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Taiwan Election|वोटिंग खत्म-कुछ देर में आएंगे नतीजे, यहां चीन-अमेरिका मुद्दा क्यों?

Taiwan Election 2024: ताइवान के चुनावी रेस में कौन-कौन उम्मीदवार हैं? इस चुनाव पर क्या दांव पर लगा है?

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साल 2024 सियासी नजरिए से दुनिया के लिए काफी अहम माना जा रहा है. इसकी वजह है कि इस साल कई देशों में चुनाव होने हैं. शनिवार, 13 जनवरी को ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव (Taiwan Election 2024) के लिए वोट डाले गए, जिसपर दुनिया की नजर होगी. इस चुनाव के नतीजे 2024 में देश की राजनीतिक दिशा तय करेंगे.

मतदान शनिवार सुबह शुरू हुआ और स्थानीय स्तर पर शाम 4 बजे (भारतीय समयानुसार दोपहर 1:30 बजे) समाप्त हुआ, ताइवान में रिजल्ट भी शाम तक आ जाएगा. पूरे ताइवान में मतदान केंद्रों पर गिनती चल रही है.

अपने ऐतिहासिक सैन्य शासन के प्रभुत्व वाले दौर को पीछे छोड़कर तीन दशकों से ज्यादा वक्त से ताइवान ने एक स्वशासित लोकतंत्र के रूप में काम किया है. सिर्फ 13 देशों द्वारा एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता प्राप्त होने के बावजूद, इसके नागरिक अपने लोकतंत्र को पसंद करते हैं.

Taiwan Election|वोटिंग खत्म-कुछ देर में आएंगे नतीजे, यहां चीन-अमेरिका मुद्दा क्यों?

  1. 1. ताइवान के चुनावी मैदान में तीन उम्मीदवार

    डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) को लीड करने वालीं, इंग-वेन के उत्तराधिकारी के रूप में लाई चिंग-ते राष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं. त्साई इंग-वेन इस बार रिटायर होंगी. टर्म लिमिट के कारण इस बार त्साई इंग-वेन राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकतीं.

    लाई चिंग-ते की रनिंग मेट (उप-राष्ट्रपति का उम्मीदवार) ह्सियाओ बी-खिम हैं जो अमेरिका में ताइवान की पूर्व राजदूत हैं.

    लाई चिंग-ते को शुरुआत में ताइवान की आजादी की अपनी मुखर वकालत के लिए पहचान मिली. हालांकि, उनका रुख "मौजूदा वक्त में जो स्थिति है" उसका समर्थन करने की ओर हो गया है.

    रनिंग मेट के रूप में ह्सियाओ बी-खिम के आने के बाद लाई चिंग-ते की अपील को काफी हद तक बढ़ावा मिला, खासकर युवा मतदाताओं के बीच. लाई चिंग-ते ने वाशिंगटन के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं.

    विरोधी मोर्चे पर अधिक रूढ़िवादी कुओमितांग (KMT) के मुख्य उम्मीदवार होउ यू-यी मैदान में हैं. होउ एक पूर्व पुलिस अधिकारी और न्यू ताइपे शहर के मशहूर मेयर रह चुके हैं. वे एक कामकाजी वर्ग के बैकग्राउंड से आते हैं, जो KMT द्वारा अपने पुराने और युवा समर्थकों के बीच अंतर को पाटने का एक प्रयास है.

    होउ के रनिंग मेट जॉ शॉ-कोंग हैं, जो एक मीडिया हस्ती हैं और चीन से अलग सरकार के तहत चीन-ताइवान एकीकरण के प्रबल समर्थक हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जॉ को उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में शामिल किए जाने की बात ने जनता का ध्यान आकर्षित किया है और कभी-कभी यह खुद होउ के चुनावी अभियान पर हावी पड़ा है.

    होउ चीन के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ाने और शांति बनाए रखने के साधन के रूप में उसके साथ बातचीत शुरू करने पर जोर देते हैं. हालांकि, ताइवान की आजादी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा प्रस्तावित "एक देश, दो प्रणाली" ("One Country, Two Systems") मॉडल की उनकी कट्टर अस्वीकृति चीन पर उनके रुख के बारे में अस्पष्टता छोड़ देती है.

    नवगठित ताइवान पीपुल्स पार्टी (TPP) की ओर से को वेन-जे (Ko Wen-je) राष्ट्रपति चुनाव की रेस में शामिल हैं और वे मंझे उम्मीदवारों को परेशान कर रहे हैं. ताइपे के पूर्व लोकप्रिय मेयर और सर्जन से राजनेता बने, को वेन-जे शासन के लिए अपने साइंटिफिक बैकग्राउंड का फायदा उठाते हुए, खुद को एक टेक्नोक्रेट के रूप में प्रचारित करते हैं.

    को वेन-जे की TPP (जो शुरू में KMT के खिलाफ खड़ी हुई) ने इस चुनावी मौसम के दौरान KMT पार्टी के साथ झुकाव दिखाया है. चीन से संबंधित नीतियों पर DPP और KMT के बीच "मध्यम मार्ग" का टारगेट रखने के बावजूद, को वेन-जे की रणनीतियां KMT की ओर झुकी दिखती हैं, जो उनके शुरुआती दावों के उलट है.

    Foxconn के संस्थापक, अरबपति टेरी गौ (Billionaire Terry Gou) कुछ वक्त के लिए एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में कूदे थे, लेकिन जनता का अच्छा सपोर्ट ने मिल पाने की वजह से नवंबर में वापस चले गए.

    नए राष्ट्रपति का शपथ मई 2024 में निर्धारित किया गया है.

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  2. 2. ताइवान में राष्ट्रपति कैसे चुना जाता है?

    ताइवान के नागरिक 13 जनवरी को तीन बार मतदान करेंगे:

    • सबसे पहले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव

    • दूसरा, स्थानीय विधायकों के चुनाव के लिए

    • तीसरा, पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों वाली "पार्टी लिस्ट" के लिए अपनी प्राथमिकता दर्ज कराना. 'पार्टी लिस्ट' पार्टियों को मिले वोट के अनुपात के आधार पर बनाई जाती है.

    राष्ट्रपति चुनाव में, साधारण बहुमत से जीत तय होती है, जिसमें किसी रन-ऑफ (दूसरे दौर का चुनाव) की जरूरत नहीं होती है.

    ताइवान की संसद- Legislative Yuan के लिए, वोटर्स के पास दो मतपत्र होते हैं- एक उनके स्थानीय जिले के उम्मीदवार के लिए और दूसरा किसी पार्टी के लिए.

    Legislative Yuan में 113 मेंबर शामिल होते हैं:

    • 73 निर्वाचन क्षेत्रों से,

    • 34 पार्टी लिस्ट्स से (जो किसी निर्वाचन क्षेत्र का नहीं पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं)

    • और छह स्वदेशी ताइवानी प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित

    ये सभी चार साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं

    34 सीटों पर आवंटन पार्टी को मिले वोटों के समानुपाती होता है. किसी पार्टी को संसद, Legislative Yuan में सीटें सुरक्षित करने के लिए, उसे कुल पार्टी वोटों का कम से कम 5 फीसदी हासिल करना होगा. इस लिस्ट की काफी अहमियत है, जो किसी पार्टी की लोकप्रियता को मापने का काम करती है.

    मतदान केंद्र सुबह 8 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 5:30 बजे) से शाम 4 बजे (भारतीय समयानुसार दोपहर 1:30 बजे) तक खुले रहेंगे और लगभग 19.5 मिलियन रजिस्टर्ड मतदाताओं के वोटिंग करने की उम्मीद है, जिसके नतीजे दिन के आखिरी तक आने की उम्मीद है.

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  3. 3. इन सबके बीच, चीन से जुड़ा एक सवाल

    चीन पर चर्चा किए बिना ताइवान के चुनाव का जिक्र करना भी मुश्किल है.

    ताइवान पर भले ही चीनी आक्रमण का खतरा दशकों से मंडरा रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों में तनाव बढ़ गया है, जो कि तीव्र सैन्य अभ्यास और चीन के अधिकारियों के बयानों से सुर्खियों में है. चीन के अधिकारियों ने कहा है कि सैन्य विकल्प एक आखिरी उपाय होगा. अगर ताइवान शांति से चीन में नहीं मिलता है तो बीजिंग अंतिम विकल्प के रूप में सैन्य ताकत का सहारा ले सकता है.

    चीन की CCP सरकार ताइवान को एक अलग हुआ प्रांत मानती है. चीनी सरकार DPP पार्टी को बाधा के रूप में देखती है और पार्टी को सत्ता से बाहर देखने की अपनी इच्छा को स्पष्ट कर चुकी है.

    सवाल है कि ऐसा क्यों?

    इसकी वजह है कि DPP की रणनीति विशेष रूप से अमेरिका के साथ मजबूत वैश्विक गठबंधनों को बढ़ावा देकर ताइवान की शांतिपूर्ण यथास्थिति को मजबूत करने पर केंद्रित है. त्साई या सियाओ की तुलना में लाई वाशिंगटन से थोड़ा दूर हैं लेकिन रनिंग मेट के रूप में अमेरिका में तैनात पूर्व ताइवानी राजदूत को शामिल करके लाई ने साफ किया है कि उनका उद्देश्य वाशिंगटन के साथ संबंधों को अच्छा बनाना है.

    लाई को चीन की सरकार खुले तौर पर नापसंद करती है.

    अपने दो कार्यकालों के दौरान, राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने ताइवान की सेना को आधुनिक बनाने और लोकतंत्र के समर्थक के रूप में अपनी ग्लोबल प्रजेंस को बढ़ाने को प्राथमिकता दी. चीन पर ताइवान की निर्भरता का मुकाबला करने के लिए DPP की रणनीति में पर्यटन को बढ़ावा देने सहित अमेरिका और अन्य क्षेत्रीय संस्थाओं के साथ संबंध मजबूत करना शामिल था.

    दूसरी तरफ, चीन और KMT ने वोट को युद्ध और शांति के बीच एक विकल्प के रूप में सामने रखा है. KMT के नेता होउ का तर्क है कि DPP का समर्थन करना दरअसल ताइवान को युद्ध के मैदान में ले जाने के बराबर है.

    KMT ने ताइवान की सुस्त आर्थिक बढ़ोतरी के लिए बीजिंग के साथ तनावपूर्ण संबंधों को भी जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें चीन में खोई हुई व्यावसायिक संभावनाओं और चीन के पर्यटकों से राजस्व का जिक्र किया गया है.

    अपने नए साल के संबोधन में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान के चीन में मिलने की "ऐतिहासिक अनिवार्यता" पर जोर दिया. चीनी सरकार का लक्ष्य सीधे सैन्य टकराव के बजाय राजनीतिक और आर्थिक दबाव के जरिए इस उद्देश्य को आगे बढ़ाना है.

    हालांकि लाई की संभावित जीत से चीन की तरफ से तुरंत सैन्य कार्रवाई शुरू होने की उम्मीद नहीं है, लेकिन ऐसी अटकलें आ रही हैं कि बीजिंग कार्रवाई शुरू करने के लिए मई में राष्ट्रपति पद के शपथ का इंतजार नहीं कर सकता है.

    विश्लेषकों का सुझाव है कि लाई की जीत के जवाब में चीन 2010 के व्यापार समझौते को निलंबित कर सकता है, जो विवाद का हालिया मुद्दा है. इसके अलावा, संभावित प्रतिक्रिया के रूप में द्वीप के आसपास के इलाके में चीनी सैन्य अभ्यास बढ़ने की भी आशंका है.

    यह रणनीति पिछले दो सालों में बीजिंग द्वारा दो बार लागू की गई है, विशेष रूप से अगस्त 2022 में तत्कालीन अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान की ऐतिहासिक यात्रा और राष्ट्रपति त्साई की उनके ट्रांजिट के दौरान टॉप अमेरिकी अधिकारियों के साथ अप्रैल 2022 में US बैठक जैसी अहम घटनाओं के जवाब में.

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  4. 4. घरेलू आर्थिक चिंताओं के साथ और भी बहुत कुछ

    चीन के बाद और शायद ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अहम घरेलू मुद्दे आर्थिक चिंताएं हैं.

    अभी सत्ता में मौजूद DPP के उम्मीदवार लाई ने मौजूदा प्रशासन की सामाजिक-आर्थिक नीतियों को जारी रखने का वादा किया है. उन्होंने जनता के सामने 'नेशनल प्रोजेक्ट ऑफ होप' पेश किया है जो प्रौद्योगिकी, वित्त, संचार, सामाजिक न्याय और एक स्वस्थ उम्रदराज समाज को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जाहिर करती है. साथ ही यह ग्रीन एनर्जी और नेट-जीरो उत्सर्जन जैसी पहलों के जरिए सतत विकास को प्राथमिकता देती है.

    दूसरी तरफ, KMT के नेता होउ ने 2016 में चुनावीअभियान के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में त्साई सरकार की कथित कमियों पर कुछ बातें कही हैं और बुजुर्गों की देखभाल के तरीकों में सुधार की वकालत की है. इसमें फ्री हेल्थ इंश्योरेंस का विस्तार करना और छह साल तक के बच्चों के लिए फ्री चाइल्डकेयर की स्थापना करना शामिल है.

    2050 तक परमाणु-मुक्त ताइवान और नेट-जीरो उत्सर्जन के लिए DPP के प्रयास को 'अत्यधिक आदर्शवादी' होने के लिए विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

    ताइवान की आजादी पर लाई का रुख कुछ ताइवान के मतदाताओं के बीच चिंता पैदा कर रहा है, जो संभावित रूप से उनकी चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर रहा है.

    ताइवान की ज्यादातर आबादी न तो एकीकरण और न ही आजादी का समर्थन करती है. ताइवान की आजादी के प्रति लाई का मजबूत झुकाव, उनकी संभावनाओं में बाधा बन सकता है, क्योंकि पिछले राष्ट्रपतियों ने यथास्थिति बनाए रखने पर जोर दिया था.

    (क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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भले ही चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने ताइवान पर शासन नहीं किया है, लेकिन वह इस द्वीप को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का हिस्सा बताती है.

ताइवान के होने वाले अगले राष्ट्रपति बीजिंग और वाशिंगटन, दोनों के साथ संबंधों को अहम रूप से प्रभावित करेंगे. ताइवान, क्षेत्र के अंदर और दुनिया भर में इन दोनों महाशक्तियों के बीच संघर्ष में एक फ्लैशप्वाइंट के रूप में खड़ा है.

राष्ट्रपति चुनाव के सभी तीन उम्मीदवारों ने रैलियों और सोशल मीडिया कैंपेन को बढ़ाकर अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. वोटिंग से पहले ओपिनियन पोल्स से पता चलता है कि उपराष्ट्रपति विलियम लाई के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) को बढ़त मिलता दिख रहा है. डीपीपी चीन से थोड़ी दुरी बना कर रखती है. वहीं बीजिंग की ओर ज्यादा झुकाव वाली कुओमितांग (KMT) पार्टी दूसरे नंबर पर दिख रही है. जबकि उभरती हुई मध्यमार्गी पार्टी- ताइवान पीपुल्स पार्टी (TPP) मौजूदा वक्त में तीसरे पायदान पर दिख रही है.

आइए जानते हैं कि ताइवान के चुनावी रेस में कौन-कौन उम्मीदवार हैं? इस चुनाव पर क्या दांव पर लगा है और इन सबमें चीन का क्या रोल है?

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ताइवान के चुनावी मैदान में तीन उम्मीदवार

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) को लीड करने वालीं, इंग-वेन के उत्तराधिकारी के रूप में लाई चिंग-ते राष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं. त्साई इंग-वेन इस बार रिटायर होंगी. टर्म लिमिट के कारण इस बार त्साई इंग-वेन राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ सकतीं.

लाई चिंग-ते की रनिंग मेट (उप-राष्ट्रपति का उम्मीदवार) ह्सियाओ बी-खिम हैं जो अमेरिका में ताइवान की पूर्व राजदूत हैं.

लाई चिंग-ते को शुरुआत में ताइवान की आजादी की अपनी मुखर वकालत के लिए पहचान मिली. हालांकि, उनका रुख "मौजूदा वक्त में जो स्थिति है" उसका समर्थन करने की ओर हो गया है.

रनिंग मेट के रूप में ह्सियाओ बी-खिम के आने के बाद लाई चिंग-ते की अपील को काफी हद तक बढ़ावा मिला, खासकर युवा मतदाताओं के बीच. लाई चिंग-ते ने वाशिंगटन के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं.

विरोधी मोर्चे पर अधिक रूढ़िवादी कुओमितांग (KMT) के मुख्य उम्मीदवार होउ यू-यी मैदान में हैं. होउ एक पूर्व पुलिस अधिकारी और न्यू ताइपे शहर के मशहूर मेयर रह चुके हैं. वे एक कामकाजी वर्ग के बैकग्राउंड से आते हैं, जो KMT द्वारा अपने पुराने और युवा समर्थकों के बीच अंतर को पाटने का एक प्रयास है.

होउ के रनिंग मेट जॉ शॉ-कोंग हैं, जो एक मीडिया हस्ती हैं और चीन से अलग सरकार के तहत चीन-ताइवान एकीकरण के प्रबल समर्थक हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जॉ को उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में शामिल किए जाने की बात ने जनता का ध्यान आकर्षित किया है और कभी-कभी यह खुद होउ के चुनावी अभियान पर हावी पड़ा है.

होउ चीन के साथ आर्थिक संबंधों को बढ़ाने और शांति बनाए रखने के साधन के रूप में उसके साथ बातचीत शुरू करने पर जोर देते हैं. हालांकि, ताइवान की आजादी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा प्रस्तावित "एक देश, दो प्रणाली" ("One Country, Two Systems") मॉडल की उनकी कट्टर अस्वीकृति चीन पर उनके रुख के बारे में अस्पष्टता छोड़ देती है.

नवगठित ताइवान पीपुल्स पार्टी (TPP) की ओर से को वेन-जे (Ko Wen-je) राष्ट्रपति चुनाव की रेस में शामिल हैं और वे मंझे उम्मीदवारों को परेशान कर रहे हैं. ताइपे के पूर्व लोकप्रिय मेयर और सर्जन से राजनेता बने, को वेन-जे शासन के लिए अपने साइंटिफिक बैकग्राउंड का फायदा उठाते हुए, खुद को एक टेक्नोक्रेट के रूप में प्रचारित करते हैं.

को वेन-जे की TPP (जो शुरू में KMT के खिलाफ खड़ी हुई) ने इस चुनावी मौसम के दौरान KMT पार्टी के साथ झुकाव दिखाया है. चीन से संबंधित नीतियों पर DPP और KMT के बीच "मध्यम मार्ग" का टारगेट रखने के बावजूद, को वेन-जे की रणनीतियां KMT की ओर झुकी दिखती हैं, जो उनके शुरुआती दावों के उलट है.

Foxconn के संस्थापक, अरबपति टेरी गौ (Billionaire Terry Gou) कुछ वक्त के लिए एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में कूदे थे, लेकिन जनता का अच्छा सपोर्ट ने मिल पाने की वजह से नवंबर में वापस चले गए.

नए राष्ट्रपति का शपथ मई 2024 में निर्धारित किया गया है.

ताइवान में राष्ट्रपति कैसे चुना जाता है?

ताइवान के नागरिक 13 जनवरी को तीन बार मतदान करेंगे:

  • सबसे पहले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव

  • दूसरा, स्थानीय विधायकों के चुनाव के लिए

  • तीसरा, पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों वाली "पार्टी लिस्ट" के लिए अपनी प्राथमिकता दर्ज कराना. 'पार्टी लिस्ट' पार्टियों को मिले वोट के अनुपात के आधार पर बनाई जाती है.

राष्ट्रपति चुनाव में, साधारण बहुमत से जीत तय होती है, जिसमें किसी रन-ऑफ (दूसरे दौर का चुनाव) की जरूरत नहीं होती है.

ताइवान की संसद- Legislative Yuan के लिए, वोटर्स के पास दो मतपत्र होते हैं- एक उनके स्थानीय जिले के उम्मीदवार के लिए और दूसरा किसी पार्टी के लिए.

Legislative Yuan में 113 मेंबर शामिल होते हैं:

  • 73 निर्वाचन क्षेत्रों से,

  • 34 पार्टी लिस्ट्स से (जो किसी निर्वाचन क्षेत्र का नहीं पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं)

  • और छह स्वदेशी ताइवानी प्रतिनिधियों के लिए आरक्षित

ये सभी चार साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं

34 सीटों पर आवंटन पार्टी को मिले वोटों के समानुपाती होता है. किसी पार्टी को संसद, Legislative Yuan में सीटें सुरक्षित करने के लिए, उसे कुल पार्टी वोटों का कम से कम 5 फीसदी हासिल करना होगा. इस लिस्ट की काफी अहमियत है, जो किसी पार्टी की लोकप्रियता को मापने का काम करती है.

मतदान केंद्र सुबह 8 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 5:30 बजे) से शाम 4 बजे (भारतीय समयानुसार दोपहर 1:30 बजे) तक खुले रहेंगे और लगभग 19.5 मिलियन रजिस्टर्ड मतदाताओं के वोटिंग करने की उम्मीद है, जिसके नतीजे दिन के आखिरी तक आने की उम्मीद है.

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इन सबके बीच, चीन से जुड़ा एक सवाल

चीन पर चर्चा किए बिना ताइवान के चुनाव का जिक्र करना भी मुश्किल है.

ताइवान पर भले ही चीनी आक्रमण का खतरा दशकों से मंडरा रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों में तनाव बढ़ गया है, जो कि तीव्र सैन्य अभ्यास और चीन के अधिकारियों के बयानों से सुर्खियों में है. चीन के अधिकारियों ने कहा है कि सैन्य विकल्प एक आखिरी उपाय होगा. अगर ताइवान शांति से चीन में नहीं मिलता है तो बीजिंग अंतिम विकल्प के रूप में सैन्य ताकत का सहारा ले सकता है.

चीन की CCP सरकार ताइवान को एक अलग हुआ प्रांत मानती है. चीनी सरकार DPP पार्टी को बाधा के रूप में देखती है और पार्टी को सत्ता से बाहर देखने की अपनी इच्छा को स्पष्ट कर चुकी है.

सवाल है कि ऐसा क्यों?

इसकी वजह है कि DPP की रणनीति विशेष रूप से अमेरिका के साथ मजबूत वैश्विक गठबंधनों को बढ़ावा देकर ताइवान की शांतिपूर्ण यथास्थिति को मजबूत करने पर केंद्रित है. त्साई या सियाओ की तुलना में लाई वाशिंगटन से थोड़ा दूर हैं लेकिन रनिंग मेट के रूप में अमेरिका में तैनात पूर्व ताइवानी राजदूत को शामिल करके लाई ने साफ किया है कि उनका उद्देश्य वाशिंगटन के साथ संबंधों को अच्छा बनाना है.

लाई को चीन की सरकार खुले तौर पर नापसंद करती है.

अपने दो कार्यकालों के दौरान, राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने ताइवान की सेना को आधुनिक बनाने और लोकतंत्र के समर्थक के रूप में अपनी ग्लोबल प्रजेंस को बढ़ाने को प्राथमिकता दी. चीन पर ताइवान की निर्भरता का मुकाबला करने के लिए DPP की रणनीति में पर्यटन को बढ़ावा देने सहित अमेरिका और अन्य क्षेत्रीय संस्थाओं के साथ संबंध मजबूत करना शामिल था.

दूसरी तरफ, चीन और KMT ने वोट को युद्ध और शांति के बीच एक विकल्प के रूप में सामने रखा है. KMT के नेता होउ का तर्क है कि DPP का समर्थन करना दरअसल ताइवान को युद्ध के मैदान में ले जाने के बराबर है.

KMT ने ताइवान की सुस्त आर्थिक बढ़ोतरी के लिए बीजिंग के साथ तनावपूर्ण संबंधों को भी जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें चीन में खोई हुई व्यावसायिक संभावनाओं और चीन के पर्यटकों से राजस्व का जिक्र किया गया है.

अपने नए साल के संबोधन में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान के चीन में मिलने की "ऐतिहासिक अनिवार्यता" पर जोर दिया. चीनी सरकार का लक्ष्य सीधे सैन्य टकराव के बजाय राजनीतिक और आर्थिक दबाव के जरिए इस उद्देश्य को आगे बढ़ाना है.

हालांकि लाई की संभावित जीत से चीन की तरफ से तुरंत सैन्य कार्रवाई शुरू होने की उम्मीद नहीं है, लेकिन ऐसी अटकलें आ रही हैं कि बीजिंग कार्रवाई शुरू करने के लिए मई में राष्ट्रपति पद के शपथ का इंतजार नहीं कर सकता है.

विश्लेषकों का सुझाव है कि लाई की जीत के जवाब में चीन 2010 के व्यापार समझौते को निलंबित कर सकता है, जो विवाद का हालिया मुद्दा है. इसके अलावा, संभावित प्रतिक्रिया के रूप में द्वीप के आसपास के इलाके में चीनी सैन्य अभ्यास बढ़ने की भी आशंका है.

यह रणनीति पिछले दो सालों में बीजिंग द्वारा दो बार लागू की गई है, विशेष रूप से अगस्त 2022 में तत्कालीन अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान की ऐतिहासिक यात्रा और राष्ट्रपति त्साई की उनके ट्रांजिट के दौरान टॉप अमेरिकी अधिकारियों के साथ अप्रैल 2022 में US बैठक जैसी अहम घटनाओं के जवाब में.

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घरेलू आर्थिक चिंताओं के साथ और भी बहुत कुछ

चीन के बाद और शायद ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अहम घरेलू मुद्दे आर्थिक चिंताएं हैं.

अभी सत्ता में मौजूद DPP के उम्मीदवार लाई ने मौजूदा प्रशासन की सामाजिक-आर्थिक नीतियों को जारी रखने का वादा किया है. उन्होंने जनता के सामने 'नेशनल प्रोजेक्ट ऑफ होप' पेश किया है जो प्रौद्योगिकी, वित्त, संचार, सामाजिक न्याय और एक स्वस्थ उम्रदराज समाज को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जाहिर करती है. साथ ही यह ग्रीन एनर्जी और नेट-जीरो उत्सर्जन जैसी पहलों के जरिए सतत विकास को प्राथमिकता देती है.

दूसरी तरफ, KMT के नेता होउ ने 2016 में चुनावीअभियान के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में त्साई सरकार की कथित कमियों पर कुछ बातें कही हैं और बुजुर्गों की देखभाल के तरीकों में सुधार की वकालत की है. इसमें फ्री हेल्थ इंश्योरेंस का विस्तार करना और छह साल तक के बच्चों के लिए फ्री चाइल्डकेयर की स्थापना करना शामिल है.

2050 तक परमाणु-मुक्त ताइवान और नेट-जीरो उत्सर्जन के लिए DPP के प्रयास को 'अत्यधिक आदर्शवादी' होने के लिए विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

ताइवान की आजादी पर लाई का रुख कुछ ताइवान के मतदाताओं के बीच चिंता पैदा कर रहा है, जो संभावित रूप से उनकी चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर रहा है.

ताइवान की ज्यादातर आबादी न तो एकीकरण और न ही आजादी का समर्थन करती है. ताइवान की आजादी के प्रति लाई का मजबूत झुकाव, उनकी संभावनाओं में बाधा बन सकता है, क्योंकि पिछले राष्ट्रपतियों ने यथास्थिति बनाए रखने पर जोर दिया था.

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