ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक कानून जिसके खिलाफ सड़क पर उतर आया है थाईलैंड  

थाईलैंड में प्रदर्शनकारी क्यों कर रहे - इस व्यवस्था को बस हमारी पीढ़ी के साथ ही खत्म कर दो, 10 मांगें

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

दक्षिण पूर्वी एशिया में बसा देश थाईलैंड, जिसका नाम आते ही जहन में खूबसूरत बीच की तस्वीरें उभर आती हैं, लेकिन आज इस देश के लोग सड़कों पर हैं. सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हजारों प्रदर्शनकारियों ने थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक की सड़क पर थ्री फिंगर सैल्यूट किया. यहां विरोध करने वालों का यही तरीका है. ऐसे में सवाल उठता है कि थाईलैंड लोग सड़कों पर क्यों उतर आए? आखिर हाईस्कूल और यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र सरकार के खिलाफ क्यों है?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

थाईलैंड में हुई इन 3 घटनाओं से पड़ा विरोध का बीज

  1. थाईलैंड में प्रो डेमोक्रेसी पार्टी एफएफपी (फ्यूचर फॉरवर्ड पार्टी) अपने करिश्माई नेता थानथोर्न जुनाग्रोंगुरुंगकिट के साथ लोकप्रिय हो रही थी, लेकिन सरकार ने 21 फरवरी 2020 को इसे भंग कर दिया. 15 मार्च 2018 को बनी इस पार्टी को युवाओं ने खूब पसंद किया. साल 2019 में चुनाव हुए तो उन्हें उम्मीद थी कि वोट के जरिए फिर से एक बार लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित होगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. एफएफपी को भंग करने के बाद से ही युवाओं में बहुत ज्यादा गुस्सा था.
  2. असंतोष तब और बढ़ गया जब 4 जून को खबर आई कि लोकतंत्र-समर्थक कार्यकर्ता वंचलेरार्म सतसकसित का कंबोडिया की राजधानी फेनोम फेम में अपहरण कर लिया गया था. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हाल के वर्षों में गायब होने वाले नौवें निर्वासित कार्यकर्ता हैं. हालांकि सरकार और सेना ने इसमें किसी भी तरह की साजिश से इनकार कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने हैशटैग के साथ "#whydoweneedaking?" कैंपेन चलाया, जिसे एक मिलियन से अधिक बार पोस्ट किया गया.
  3. हद तो तब हो गई, जब 9 जुलाई को तिवागर्न विनीटन नाम के मानवाधिकार कार्यकर्ता को एक नारा लिखे टीशर्ट पहनने पर पागलखाने भेज दिया गया. तिवागर्न ने जो टीशर्ट पहनी थी, उसपर लिखा था, "मेरा राजशाही से विश्वास उठ चुका है". उसे खॉन केन में अस्पताल में भर्ती कराया गया था.तिवागर्न का 14 दिन तक इलाज किया गया.

अब सवाल उठता है कि थाईलैंड में प्रदर्शन कर रहे लोगों को क्या चाहिए? इसका जवाब प्रदर्शन के दौरान लगने वाले नारों से मिलता है. प्रदर्शनकारियों के नारों में से एक है "इसे हमारी पीढ़ी के साथ समाप्त करें". वे बार-बार होने वाले तख्तापलट से थक गए हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे राजशाही के विरोध में नहीं हैं बल्कि इसे और बेहतर और आधुनिक करने की मांग कर रहे हैं. हाल ही में 10 हजार लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और राजशाही सुधार की 10 मांगों को रखा.

प्रदर्शनकारियों की 10 मांगें

  1. संविधान के अनुच्छेद 6 को खत्म करना. इसके तहत कोई भी व्यक्ति राजा की कानूनी शिकायत नहीं कर सकता है.
  2. अनुच्छेद 112 को निरस्त करें. प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि इसे निरस्त कर राजतंत्र की आलोचना करने के लिए आजादी मिले.
  3. शाही बजट से राजा के व्यक्तिगत वेल्थ को अलग करें, जो करदाताओं के पैसे से आता है.
  4. देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए शाही बजट को कम करें.
  5. राजा की मिलिट्री पावर को हटा दें. इसके अलावा जो जरूरी नहीं है उन बॉडीज को खत्म कर दें.
  6. रॉयल चैरिटी प्रोजेक्ट को खत्म करना. शाही खर्च के लिए चेक और बैलेंस का एक सिस्टम तैयार करना.
  7. राजा अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को सार्वजनिक नहीं करेगा.
  8. राजशाही संस्थानों के लिए जनसंपर्क अभियान को खत्म करना.
  9. राजशाही की आलोचना के दौरान जिन नागरिकों की हत्या हुई है, उसकी जांच कर सच्चाई का पता लगाया जाए कि उनकी मौत कैसे हुई?
  10. राजा आगे चलकर कभी भी तख्तापलट का समर्थन न करे.

थाईलैंड में विरोध प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह रामा प्रथम से लेकर रामा दशम तक चले आ रहे शाही परिवार के लिए बनाया गया क्रिमिनल कोड का आर्टिकल 112 है, जो शाही परिवार की कई तरह से सुरक्षा करता है. जानिए कैसे-

  • थाईलैंड में शाही परिवार की आलोचना करना गैर कानूनी है. आलोचना करने पर 15 साल तक की सजा हो सकती है.
  • यहां लेसे-माजेस्ट (Lese-majeste) कानून, राजशाही के अपमान की मनाही करता है. यह दुनिया के सख्त कानूनों में से एक है. इसे तब और कड़ा कर दिया गया, जब 2014 में सेना ने तख्तापलट किया, जिसके बाद कई लोगों को कठोर सजा दी गई.
  • थाईलैंड के क्रिमिनल कोड के आर्टिकल 112 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति राजा, रानी, वारिस या राज प्रतिनिधि (राज्य करने वाला शासनकारी) को अपमानित करता है उसे तीन से 15 साल तक की जेल की सजा दी जाएगी.
  • कोई भी व्यक्ति राजा पर किसी भी प्रकार के आरोप या कार्रवाई का खुलासा नहीं कर सकता.
  • आलोचकों का कहना है कि लेसे-माजेस्ट (Lese-majeste) के तहत शिकायतें किसी के द्वारा किसी के भी खिलाफ की जा सकती हैं. गिरफ्तार किए गए लोगों को जमानत नहीं दी जाती.
  • थाईलैंड में यह कानून लंबे समय से है लेकिन सेना के सत्ता में आने के बाद मुकदमों की संख्या में तेजी आई है. सजा और भी ज्यादा गंभीर हो गई है. 2016 में आरोप लगाए गए लोगों में से केवल 4% को बरी किया गया.
  • बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोगों को ऑनलाइन गतिविधि पर भी लेसे-माजेस्ट (Lese-majeste) के तहत गिरफ्तार किया गया है. जैसे कि दिवंगत राजा भूमिबोल के पसंदीदा कुत्ते की फोटो को फेसबुक पर पोस्ट करना और उस फोटो पर लाइक बटन पर क्लिक करना अपमानजनक माना गया.
  • हाल के महीनों में विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के बाद दर्जनों प्रदर्शनकारियों पर कई अन्य अपराधों के आरोप लगाए गए हैं. थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रथुथ चान-ओचा (Prime Minister Prayuth Chan-ocha) ने कहा, वह संविधान के बारे में प्रदर्शनकारियों की कुछ मांगों पर विचार करेंगे, लेकिन राजशाही की आलोचना नहीं की जानी चाहिए.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

थाईलैंड का गरीबी का बुरा हाल, लेकिन राजशाही ठाठ में कमी नहीं

थाईलैंड में हाईस्कूल और यूनिवर्सिटी के छात्र प्रदर्शन मे सबसे आगे हैं. ऐसा करने के पीछे वजह भी है. दरअसल, थाईलैंड में हाल के वर्षों में गरीब और अमीर के बीच खाई बढ़ी है. वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की गरीबी दर 2015 और 2018 के बीच 7.2% से बढ़कर 9.8% हो गई, जिससे लगभग 2 मिलियन नए लोग गरीबों की श्रेणी में आ गए, लेकिन राजशाही ठाठ ऐसा कि भूमिबोल अतुल्यतेज के अंतिम संस्कार में 585 करोड़ रुपए खर्च कर दिए जाते हैं. इसीलिए देश का युवा सड़कों पर है और कह रहा है कि इस व्यवस्था को बस हमारी पीढ़ी के साथ ही खत्म कर दो, भविष्य के थाईलैंड के लिए कुछ नया करने और नया सोचने का वक्त आ गया है

मौजूदा राजा वाचिरालोंगकोन की अय्याशी के बड़े चर्चे हैं. 2019 में बॉडीगार्ड को कंसोर्ट का टाइटल देते वक्त तस्वीरें बड़ी चर्चा में आईं जब वो जमीन पर लेटकर राजा का अभिवादन कर रही थीं. वहां यही परंपरा है. बड़े से बड़ा अफसर भी राजा के सामने खड़ा नहीं होता. महज तीन बाद उनसे सारे टाइटल छीन लिए गए. वाचिरालोंगकोन को सनकी भी माना जाता है. उन्होंने अपने कुत्ते फुफु को एयर मार्शल बना दिया था. जब वो मरा तो चार दिन का शोक मनाया. अपनी तीसरी पत्नी को उनके बर्थडे पर कुत्ते के साथ केक शेयर करने को कहा.

थाईलैंड में 1932 तक राजा ही सबसे बड़ा होता था

भारत से 4,163 किमी की दूरी पर थाईलैंड है. राजधानी बैंकॉक है. यहां के पटाया और फुकेट प्रमुख पर्यटन स्थल हैं. 1932 से पहले यहां राजा ही सबसे बड़ा होता था. फिर राजशाही के खिलाफ विद्रोह हुआ, और पहली बार लिखित संविधान आया, जिसके हिसाब से यह देश चलता है. राजा मुखिया होता है, लेकिन देश चलाने के लिए संविधान है, जिसमें सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री है, जिसे नेशनल असेंबली के दोनों सदनों द्वारा चुना जाता है.

थाईलैंड में अभी भी राजा, लेकिन संविधान से चलता है देश

थाईलैंड में अभी 'चक्री' राजवंश के राजा हैं, जिन्हें रामा के रूप में जाना जाता है. रामा नाम को विष्णु के अवतार भगवान राम के नाम से अपनाया गया है. राम नाम का उपयोग यहां के राजवंश में राजा को संख्या देने की थाई प्रथा के हिसाब से है. जैसे कि अभी थाईलैंड में रामा दशम हैं, जिनका नाम महा वाचिरालोंगकोन है. ये साल 2016 से राजा बने. इससे पहले महा वाचिरालोंगकोन के पिता भूमिबोल अतुल्यतेज सात दशक (70 साल) यानी 1946 से लेकर 2016 तक यहां के राजा थे. उन्हें रामा IX महान भी कहा जाता है. 13 अक्टूबर 2016 को उनका निधन हो गया.

थाईलैंड के लोगों ने आजादी के नाम पर सरकार, सेना और राजतंत्र का संघर्ष ही देखा है

थाईलैंड का अर्थ आजाद देश है, लेकिन यहां पर लोगों ने आजादी के नाम पर सरकार, सेना और राजतंत्र के बीच संघर्ष ही देखा है. यही वजह है कि 1932 में देश में राजशाही खत्म होने के बाद कम से कम 12 बार सैन्य तख्तापलट हो चुका है. एपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह देश हर 6 साल में एक तख्तापलट देखता है. थाईलैंड के वर्तमान प्रधानमंत्री प्रथुथ चान-ओचा एक पूर्व जनरल हैं, जिन्होंने 2014 में एक निर्वाचित सरकार को बाहर करने के लिए तख्तापलट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×