रूस की संसद ने 11 मार्च एक संवैधानिक प्रस्ताव किया है जिससे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अब और 12 साल पद पर बने रहेंगे. पुतिन का कार्यकाल 2024 में खत्म हो रहा है. संसद के निचले सदन डूमा में 383 वोट से संवैधानिक संशोधन को पास किया गया. प्रस्तावित संशोधन पर देशभर में 22 अप्रैल को वोटिंग होगी. पुतिन के आलोचकों ने इन संशोधन की निंदा की है और प्रदर्शनों के लिए लोगों को बुलाया है.
डूमा में पास किए गए संवैधानिक प्रस्ताव से पुतिन 2024 के बाद दो बार राष्ट्रपति पद के लिए खड़े हो सकते हैं. हालांकि, देशभर में वोटिंग से पहले रूस की संवैधानिक अदालत इस प्रस्ताव की समीक्षा करेगी.
इस संशोधन में रूसी सरकार की शासन संबंधी ताकत का बंटवारा और राष्ट्रपति पद के अधिकार बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसी संशोधन में समान लिंग में शादी पर बैन और देश के पारंपरिक मूल्यों की सूची में 'भगवान में विश्वास' को शामिल करना भी है.
राष्ट्रपति का कार्यकाल 2008 में मेदवेदेव के समय छह साल किया गया था. 2012 में पुतिन राष्ट्रपति बने थे और फिर 2018 में वो दोबारा 6 साल के लिए चुने गए थे.
कैसा रहा है पुतिन का सफर?
व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति के तौर पर दो दशक लंबा सफर तय कर चुके हैं. पुतिन ने सरकार में अपने करियर की शुरुआत सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी कमिटी फॉर स्टेट सिक्योरिटी (KGB) से बतौर इंटेलीजेंस ऑफिसर की
साल 1991 में पुतिन के टीचर एनातोली सोबचक ने लेनिनग्राद में मेयर पद के लिए चुनाव लड़ा. सोबचक ने पुतिन को अपना सलाहकार बनाया था. चुनाव में जीत हासिल होने के बाद पुतिन ने KGB से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में आ गए. बोरिस एल्तसिन की सरकार के दौरान साल 1997 में पुतिन को क्रेमलिन का डिप्टी चीफ एडमिनिस्ट्रेटर बनाया गया था. 26 मई 2000 में वो पहली बार निर्वाचित होकर रूस के राष्ट्रपति बने, तब से वो या तो देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पद पर बरकरार हैं.
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