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TIME मैगजीन की पहली ‘किड ऑफ द ईयर’ बनीं गीतांजलि, कमाल का टैलेंट

सिर्फ 15 साल की नन्हीं इनोवेटर ने हाल ही में जीता अमेरिका का टॉप यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड

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मशहूर टाइम मैगजीन के किड ऑफ द ईयर का खिताब भारतीय मूल की गीतांजलि राव को दिया गया है. टाइम ने अपने कवर पेज में 15 साल की गीतांजलि को जगह दी है. गीतांजलि राव कोई आम बच्ची नहीं हैं, बल्कि उन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में कई कारनामे कर दिखाए हैं. वो एक साइंटिस्ट और इनोवेटर हैं. टाइम मैगजीन के लिए हॉलीवुड की सुपरस्टार एंजलीना जोली ने गीतांजलि का इंटरव्यू लिया.

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टाइम मैगजीन ने पहली बार किड ऑफ द ईयर के लिए नॉमिनेशन मांगे थे. इसके लिए करीब 5 हजार नॉमिनीज को चुना गया था, जिनमें से गीतांजलि ने पहला स्थान हासिल किया और टाइम मैगजीन के कवर पेज पर छा गईं. गीतांजलि ने हाल ही में अमेरिका का टॉप यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी अपने नाम किया था.

क्या है गीतांजलि की इनोवेशन?

अब पहले आपको ये बता देते हैं कि गीतांजलि ने आखिर ऐसा क्या किया है. दरअसल गीतांजलि राव ने सिर्फ 15 साल की उम्र में एक ऐसा सेंसर बनाया है जिससे पानी में लेड की मात्रा का आसानी से पता लगाया जा सकता है. साथ ही सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें किसी बहुत ज्यादा महेंगे डिवाइस का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ये डिवाइस एक मोबाइल की तरह दिखता है और इसका नाम गीतांजलि ने "टेथिस" रखा है. पानी में सिर्फ कुछ सेकेंड तक डालने के बाद, डिवाइस से कनेक्टेड ऐप कुछ ही देर में बता देता है कि पानी में कितनी लेड की मात्रा है. अब गीतांजलि के इस प्रोटोटाइप पर अमेरिका के साइंटिस्ट भी काम कर रहे हैं.

अमेरिका में कई जगहों पर पानी में लेड यानी सीसे की मात्रा ज्यादा पाई जाती है. इसे मापने के लिए अब तक जो तरीके इस्तेमाल होते हैं वो या तो काफी जटिल हैं, या फिर उनमें काफी वक्त लग जाता है. कई तरीके ऐसे हैं, जिनमें रिजल्ट 100 फीसदी सही नहीं मिल पाता है. अब नन्हीं साइंटिस्ट गीतांजलि के इस इनोवेशन से काफी बड़ा फायदा हो सकता है.

10 साल की उम्र में शुरू की रिसर्च

अब टाइम मैगजीन को दिए गए इंटरव्यू के दौरान इस 15 साल की साइंटिस्ट ने क्या-क्या जवाब दिए वो आपको बताते हैं. हॉलीवुड स्टार एंजेलीना जोली ने जब गीतांजलि से पूछा कि आपको कब पता लगा कि साइंस आपका पैशन है? इस सवाल के जवाब में गीतांजलि ने कहा कि उनकी लाइफ में ऐसा कोई अहा मोमेंट नहीं था. वो सिर्फ हमेशा दूसरों के चेहरे पर मुस्कुराहट देखना पसंद करती थीं. उन्होंने कहा,

“मेरा हर दिन का गोल यही रहता था कि आज किसके चेहरे पर मुस्कान देखूं. किसे खुशी दूं. आगे चलकर ये इसमें बदल गया कि मैं कैसे अपने समाज में पॉजिटिविटी ला सकती हूं. जब मैं दूसरी या तीसरी क्लास में थी तो मैंने सोचा कि कैसे हम साइंस के जरिए समाजमें बदलाव ला सकते हैं. मैं 10 साल की थी, जब मैंने अपने पेरेंट्स से कहा कि मैं कार्बन नैनोट्यूब सेंसर टेक्नोलॉजी पर रिसर्च करना चाहती हूं.”
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साइबर बुलिंग को लेकर भी बनाया ऐप

गीतांजलि ने सिर्फ लेड इन वाटर पर ही काम नहीं किया है, बल्कि वो इस तरह के कई और कारनामे भी कर चुकी हैं. उन्होंने एक ऐसा ऐप तैयार किया है जो साइबर बुलिंग को रोकने में कामयाब है. जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया तो गीतांजलि ने कहा कि,

“ये एक तरह की सर्विस है, जिसका नाम काइंडली (Kindly) है. ये एक ऐप और क्रोम एक्सटेंशन है, जो शुरुआती स्तर पर ही साइबर बुलिंग को पकड़ सकता है. यानी अगर कोई बुलिंग (गंदी भाषा का इस्तेमाल) कर रहा है तो ये आपको पहले ही आगाह कर देगा. मैंने इसमें कुछ शब्दों के साथ कोडिंग की है, जिन्हें बुलिंग माना जा सकता है. अगर इसके आसपास का कोई शब्द इस्तेमाल किया जाता है तो ये बताता है कि आपके साथ बुलिंग हो रही है.”

गीतांजलि ने कहा कि इस ऐप का मकसद किसी को सजा देना नहीं है, बल्कि इससे हम उन्हें एक मौका दे सकते हैं कि वो जो बोल रहे हैं उसके बारे में एक बार सोच लें.

30 हजार से ज्यादा बच्चों को दे चुकी हैं टिप्स

अगर आपको लगता है कि गीतांजलि सिर्फ खुद ही इनोवेशन और रिसर्च करती रहती हैं तो आप गलत हैं. ये 15 साल की नन्हीं साइंटिस्ट हजारों बच्चों को पढ़ाती भी हैं. यानी नए इनोवेटर्स को रास्ता दिखाने का काम करती हैं. गीतांजलि ने बताया कि अब तक वो 30 हजार से ज्यादा बच्चों की मेंटर (गुरु) रह चुकी हैं. उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि मैं इनोवेटर्स की एक कम्युनिटी तैयार कर रही हूं. जो कि मेरे लिए सुपर एक्साइटिंग है.

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