विदेश मंत्रालय के जवाब से साफ है कि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के दक्षिण चीन सागर पर दिए गए फैसले से भारत सरकार खुश है.
हेग में स्थित न्यायालय ने मंगलवार को चीन के दक्षिण चीन सागर पर दावे को खारिज कर दिया. गौरतलब है कि चीन 9 डैश लाइन तक अपना दावा जता रहा था, जो 1940 के एक मैप पर आधारित है.
हाल में एनएसजी मुद्दे पर चीन के विरोध के कारण यह फैसला भारत के लिए सुकून देने वाला लगता है.
द टाइम्स अॉफ इंडिया ने इस बारे में रिपोर्ट छापी है. एशियन सिक्योरिटी इन एशिया-पैसिफिक सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्टडीज, हवाई में प्रोफेसर डॉक्टर मोहन मलिक के मुताबिक, यह फैसला फिलीपींस के साथ-साथ भारत के लिए भी फायदेमंद है.
फैसला भारत के आर्थिक (विशेषकर वियतनाम के पास दक्षिण चीन सागर में तेलशोधन की वजह से) और रणनीतिक हितों के लिए फायदेमंद है. इससे दक्षिण-एशियाई देशों में भारतीय सेना की बढ़ती गतिविधियों को कानूनी और रणनीतिक वैधता मिलती है.प्रोफेसर मोहन मलिक
इस फैसले की वजह से चीन की भारत का विरोध करने की शक्ति कमजोर होगी, जिसकी वजह से भारत को एनएसजी की सदस्यता में बल मिलेगा.
अमेरिका ने इस मुद्दे पर सभी से न्यायाधिकरण की बात मानने की बात कही है. साथ में कहा कि यह कानूनी और आखिरी फैसला है.
गौरतलब है कि मंगलवार को चीन ने साफ कर दिया कि वो फैसले को नहीं मानता. वहीं पाकिस्तान ने इस मामले में चीन का समर्थन किया है.
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