रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) का असर कई मायनों में भारतीय नागरिकों पर भी देखने को मिल रहा है. भविष्य में इसकी कीमत आपको बिजली के लिए ज्यादा कीमत देकर चुकानी पड़ सकती है. युद्ध के चलते कोयले की कीमतें बढ़ना निश्चित है, जिसके चलते भारतीय ऊर्जा उत्पादकों की इनपुट कॉस्ट बढ़ने के आसार हैं.
हर जगह बढ़ रही हैं कोयले की कीमतें, इनपुट कॉस्ट में इजाफा
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ताप विद्युत उत्पादन कंपनियां प्राथमिक तौर पर कोयला ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिऑया से बुलवाती हैं. इसकी वजह भारतीय कोयले की कमजोर गुणवत्ता है. मार्च में ऑस्ट्रेलियाई कोयले की कीमत 330 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई.
इसके अलावा कोल इंडिया लिमिटे़ड द्वारा करवाए जाने वाली ई-नीलामी में भी कीमतों बहुत इजाफा हुआ है. बेसलाइन प्राइस के ऊपर लगाया गया प्रीमियम फरवरी, 2022 में 270 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, जिसके मार्च में 300 फीसदी पहुंचने की खबर है.
जाहिर है, इसका सीधा असर बिजली उत्पादन की इनपुट कॉस्ट पर पड़ने वाला है.
क्यों बढ़ रही हैं कीमतें
दरअसल रूस द्वारा युद्ध छेड़ने के चलते कोयले की आपूर्ति में बाधाएं आना शुरू हो गईं. कोयले की इस तरह की आपूर्ति का हमारे पास अच्छा विकल्प भी मौजूद नहीं है. आईसीआरए का अनुमान है कि आयात करने वाले कोयले की कीमतें वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में 45-55 फीसदी बढ़ने के आसार हैं. आईसीआरए ने यह भी बताया है कि भारत में कोयले की कमी बनी रहेगी, बशर्ते कोल इंडिया अपने घरेलू उत्पादन को अगले फिसकल ईयर में 601 मीट्रिक टन से बढ़ाककर 700 मीट्रिक टन नहीं कर लेती.
बता दें घरेलू उत्पादन पहले ही भारतीय जरूरतों को पूरा करने में नाकामयाब रहा है. पिछले 6 महीनों में यह स्थिति ज्यादा बदतर हुई है.
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