श्रीलंका में चल रहे गंभीर आर्थिक संकट के बीच सरकार ने इमरजेंसी का ऐलान करते हुए 36 घंटों के लिए कर्फ्यू लगा दिया है. इसी बीच रिपोर्ट्स हैं कि श्रीलंका में लोगों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्सेस करने में दिक्कत आ रही है. श्रीलंका की सरकार ने आर्थिक संकट पर व्यापक विरोध को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया था. माना जा रहा है कि सरकार ने विरोध रोकने के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया है.
शनिवार, 2 अप्रैल को सरकार द्वारा लगाए गए 36 घंटे के कर्फ्यू की अवहेलना करने के लिए रविवार, 3 अप्रैल को श्रीलंका में 600 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया.
इंटरनेट ऑब्जर्वर NetBlocks की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे लोग फेसबुक, ट्विटर, WhatsApp, वाइबर और यूट्यूब समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं.
दूरसंचार नियामक आयोग के अध्यक्ष जयंता डी सिल्वा ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "सोशल मीडिया ब्लॉकआउट अस्थायी है और रक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए विशेष निर्देशों के कारण लगाया गया है. ये देश और लोगों के हित में शांति बनाए रखने के लिए लगाया गया था."
3 अप्रैल को होने वाले 'अरब स्प्रिंग' जैसे विरोध प्रदर्शन से पहले, श्रीलंका ने देशभर में कर्फ्यू घोषित कर दिया है.
भारत ने अपने पड़ोसी की मदद करते हुए 40,000 टन डीजल श्रीलंका भेजा है. श्रीलंका खाद्य पदार्थों के साथ-साथ ब्लैकऑउट और डीजल-पेट्रोल की किल्लत का सामना कर रहा है.
श्रीलंका में भारत के हाई कमिश्नर गोपाल बागले ने बताया कि भारत जनवरी से लेकर अब तक श्रीलंका की 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की मदद कर चुका है.
ब्रिटेन स्थित ह्यूमन राइट्स वॉचडॉग एमनेस्टी इंटरनेशनल ने श्रीलंका सरकार को सलाह दी कि सार्वजनिक सुरक्षा के नाम पर आपातकाल की घोषणा मानवाधिकारों के उल्लंघन का बहाना नहीं बनना चाहिए.
श्रीलंका विदेशी मुद्रा की कमी का सामना कर रहा है, जिसके कारण भोजन, ईंधन, बिजली और गैस की कमी हो गई है. इसके विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं.
श्रीलंका के युवा और खेल मंत्री नमल राजपक्षे ने कहा कि मैं सोशल मीडिया को अवरुद्ध करने की कभी भी निंदा नहीं करूंगा. मैंने वीपीएन का प्रयोग कर रहा हूं, जो ऐसे प्रतिबंधों में भी काम करता है. मैं अधिकारियों से आग्रह करता हूं कि इस फैसले पर पुनर्विचार करें.
'भारत ने तत्परता के साथ तत्काल अनुरोधों का जवाब दिया'
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने कहा कि भारत ने श्रीलंका के तत्काल अनुरोधों का जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि जनवरी से श्रीलंका को भारत की ओर से 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की सहायता पहुंचाई गई है.
बागले ने बताया कि जनवरी से अब तक 150,000 टन जेट विमानन ईंधन, डीजल और पेट्रोल की कुल खेपों में 4 फरवरी को हस्ताक्षर किए गए 500 मिलियन डॉलर की एक लाइन ऑफ क्रेडिट भी आ चुकी है और मई तक पांच और खेप आएंगे.
उन्होंने कहा कि
भोजन, दवा और जरूरी सामानों के लिए 1 अरब डॉलर की एक और लाइन ऑफ क्रेडिट पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत चावल की पहली खेप जल्द ही पहुंच जाएगी. आरबीआई ने 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुद्रा अदला-बदली और सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका द्वारा कई सौ मिलियन डॉलर के आस्थगित भुगतान का विस्तार किया है.
देश में लागू किए गए नए नियमों के तहत, राष्ट्रपति कानूनों को बदल सकते हैं या निलंबित कर सकते हैं, गिरफ्तारी का आदेश दे सकते हैं, संपत्तियों पर कब्जा कर सकते हैं और किसी भी परिसर की तलाशी ली जा सकती है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की दक्षिण एशिया क्षेत्रीय निदेशक, यामिनी मिश्रा ने कहा, "श्रीलंकाई अधिकारियों को उन प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए अनावश्यक या अत्यधिक बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जो एक आर्थिक संकट के परिणाम भुगत रहे हैं, जो नियंत्रण से बाहर हो रहा है."
यहां तक कि ऐसे मामलों में जहां विरोध हिंसक हो जाते हैं, कानून प्रवर्तन अधिकारियों को केवल बल का प्रयोग करना चाहिए जहां बिल्कुल जरूरी हो और यह स्थिति के सख्ती से आनुपातिक होना चाहिए. राज्य को भय पैदा करने और असंतोष को दबाने के लिए बल का उपयोग करने से बचना चाहिए.यामिनी मिश्रा
ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करने के ठीक बाद, 1948 के वित्तीय संकट के बाद से श्रीलंका एक अप्रत्याशित पैमाने के आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है.
शुक्रवार यानी 1 अप्रैल को जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च में कोलंबो में महंगाई 18.7 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि खाद्य महंगाई रिकॉर्ड 30.1 फीसदी पर पहुंच गई.
विदेशी मुद्रा की भारी कमी का सामना कर रहे श्रीलंका ने सहायता के लिए भारत और चीन दोनों की ओर रुख किया है, क्योंकि यह देश को इस संकट से बाहर निकालने और जनता के गुस्से को शांत करने के लिए संघर्ष कर रहा है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की श्रीलंकाई सहायक कंपनी ने शुक्रवार को कहा कि वह बिजली की कमी को कम करने के लिए 6,000 मीट्रिक टन ईंधन की आपूर्ति करेगी. शनिवार को, भारतीय व्यापारियों ने कहा कि वे श्रीलंका को 40,000 टन चावल भेजने की प्रक्रिया में हैं.
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