अगले एक साल में रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में 60,000 बच्चों के जन्म लेने का अनुमान है. इन बच्चों के जन्म लेने के बाद संकट झेल रहे इस समुदाय की स्थिति और विकट हो सकती है. यह कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल का.
‘अब तक का सबसे बड़ा मानवीय संकट’
उन्होंने छह महीने पहले शुरू हुए रोहिंग्या संकट को अब तक का सबसे बड़ा मानवीय संकट बताते हुए कहा कि आगामी मानसून सीजन में इन शरणार्थियों की दिक्कतें बढ़ने वाली हैं. अकेले बांग्लादेश में लगभग 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थी पनाह लिए हुए हैं, जो कुपोषण के साथ मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिनमें सर्वाधिक दयनीय स्थिति बच्चों की है.
“25 अगस्त, 2017 से शुरू हुआ यह संकट अब अपने चरम पर पहुंच गया है. म्यांमार से बांग्लादेश बड़ी तादाद में पहुंचे रोहिंग्याओं की हालत रोंगटे खड़े कर देने वाली है. बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के शरणार्थी शिविरों में 6,88,000 रोहिंग्या रह रहे हैं, जबकि इससे पहले यहां 2,12,500 रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंच चुके हैं. इस अल्पावधि में पलायन करने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी आबादी है.”डॉ. पूनम खेत्रपाल, क्षेत्रीय निदेशक, WHO
सबसे बड़ा खतरा स्वास्थ्य को लेकर
शरणार्थी शिविरों में रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति और समस्याओं के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, “रोहिंग्या शरणार्थियों की सबसे बड़ी आबादी काटुपालोंग और बालुखली शिविरों में दयनीय हालत में रह रही है, लेकिन सबसे बड़ा खतरा इनके स्वास्थ्य को लेकर है, इसलिए इनके स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने की जरूरत है. महिलाओं और कम उम्र की मांओं को प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की जरूरत है.” वह कहती हैं-
“हालात इतने बदतर है कि ये पानी और स्वच्छता जैसी मूलभूत सेवाओं से वंचित हैं, लेकिन हमें चिंता है मानसून सीजन को लेकर. बारिश का मौसम इनके लिए बड़ा संकट बन सकता है. बारिश, तूफान, बाढ़ के खतरे से इन लोगों में हैजा, हेपेटाइटिस, मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ेगा. वहीं, इन शरणार्थी शिविरों में अगले एक साल में 60,000 बच्चों के पैदा होने का अनुमान है. समझ जाइए, स्थिति क्या होने जा रही है.”
परेशानी से निपटने को तैयार WHO
डब्ल्यूएचओ की रणनीति के बारे में पूछने पर डॉ. खेत्रपाल कहती हैं, "डब्ल्यूएचओ बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर कॉक्स बाजार में रोहिंग्या मुसलमानों की इस बड़ी आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रही है. डब्ल्यूएचओ चिकित्सा केंद्रों में दवाइयां, मेडिकल उपकरण जैसी सेवाएं मुहैया कराने में लगा है."
उन्होंने कहा, “यहां 100 से अधिक साझेदारों के साथ मिलकर हेल्थ पोस्ट, अस्पताल, चिकित्सा केंद्रों और मोबाइल क्लीनिकों तक पहुंच बनाई जा रही है. शरणार्थियों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है. ये समुदाय ट्रॉमा, दिल संबंधी बीमारियों, मधुमेह और कई तरह की बीमारियों की चपेट में हैं.”
(इनपुटः IANS)
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(क्विंट और बिटगिविंग ने मिलकर 8 महीने की रेप पीड़ित बच्ची के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन लॉन्च किया है. 28 जनवरी 2018 को बच्ची का रेप किया गया था. उसे हमने छुटकी नाम दिया है. जब घर में कोई नहीं था,तब 28 साल के चचेरे भाई ने ही छुटकी के साथ रेप किया. तीन सर्जरी के बाद छुटकी को एम्स से छुट्टी मिल गई है लेकिन उसे अभी और इलाज की जरूरत है ताकि वो पूरी तरह ठीक हो सके. छुटकी के माता-पिता की आमदनी काफी कम है, साथ ही उन्होंने काम पर जाना भी फिलहाल छोड़ रखा है ताकि उसकी देखभाल कर सकें. आप छुटकी के इलाज के खर्च और उसका आने वाला कल संवारने में मदद कर सकते हैं. आपकी छोटी मदद भी बड़ी समझिए. डोनेशन के लिए यहां क्लिक करें.)
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