी ठिकानों पर हमले की जानकारी इराक को दी थी. ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने हमले को आत्मरक्षा में उठाया गया कदम बताया था. जरीफ ने कहा था कि इसके साथ ही अमेरिकी हवाई हमले में मारे गए कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला पूरा हो गया है.
जावेद ने अपने ट्वीट में कहा-
“ईरान ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर केआर्टिकल 51 के तहत आत्मरक्षा के तौर पर यह कदम उठाया और उसके साथ ही सुलेमानी की मौत का बदला पूरा हो गया. इस हमले में उस अड्डे को निशाना बनाया गया जहा से नागरिकों और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कायरतापूर्ण सैन्य हमला (अमेरिका द्वारा) किया गया था. हम तनाव बढ़ाना या युद्ध नहीं चाहते लेकिन किसी भी आक्रामकता से खुद की रक्षा करेंगे.’’
हमले के बाद ईरान ने दी थी धमकी
इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले के बाद ईरान ने अमेरिका को धमकी भी दी थी. ईरान ने अमेरिका से कहा था कि इस हमले के बाद अब अगर जवाबी कार्रवाई की गई तो इजरायल और दुबई को भी गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है.
ईरान ने कहा, "अगर अमेरिका ईरान के सैनिकों या लोगों को निशाना बनाता है तो इसका परिणाम सिर्फ अमेरिका को ही नहीं बल्कि उसके मित्र देशों को भी भुगतना पड़ सकता है. ईरान का सीधा निशाना साउदी अरब, इस्राइल और यूएई जैसे अमेरिका के दोस्तों पर है."
सुलेमानी की मौत पर अमेरिका से भिड़ने को क्यों तैयार ईरान?
बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक में मौत के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है. सुलेमानी की मौत ईरान के लिए कितना बड़ा झटका है, इसका अंदाजा उनके जनाजे में शामिल हुई भीड़ से लगाया जा सकता है. 7 जनवरी को उनके जनाजे में तेहरान की सड़कों पर करीब 10 लाख लोग उमड़ पड़े थे.
करीब 20 साल तक ईरान की कुद्स फोर्स के चीफ रहने के दौरान कासिम सुलेमानी ज्यादातर पर्दे के पीछे रहे थे. लेकिन पिछले कुछ सालों में उन्हें ईरान और उसके साथी देशों में एक 'हीरो' का स्टेटस मिल गया था. यमन, लेबनान, सीरिया से लेकर अफगानिस्तान तक ईरान की प्रॉक्सी मिलिशिया खड़ी करने में सुलेमानी का ही हाथ था. मिडिल ईस्ट में अमेरिका के सऊदी अरब और इजरायल जैसे प्रभावशाली साथी होने के बावजूद ईरान का रीजन में इतना प्रभाव होना सुलेमानी का ही करिश्मा था.
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