तीन वैज्ञानिकों को लीथियम आयन बैटरी के विकास पर काम के लिए 9 अक्टूबर को केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार देने का ऐलान किया गया. यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से जुड़े अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन गुडइनफ, बिंघमटन में स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के एम स्टेनली व्हिटिंघम और जापान के असाही कासेई कॉर्पोरेशन एंड मीजो यूनिवर्सिटी के अकीरा योशिनो को पुरस्कार से नवाजा जाएगा.
ये बैटरीज हल्की और दोबारा रिचार्ज की जा सकती हैं. इस बैटरियों का इस्तेमाल अब मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों तक सभी में होता है.
नोबेल एकेडमी के महासचिव गोरान हैनसॉन ने कहा कि ये पुरस्कार एक ‘रिचार्ज होने वाली दुनिया’ को लेकर है. नोबेल कमेटी ने एक बयान में कहा कि लीथियम आयन बैटरियों ने हमारी जिंदगियों को बदल दिया है और इन वैज्ञानिकों ने एक बेहतर, फॉसिल फ्यूल मुक्त समाज की बुनियाद रखी.
नोबेल कमेटी ने कहा कि लीथियम आयन बैटरी के विकास की शुरूआत 1970 के दशक में तेल संकट के दौरान हुई थी, जब व्हिटिंघम ऐसी ऊर्जा तकनीकों पर काम कर रहे थे जो पेट्रोल-डीजल जैसे फॉसिल फ्यूल से मुक्त हों.
इस पुरस्कार के तहत स्टॉकहोम और नॉर्वे के ओस्लो में 10 दिसंबर को एक समारोह में 90 लाख क्रोनोर (9,18,000 डॉलर) की नगद राशि, एक स्वर्ण पदक और डिप्लोमा दिया जाता है. 10 दिसंबर को इस पुरस्कार के संस्थापक स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि है.
डायनामाइट के आविष्कारक नोबेल ने फैसला किया था कि फिजिक्स, केमिस्ट्री, चिकित्सा औार साहित्य के नोबेल पुरस्कार स्टॉकहोम में और शांति का नोबेल पुरस्कार ओस्लो में दिए जाएंगे.
(इनपुट: भाषा)
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