राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने पूर्वी यूक्रेन (Russia-Ukraine Crisis) के दो क्षेत्रों- लुहान्स्क और डोनेट्स्क (Luhansk & Donetsk) की स्वतंत्रता को मान्यता देने की घोषणा की है, जो रूस समर्थित अलगाववादियों द्वारा नियंत्रित हैं. "लुहांस्क और डोनेट्स्क की स्वतंत्रता को मान्यता देकर रूस को क्या मिलेगा?" इस सवाल का जवाब इन क्षेत्रों के इतिहास और मौजूदा राजनीतिक दांव-पेंच में है.
ऐसी स्थिति में जब रूसी सैन्य बलों और हथियारों की उपस्थिति यूक्रेन की पूर्वी सीमा पर बढ़ गयी है और किसी भी समय युद्ध शुरू होने की संभावना चरम पर है, यूक्रेन की पूर्वी सीमा पर मौजूद लुहान्स्क और डोनेट्स्क संघर्ष के केंद्र के रूप में सामने आये हैं.
लुहांस्क और डोनेट्स्क पर रूसी समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण है और यूक्रेन में सबसे ज्यादा एथनिक रूसी और रूसी भाषी लोग यहीं रहते हैं. यह दोनों विवादस्पद इलाके यूक्रेन के डोनबास में आते हैं.
2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया, तो उसके बाद से डोनबास क्षेत्र, रूस के करीब हो गया, और यहां के इन दो प्रमुख शहरों ने खुद को डोनेट्स्क पीपल्स रिपब्लिक और लुहान्स्क पीपल्स रिपब्लिक के रूप में खुद को यूक्रेन से स्वतंत्र गणराज्य घोषित कर लिया.
ध्यान रहे, न तो इन दोनों स्वघोषित गणराज्य क्षेत्र को अमेरिका और न ही किसी अन्य विश्व शक्तियों द्वारा स्वतंत्र माना जाता है. दोनों को यूक्रेनी सरकार आतंकवादी संगठन मानती है. लेकिन अब रूस ने इनकी स्वतंत्रता को अपनी मान्यता देने की घोषणा कर दी है.
ऐसे में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को डर है कि पुतिन के इशारे पर काम करने वाले डोनेट्स्क और लुहान्स्क में विद्रोही ताकतें अपने ही लोगों पर झूठा हमले करेंगी और उनका दोष यूक्रेनी सेना के सिर मढ़ देंगी. क्योंकि तब तक रूस आधिकारिक रूप से इनकी स्वतंत्रता को मान्यता दे चुका होगा, उसके पास इनकी मदद के नाम पर यूक्रेन पर सैनिक हमला करने का बहाना होगा.
हालांकि, रूसी सरकार ने इसका खंडन किया है. पुतिन के खिलाफ इस तरह के ऑपरेशन का इस्तेमाल करने के लिए आरोपों का एक लंबा इतिहास है.
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