रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच पिछले 5 महीनों से युद्ध जारी है. इस बीच एक अच्छी खबर आई है. संयुक्त राष्ट्र (UN) की मध्यस्थता के बाद दोनों देशों के बीच एक 'मिरर' समझौता (mirror deal) हुआ है, जिसके तहत यूक्रेन से काला सागर (Black Sea) के जरिए अनाज का निर्यात हो सकेगा. इसे फैसले से युद्ध के बीच यूक्रेन में पड़े लाखों टन अनाज का निर्यात किया जा सकेगा. माना जा रहा है कि इसके बाद दुनियाभर में बढ़ते खाद्य संकट पर लगाम लगेगी.
तुर्की में रूस-यूक्रेन के बीच अहम समझौता
रूस-यूक्रेन के बीच इस्तांबुल (Istanbul) के डोलमाबाचे पैलेस (Dolmabahçe Palace) में इस अहम समझौते पर हस्ताक्षर हुए. हालांकि, दोनों देश के प्रतिनिधि समझौते के दौरान एक टेबल पर नहीं बैठे. रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु (Sergei Shoigu) ने पहले समझौते पर हस्ताक्षर किए, उसके बाद यूक्रेन के इन्फ्रास्ट्रक्चर मंत्री ओलेकसांद्र कुब्राकोव (Oleksandr Kubrakov) ने समझौते पर हस्ताक्षर किए.
समारोह में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन (Recep Tayyip Erdogan) भी मौजूद रहे.
क्या है मिरर समझौता?
मिरर समझौता वो होता है, जिसमें किसी प्रस्ताव को बिना किसी बदलाव के स्वीकार कर लिया जाता है.
किन बातों पर बनी सहमति?
इस समझौते के तहत रूस समुद्र के रास्ते अनाज की ढुलाई करने वाले मालवाहक जहाजों पर हमले नहीं करेगा. वह उन बंदरगाहों पर भी हमले नहीं करेगा, जहां से अनाज की सप्लाई हो रही है.
समझौते के तहत यूक्रेन को खाद्यान्न ले जाने वाले जहाजों की जांच की अनुमति देनी होगी. जांच के दौरान यह देखा जाएगा कि कहीं इनके जरिए हथियारों की सप्लाई तो नहीं की जा रही है.
इसे लेकर समन्वय और निगरानी का काम तुर्की के शहर इस्तांबुल में किया जाएगा. यहां संयुक्त राष्ट्र, तुर्की, रूस और यूक्रेन के अधिकारी काम करेंगे.
काला सागर में जहाजों के साथ यूक्रेन का सुरक्षा दस्ता चलेगा. यह दस्ता समुद्र में बिछाई माइंस से बचने में मदद करेगा. वहीं माइंस को हटाने का काम कोई तीसरा देश करेगा.
ये समझौता 120 दिनों यानी चार महीनों तक लागू रहेगा. अगर दोनों पक्षों की सहमति बनती है तो इस समझौते को और आगे बढ़ाया जा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि इस समझौते से यूक्रेन से खाद्य निर्यात का रास्ता खुलेगा और विकासशील देशों में खाद्य और आर्थिक संकट को कम होगा. इसके साथ ही उन्होंने रूस और यूक्रेन से इस समझौते को पूरी तरह लागू करने का आह्वान करते हुए कहा कि काला सागर में आशा की किरण चमक रही है.
वहीं तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने इस समझौते को लेकर उम्मीद जताते हुए कहा है कि यह युद्ध खत्म करने की दिशा में एक अहम कदम है.
आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच हुए इस समझौते में संयुक्त राष्ट्र और तुर्की का अहम योगदान है. इस समझौते पर हस्ताक्षर होने में दो महीने का समय लगा है.
इस समझौते से आनाज संकट पर लगेगी लगाम
माना जा रहा है कि रूस और यूक्रेन की बीच इस समझौते से दुनियाभर में जारी अनाज संकट पर लगाम लग सकती है. इसके साथ ही महंगाई से भी निजात मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. बीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस समझौते से हॉर्न ऑफ अफ्रीका में आने वाले देशों को बड़ी राहत मिलेगी. ये इलाका फिलहाल सूखे की चपेट में है, जिससे खाद्य संकट पैदा हो गया है. वहीं, कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध ने इस संकट को और बढ़ा दिया है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन के दो करोड़ टन अनाज के निर्यात का रास्ता खुलने की संभावना से ही शुक्रवार को गेहूं के दामों में दो प्रतिशत की कमी देखी गई है.
वहीं यूक्रेन के राष्ट्रपति जलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने अपने संबोधन में पुष्टि की है कि देश के पास इस समय बेचने के लिए 10 अरब डॉलर का गेंहू है.
अब तक क्यों रुका था निर्यात?
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले पांच महीनों से युद्ध जारी है. रूस ने यूक्रेन के कई अहम बंदरगाहों पर या तो कब्जा कर लिया है या उसकी ओर से हमले जारी हैं. ऐसे में यूक्रेन की तरफ से अनाज के निर्यात पर करीब पांच महीनों से रोक लगी है.
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