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सऊदी अरब: बरसों बाद शौहर के हाथ में हाथ डाले फिल्‍म देखने की आजादी

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस की नई कवायदों  में सबसे ज्यादा फायदा देश की आधी आबादी को हुआ है,कुछ नायाब उदाहरण यहां हैं

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फैशन शो, सिनेमाहाल, स्टेडियम में महिलाएं, इजरायल से दोस्ती की आहट सऊदी अरब उम्मीद से ज्यादा तेजी से बदल रहा है. ऐसा लग रहा है कि सऊदी अरब के युवा क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फैसला कर लिया है कि देश में सब कुछ बदल डालूंगा.

इस कवायद में सबसे ज्यादा फायदा देश की आधी आबादी को हुआ है. जो अबतक खुद को दबा हुआ महसूस करती थीं. पहले महिलाओं को कार की स्टियरिंग थामे या स्टेडियम में फुटबॉल मैच में सीटी बजाने की कल्पना तक मुमकिन नहीं थी. अब ये सब हकीकत है. 33 साल के क्राउन प्रिंस ने रूढ़िवादी राजशाही के तौर पर पहचाने जाने वाले देश सऊदी अरब का सामाजिक ढांचा बदलने की पुरजोर कोशिश की है. इनकी ये पहल ‘नेशनल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम 2020’ और ‘विजन 2030’ का हिस्सा हैं जिसका रोडमैप साल 2016 में खींचा गया था.ये कुछ खास कदम हैं जो क्राउन प्रिंस ने हाल फिलहाल में उठाए हैं-

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35 साल बाद खुला सिनेमाघर

सऊदी अरब को 35 साल से सिनेमाघरों पर लगे बैन से आजादी 18 अप्रैल को मिली. थिएटर में हॉलीवुड फिल्म ब्लैक पैंथर दिखाई गई. लोगों ने इस खुशी को सोशल मीडिया पर भी सेलिब्रेट किया. वहां की सत्ता का कहना है कि आर्थिक विकास और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए ये कदम उठाए गए हैं.

खास ये है कि सऊदी अरब में सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं और पुरुषों को साथ-साथ बैठने पर पाबंदी के बावजूद सिनेमाघरों में मूवी देखते वक्त ऐसी कोई बंदिश नहीं होगी.

सऊदी में 70 के दशक में कुछ सिनेमाघर थे लेकिन इस्लामिक रीति-रिवाज को देखते हुए बैन लगा दिया गया. अब एएमसी एंटरटेनमेंट को सिनेमाघर चलाने के लिए पहला लाइसेंस दिया गया है. अगले पांच साल में सऊदी अरब के 15 शहरों में 40 से ज्यादा सिनेमाघरों शुरू करने की योजना है.

महिलाएं अब ड्राइव कर सकती हैं

सऊदी अरब ने पिछले सितंबर में एक आदेश जारी किया था जिसके मुताबिक जून 2018 से महिलाओं को देश में वाहन चलाने का अधिकार होगा. ये वहां की महिलाओं के लिए किसी सपने के सच होने से कम नहीं था. इससे पहले वहां महिलाएं ड्राइव तो करती थी लेकिन उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया जाता था, साथ ही उन्हें हिरासत में ले लिया जाता था.

स्टेडियम में महिलाओं की एंट्री

जबरदस्ती के नियम कानून को क्राउन प्रिंस ने एक के बाद एक तोड़ा है, इसकी बानगी इस साल 12 जनवरी को भी देखने को मिली जब पहली बार महिलाओं को स्टेडियम में प्रोफेशनल फुटबॉल मैच देखने की अनुमति मिली. ये सऊदी के महिलाओं के लिए न्यू ईयर का सबसे बड़ा गिफ्ट साबित हुआ. वहां की महिलाओं को ये भी आस है कि कुछ सालों में उन्हें चुनिंदा खेल खेलने की इजाजत मिलेगी.

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सिर्फ महिलाओं के लिए फैशन वीक

एक और बड़े कदम के तौर पर सऊदी अरब में पहला फैशन वीक शुरू किया गया है. देसी-विदेशी डिजाएनर्स इस शो में हिस्सा ले रहे हैं. हालांकि, कैटवॉक को कैमरे में कैद करने की पाबंदी है. इसके बावजूद सऊदी महिलाओं के लिए ये किसी सपने के सच होने जैसा है. बता दें कि इससे पहले भी सऊदी की राजशाही की तरफ से फैशन शो आयोजित हो चुके हैं लेकिन उसका मकसद चैरिटी रहा है.

पब्लिक कंसर्ट की आजादी

ये क्राउन प्रिंस की ही देन है कि सऊदी अरब में पहली बार किसी महिला ने कंसर्ट में परफॉर्म किया. लेबनान की सिंगर हिबा तवाजी ने दिसंबर, 2017 में फहद कल्चरल सेंटर में परफॉर्म किया था.

महिला दिवस के दिन एक और आजादी...

8 मार्च को सऊदी के कई शहरों में महिलाएं सुबह-सुबह सड़कों पर निकली और जॉगिंग की. आपके लिए, हमारे लिए ये आम हो सकता है, लेकिन ऐसे देश में जहां महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर एक्सरसाइज करने की आजादी नहीं थी, वहां के लिए ये बेहद खास था. इससे पहले मार्च में ही महिलाओं के लिए दौड़ का भी आयोजन किया गया था.

क्राउन प्रिंस के इस कदम की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है. उनकी पहल को बढ़ावा देने का ही नतीजा है कि साल 2017 में सऊदी अरब को संयुक्त राष्ट्र महिला अधिकार आयोग में चार साल के लिए चुना गया.

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