स्वीडन के शहर माल्मो में हिंसा भड़क उठी है. शुक्रवार को करीब 300 से ज्यादा लोग दक्षिणपंथी ग्रुप के खिलाफ विरोध कर रहे थे, इसी दौरान हिंसा भड़क उठी. दरअसल, ये सब तब शुरू हुआ जब दक्षिणपंथी ग्रुप ने पहले मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान को जलाया. कुरान जलाने से नाराज लोग उसी जगह पर बाद में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
पुलिस के मुताबिक यह प्रदर्शन उसी जगह पर हुआ था, जहां कुरान की प्रति जलाई गई थी. इसलिए यह मामला एक दूसरे से जुड़ता नजर आ रहा है.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि प्रतिबंधित डेनमार्क की हार्ड लाइन पार्टी के नेता रमसुस पालुदन को माल्मो शहर में मीटिंग की इजाजत नहीं दी गई, और उन्हें स्वीडन के बॉर्डर पर रोक दिया गया. रमसुस पालुदन माल्मो में "नॉर्डिक देशों में इस्लामीकरण" नाम से होने वाली मीटिंग के लिए आ रहे थे. इसी को देखते हुए माल्मो के प्रशासन को शक था कि पालुदन के पहुंचने से कानून व्यवस्था के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
प्रशासन ने रैसमस को गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद उसके समर्थकों ने रैली निकाली और इस दौरान कुरान को जलाया. स्वीडिश अखबार आफटोनब्लेट के मुताबिक रैसमस को स्वीडिश कलाकार और उत्तेजक लेखक डैन पार्क द्वारा आमंत्रित किया गया था, जिन्हें पहले ही जातीय समूहों के खिलाफ उकसाने का दोषी ठहराया गया है.
रमसुस पालुदन कौन है?
पालुदन डेनमार्क के एक राजनेता और वकील हैं, जिन्होंने 2017 में दक्षिणपंथी पार्टी स्टैम कर्स की स्थापना की. साथ ही ये YouTube पर मुस्लिम विरोधी वीडियो बनाने के लिए भी जाने जाते हैं, जिसमें कुरान का अपमान और उसे जलाने जैसे वीडियो शामिल हैं. अपनी ऐसी हरकतों को वो फ्री स्पीच के नाम पर सही ठहराते हैं.
जून में, पालुदन को उनकी पार्टी के सोशल मीडिया चैनलों पर इस्लाम विरोधी वीडियो पोस्ट करने के लिए नस्लवाद के आरोप में दोषी ठहराया गया था, जिस वजह से उन्हें तीन महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी और उन्हें वकालत से भी रोक दिया गया था. 2019 में, उन्हें नस्लवादी भाषण देने के लिए 14 दिनों के सशर्त कारावास की सजा सुनाई गई थी.
यही नहीं पालदुन को जून में नस्लवाद, मानहानि और खतरनाक ड्राइविंग सहित 14 मामलों में दोषी पाया गया और एक महीने की जेल हुई थी.
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