थाईलैंड में कई महीनों से चल रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच वहां की संसद के सदस्यों ने बुधवार को संविधान में बदलाव के विकल्पों पर वोटिंग की. इनमें से बहुत से सदस्यों ने, प्रदर्शनकारियों की ओर से उठी एक प्रस्ताव की मांग का विरोध किया, जिससे ताकतवर राजतंत्र की भूमिका में बदलाव हो सकता है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.
सीएनएन के मुताबिक, यह वोटिंग एक बड़े हिंसक प्रदर्शन के एक दिन बाद हुई है, जिसमें कम से कम 50 लोग घायल हो गए.
प्रदर्शन के दौरान संविधान को बदलने, प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओचा को हटाने और राजतंत्र में सुधार की मांग की गई.
संसद में प्रयुत के समर्थक बहुमत में हैं. संवैधानिक सुधार के 7 प्रस्तावों में से केवल एक ही राजशाही की भूमिका को संशोधित करने की अनुमति देगा.
हालांकि, सरकार कह चुकी है कि वो संविधान में संशोधन करने के लिए तैयार है, लेकिन राजतंत्र को छूने के लिए नहीं.
इस बीच, संसद के 487 निर्वाचित सदस्यों और 245 सीनेटरों द्वारा हर प्रस्ताव पर व्यक्तिगत वोटिंग में कई घंटे लगने की उम्मीद जताई गई.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रॉयल पैलेस ने राजतंत्र में सुधारों की मांगों पर बयान नहीं दिया है जो इसे संविधान के तहत जवाबदेह बनाएंगे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)