अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने US Supreme Court के जस्टिस के लिए एमी कोनी बैरेट (Amy Coney Barrett) को नॉमिनेट किया है. इस बीच US Election में ट्रंप के प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन ने कहा है कि कुछ ही दिनों में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में सीनेट को राष्ट्रपति चुनाव के बाद नियुक्ति पर आगे बढ़ना चाहिए, नहीं तो यह जल्दबाजी होगी. तो आइए जानते हैं आखिर अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस का चयन होता कैसे है, इसको लेकर वहां क्यों विवाद खड़ा हो गया है.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में कैसे नियुक्त होते हैं जस्टिस?
अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में नौ सदस्य जस्टिज होते हैं. इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के नॉमिनेशन और सीनेट की मंजूरी पर होती है. सबसे पहले अमेरिका का राष्ट्रपति किसी भी जज को सुप्रीम कोर्ट के लिए नामित या नॉमिनेट करता है. उसके बाद सीनेट में नामित जज के नाम पर वोटिंग की जाती है, यहां मिले वोटों के आधार पर तय होता है कि नॉमिनेट किया गया जज अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायधीश बनेगा या नहीं.
चूंकि वर्तमान में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी का सीनेट में बहुमत है, ऐसे में ट्रंप के नॉमिनेशन को सीनेट की मंजूरी मिलना मुश्किल नहीं है.
अब नॉमिनेशन के बाद क्या होगा?
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ट्रंप द्वारा एमी कोनी बैरेट के नॉमिनेशन के बाद सीनेट उम्मीदवार की विभिन्न पहलुओं पर जांच करेगी. सीनेट द्वारा उम्मीदवार से उसके क्लाइंट्स, सोर्स ऑफ इनकम, स्पीकिंग फीस, यात्रा के स्थान, मीडिया को दिए गए इंटरव्यू और लेखन के साथ-साथ पसंदीदा आइसक्रीम के फ्लेवर तक की छोटी से छोटी जानकारी मांगी जाएगी. आम तौर पर यह प्रश्नावली 100 पेजों की होती है.
राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट को मिलेगी नई जस्टिस?
सीनेट की न्यायिक समिति के अध्यक्ष लिंडसे ग्राहम ने फॉक्स न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में कहा है कि यह प्रक्रिया तेजी से पूरी होगी. हम सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस की नियुक्ति राष्ट्रपति चुनाव से पहले पूरा कर लेना चाहते हैं. ग्राहम के मुताबिक 12 अक्टूबर से एमी कोनी बैरेट सुप्रीम कोर्ट कॅन्फर्मेशन हियरिंग शुरू करना चाहती हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि यह प्रक्रिया 26 अक्टूबर तक पूरी हो सकती है. बता दें कि अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होनी है.
- सबसे पहले राष्ट्रपति किसी जज को नामित करते हैं.
- उसके बाद जहां एक ओर सीनेट द्वारा जांच की जाएगी, वहीं दूसरी ओर FBI उम्मीदवार के बैकग्राउंड की जांच शुरू करती है
- इसके बाद कई सीनेटर द्वारा प्राइवेट क्लोज डोर मीटिंग होंगी जो 15 मिनट से घंटे भर तक की भी हो सकती हैं.
- उसके बाद पब्लिक हियरिंग होगी, जो 22 सदस्यों वाली न्याययिक कमेटी करती है
- हियरिंग के बाद ज्यूडिशियरी कमेटी अपना मत देती है. उसके बाद सीनेट में मतदान होता है.
- अंत में सीनेट उम्मीदवार पर मुहर लगाती है. चूंकि वर्तमान में सीनेट की स्थिति 53-47 के अनुसार रिपब्लिकन का पलड़ा भारी है, ऐसे में डेमोक्रेट्स चाहकर भी कुछ खास नहीं कर सकते हैं.
- अगर किसी कारणवश उम्मीदवार को 50-50 फीसदी वोट मिलते हैं और मतदान बराबरी पर छूटता है तो ऐसे में उपराष्ट्रपति निर्णायक मतदान कर सकते हैं.
क्यों हो रहा विवाद?
अमेरिका में डेमोक्रेट्स इसका विरोध इसलिए भी कर रहे हैं, क्योंकि 2016 में जब बराक ओबामा राष्ट्रपति थे तब रिपब्लिकन पार्टी ने करीब एक साल तक सुप्रीम कोर्ट में नए जस्टिस की नियुक्ति नहीं होने दी थी. ट्रंप अपने एक कार्यकाल के दौरान अब तक सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की नियुक्ति कर चुके हैं. अगर वह तीसरे जस्टिस की नियुक्ति करते हैं, तो इसका बड़ा असर होगा. कोर्ट में ट्रंप के पक्ष में न्यायधीशों का झुकाव बढ़ सकता है. ऐसे में ट्रंप अपने एजेंडों को तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट और न्यायधीशों का इतिहास
- अमेरिकी संविधान के अर्टिकल तीन के मुताबिक अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 1789 में हुई है.
- उस समय तात्कालिक राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन ने छह न्यायधीशों की नियुक्ति की थी, इन जजों को तब तक सेवा के लिए नियुक्त किय गया था जब तक इनकी मृत्यु नहीं हो जाती या जब तक ये रिटायर नहीं होते.
- सुप्रीम कोर्ट की स्थापना से लेकर अब तक 114 जज अमेरिका के इतिहास में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बन चुके हैं.
- अब तक के 114 न्यायधीशों में 108 श्वेत रहे हैं.
- 231 वर्षों के सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में महज 5.3% जस्टिस ही महिला या अल्पसंख्य वर्ग के रहे हैं.
- 5.3% में चार महिला जस्टिस थीं और दो अल्पसंख्य थे.
- वर्तमान में US सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीशों की संख्या नौ होती है.
- रूथ गिन्सबर्ग के निधन के बाद अभी जो आठ जस्टिस हैं उनमें से 3 को जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने, 2 को ट्रंप ने, 2 को ओबामा ने और एक को बिल क्लिंटन ने नॉमिनेट किया था.
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