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अमेरिका में TCS कटघरे में,स्थानीय कर्मचारियों को निकालने का आरोप

टीसीएस का कहना है  उसने अमेरिकी कर्मचारियों को नहीं निकाला 

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देश की सबसे बड़ी आईटी आउटसोर्सिंग कंपनी TCS से अमेरिका में नस्लभेद मामले में सफाई मांगी गई है. कंपनी को इस बात पर जवाब देना है कि अमेरिकी इंजीनियरों को दक्षिण एशियाई इंजीनियरों की तुलना में नौकरी से निकालने का खतरा 13 गुना ज्यादा क्यों है?

कंपनी के खिलाफ कैलिफोर्निया में सुनवाई होगी. उसके खिलाफ कुछ अमेरिकी कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें किसी क्लाइंट से अटैच नहीं किया गया था इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया.

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हालांकि टीसीएस ने इस आरोप से इनकार किया है. कंपनी ने कहा है कि जो अमेरिकी कर्मचारी उसके खिलाफ मुकदम लड़ रहा है उसके खिलाफ कोई नस्लभेद नहीं किया गया है. उसे परफॉरमेंस के आधार पर निकाला गया है.

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टीएससी ने कहा,हमारे यहां सिर्फ टैलेंट बेंचमार्क

टीसीएस के खिलाफ इस आरोप के बाद अमेरिका में कर्मचारियों को अमेरिका में काम कराने के लिए एच-1बी वीजा मामले पर बहस एक बार फिर तेज हो गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा पर कर्मचारियों को अमेरिका लाने की निंदा की है. ट्रंप के कड़े रवैये के बाद अमेरिका में टीसीएस,इन्फोसिस और विप्रो जैसी भारतीय आईटी कंपनियां को अधिक संख्या में अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरियां देनी पड़ रही हैं.

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टीसीएस के प्रवक्ता ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है

अमेरिका और दूसरे देशों में इंडस्ट्री में बेस्ट टैलेंट देने की वजह से हमारी कंपनी को सफलता मिल रही है. हम इंडस्ट्री को टैलेंट देने में कोई भेदभाव नहीं करते. हम कर्मचारियों को उनकी स्किल और अपने क्लाइंट की जरूरत के मुताबिक बहाल करते हैं. टीसीएस फेडरल और राज्य सरकार के समान रोजगार अवसर के मौके के सिद्धांत और नियम पर विश्वास करती है.

टाटा समूह की कंपनी टीसीएस के दुनिया भर में 4 लाख कर्मचारी हैं. कंपनी की वैल्यू 100 अरब डॉलर है. कंपनी ने मार्च में खत्म हुई तिमाही में 19 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया है. कंपनी की ज्यादातर कमाई अमेरिका से होती है. जहां इसके सबसे ज्यादा ग्राहक फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियां हैं.

ये भी पढ़ें : अमेरिका में H-1B वीजा एप्लीकेशन नियम और कड़े,भारतीयों पर होगा असर

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