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Russia-Ukraine War: यूक्रेन ने क्यों हटाए जर्मनी,भारत से अपने राजदूत?

आदेश में यह भी नहीं बताया गया है कि इन राजदूतों को किसी दूसरी जगह पोस्टिंग मिलेगी या नहीं.

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रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने एक बड़ा कदम उठाया है. जेलेंस्की ने भारत समेत 9 देशों में तैनात अपने राजदूतों को बर्खास्त कर दिया है. भारत के अलावा जर्मनी, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, नॉर्वे, हंगरी और चेक गणराज्य में तैनात यूक्रेन के राजदूतों को हटाया गया है. इस कार्रवाई को सीधे तौर पर युद्ध में रूस के समर्थन से जोड़ कर देखा जा रहा है. हालांकि, आदेश में इस कार्रवाई की कोई वजह नहीं बताई गई है. आदेश में यह भी नहीं बताया गया है कि इन राजदूतों को किसी दूसरी जगह पोस्टिंग मिलेगी या नहीं.

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जर्मनी-यूक्रेन के रिश्ते संवेदनशील

यूक्रेन के राष्ट्रपति की वेबसाइट पर जारी किए गए आदेश के मुताबिक जर्मनी में यूक्रेन के राजदूत एंड्री मेलनिक (Andriy Melnyk) को बर्खास्त कर दिया गया है.

पिछले कुछ महीनों में मेलनिक कई हाई-प्रोफाइल विवादों की वजह से सुर्खियों में थे. उन्होंने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ (Olaf Scholz) को आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके साथ ही मेलिनिक ने जर्मन पॉडकास्टर टिलो जंग के साथ एक इंटरव्यू में स्टीफन बांदेरा का बचाव किया था. स्टीफन बांदेरा ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नाजियों का सहयोग किया था.

एंड्री मेलनिक, जिन्हें जेलेंस्की से पहले के राष्ट्रपति ने 2014 के अंत में जर्मनी में राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया था, वे जर्मनी में राजनेताओं और राजनयिकों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं.

वहीं जर्मनी के साथ यूक्रेन के संबंध काफी संवेदनशील बने हुए हैं. दरअसल, जर्मनी ऊर्जा आपूर्ति को लेकर रूस पर निर्भर है और इन दिनों जर्मनी निर्मित एक टर्बाइन मरम्मत के लिए कनाडा में है. जर्मनी चाहता है कि कनाडा जल्द इसकी मरम्मत कर इसे रूसी कंपनी गेजप्रोम को सौंप दे ताकि यूरोप में गैस आपूर्ति तेज की जा सके.

वहीं यूक्रेन का कहना है कि अगर कनाडा यह टर्बाइन रूस भेजता है तो यह प्रतिबंधों का उल्लंघन होगा.

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत तटस्थ

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत शुरू से ही तटस्थ रहा है. संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्तावों पर वोटिंग का भारत ने हर बार बॉयकॉट किया है. भारत सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह रूस का विरोध कर किसी देश का समर्थन नहीं करेगी. इस कारण यूक्रेन ने कई बार नाराजगी भी जताई है.

गौरतलब है कि पीएम मोदी ने युद्ध की शुरुआत में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से बात कर बातचीत के जरिए मुद्दों को हल करने की अपील की थी.

हंगरी ने ठुकराई थी यूक्रेन की अपील

वहीं रूस के खिलाफ युद्ध में हंगरी से भी यूक्रेन को समर्थन नहीं मिला है. मार्च में हंगरी के प्रधानमंत्री ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की उस भावनात्मक अपील को ठुकरा दिया जिसमें उन्होंने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने और रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.

प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने कहा था कि जेलेंस्की का अनुरोध ‘हंगरी के हितों के विरुद्ध है’ और रूस से प्राप्त होने वाली ऊर्जा पर प्रतिबंध लगाने का अर्थ होगा कि ‘हंगरी की अर्थव्यवस्था धीमी हो जाएगी और कुछ समय में समाप्त हो जाएगी.

ब्रिटेन ने बढ़ाई जेलेंस्की की चिंता

जेलेंस्की ब्रिटेन में जारी सियासी संकट को लेकर चिंतित हैं. बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा दे दिया है. जॉनसन के इस्तीफे के बाद यूक्रेन को लगता है कि जो सपोर्ट ब्रिटेन से मिल सकता था, वो अब नहीं मिलेगा. कुछ महीने पहले बोरिस जॉनसन कीव की सड़कों पर जेलेंस्की के साथ नजर आए थे.

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