एक किलो भांग की तस्करी के आरोप में भारतीय मूल के एक व्यक्ति तंगराजू सुपैया (Indian Origin Hanged in Singapore) को सिंगापुर में फांसी की सजा देने के बाद उनके भतीजे शरण ने द क्विंट से बातचीत में कहा कि, "हम जो कुछ भी करें, वह अब हमेशा के लिए चले गए हैं. कुछ भी करके अब वह कभी वापस नहीं आ सकते."
46 वर्षीय तंगरादू को बुधवार, 26 अप्रैल को चांगी जेल परिसर में फांसी की सजा दी गई थी, और फांसी के एक दिन पहले सिंगापुर के राष्ट्रपति हलीमा याकूब ने क्षमा याचिका को खारिज कर दिया था. हालांकि, यह आरोप लगाया गया है कि इस मामले में कई खामियां हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून का भी उल्लंघन हुआ है.
तंगराजू सुपैया के परिवार ने रिचर्ड ब्रैनसन, UNHRC, एमनेस्टी, कई कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का समर्थन मांगा ताकी उनकी सजा को रोका जा सके, इसके लिए लंबे समय तक उन्होंने अभियान चलाया.
द क्विंट से फोन पर बातचीत के दौरान शरण ने कहा कि, "हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं बचा है, हम बहुत ज्यादा टूट चुके हैं और हम उनके जाने का गम नहीं सह सकते."
रोते हुए शरण बोले कि,
"सरकार को किसी भी इंसान का जीवन छीनने का अधिकार नहीं है. अब, भले ही हम कुछ करना चाहें, इससे कुछ नहीं होगा. हम सभी अभी भी इसी सोच में डूबे हैं कि हुआ क्या है और हम अभी भी किसी बात को हजम नहीं कर पा रहे."
तंगराजू के परिवार ने सिंगापुर सरकार से दया के लिए कई बार अपील की थी और कहा था, "कई सारे सवाल हैं जिनके जवाब अभी मिलना बाकी है, आप इसे न्याय कैसे कह सकते हैं? हमने केवल इतना ही मांगा था कि उनका जीवन बख्श दिया जाए, लेकिन कोई दया नहीं दिखाई गई."
तंगराजू की बहन के अनुसार, "उनका मानना था कि वह अदालत में अपनी बेगुनाही साबित कर सकते हैं क्योंकि उन्हें जब पकड़ा गया तब उनके पास कोई ड्रग नहीं था. इसके लिए उन्होंने ना ही पैसे दिए और ना ही पैसे लिए. पुलिस के पास कोई सबूत नहीं था कि उन्होंने ड्रग ऑर्डर किया है."
हालांकि, मामले में गिरफ्तारी के पांच साल बाद 2019 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी.
द क्विंट से बातचीत में तंगराजू की भतीजी शुभाशिनी ने कहा, "मुझे लगता है कि उनकी फांसी के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है. मेरे चाचा ने मुझसे ऐसा नहीं करने के लिए कहा था, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि उन्हें इस तरह याद रखा जाए."
वहीं ड्रग्ज के दुरुपयोग से निपटने के लिए सिंगापुर ने अपनी "जीरो टॉलरेंस पॉलिसी" को अपनाया और इसको लेकर मौत की सजा को "सिंगापुर की आपराधिक न्याय प्रणाली की जरूरत" बताया है.
द क्विंट से बातचीत में तंगराजू की भतीजी शुभाशिनी ने कहा कि, तंगराजू की इच्छा थी कि सिंगापुर के इतिहास में उनकी फांसी आखिरी हो.
शुभाशिनी ने कहा, "भले ही उन्होंने दोष कबूल नहीं किया, लेकिन उन्हें सजा मिली. उन्होंने मुझे केवल इतना कहा कि वह इस तरह मरने वाले अंतिम व्यक्ति होने की उम्मीद रखते हैं. उन्होंने कहा कि वह फांसी पर लटकाए जाने वाले आखिरी व्यक्ति होना चाहिए."
शुभाशिनी ने द क्विंट से कहा कि, "इसके बाद हम विरोध प्रदर्शन करेंगे. हम सिंगापुर में मौत की सजा के बारे में अपनी चिंता और विचार को आवाज देंगे. सरकार ऐसे ही किसी को भी मार नहीं सकती."
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