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ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने कहा- चीन के आगे नहीं झुकेगा ताइवान

चीन ने जो रास्ता निकाला है, वह ताइवान के लिए एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक तरीका प्रदान नहीं करता.

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चीन के राष्ट्रपति शी जिंपिंग (Xi Jinping) के ताइवान (Taiwan) के एकीकरण और उसे चीन के साथ मिलाने के बयान पर ताइवान की राष्ट्रपति का करारा जवाब आया है.

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने कहा है कि ताइवान चीन के किसी भी तरह के दबाव के आगे नहीं झुकेगा. साथ ही अपने लोकतांत्रिक जीवन शैली की रक्षा के लिए द्वीप की सुरक्षा को मजबूत करना जारी रखेगा.

मध्य ताइपे में ताइवान के राष्ट्रीय दिवस के दिन आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए साई इंग वेन ने कहा कि उन्हें ताइवान स्ट्रेट (ऐसा चैनल जो समुद्र को अलग करता हो बॉर्डर की तरह) में तनाव कम होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जल्दबाजी में काम नहीं करेगी, लेकिन उन्होंने कहा, "इस बात का बिल्कुल भी भ्रम नहीं होना चाहिए कि ताइवान के लोग दबाव के आगे झुकेंगे".
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राष्ट्रपति साई का मानना है कि "इसका कारण यह है कि चीन ने जो रास्ता निकाला है, वह न तो ताइवान के लिए एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक तरीका प्रदान करता है, ना ही हमारे दो करोड़ 30 लाख लोगों के लिए संप्रभुता प्रदान करता है".

ताइवान एक लोकतांत्रिक रूप से शासित द्वीप है जो मुख्य भूमि चीन के तट से लगभग 161 किलोमीटर (100 मील) दूर है.

दरअसल 1949 में चीनी गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद से दोनों देशों पर अलग-अलग सरकारों ने शासन किया है, जब कम्युनिस्टों ने बीजिंग में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की और हार का सामना करने वाले राष्ट्रवादी ताइवान भाग गए और उन्होंने वहां सरकार का गठन किया.

ताइवान के पास लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है और खुद की फौज भी है जिसमें 3 लाख जवान शामिल हैं. कई देश हैं जो ताइवान को संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देते हैं लेकिन अधिकतर देशों ने चीन की सरकार को ही मान्यता दी हुई है.

ताइवान की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हुई- साई

राष्ट्रपति साई ने ताइवान के राष्ट्रीय दिवस चीन से "समानता" के आधार पर बात करने की पेशकश दोहराई.

उन्होंने कहा कि ताइवान की सरकार चीन के साथ यथास्थिति को एकतरफा बदलने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगी.

साई ने कहा कि ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में चीन की नियमित सैन्य उपस्थिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा और विमानन सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. लेकिन ताइवान हमेशा लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़ा है.

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