अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने बुधवार को ऐलान किया कि वह देश की तीन बड़ी टेक कंपनियों (फेसबुक, ट्विटर और गूगल) के साथ-साथ उनके सीईओ के खिलाफ भी मुकदमा दायर कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी एपी की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.
ट्रंप का दावा है कि उन्हें इन कंपनियों की ओर से गलत तरीके से सेंसर किया गया है. उन्होंने एक न्यूज कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हम शैडो-बैनिंग को खत्म करने, मौन कराने को रोकने और ब्लैक लिस्ट में डालने जैसी गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.
बता दें कि 6 जनवरी को कैपिटल बिल्डिंग में ट्रंप समर्थकों के हंगामे के बाद ट्विटर और फेसबुक ने ट्रंप को अपने-अपने प्लेटफॉर्म पर सस्पेंड कर दिया था. कंपनियों ने इस बात की चिंता जताई थी कि ट्रंप आगे और हिंसा को बढ़ावा दे सकते हैं. मौजूदा वक्त में, ट्रंप इनमें से किसी भी प्लेटफॉर्म पर कुछ पोस्ट नहीं कर सकते.
फिर भी, ट्रंप ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के बारे में यह दावा करना जारी रखा है कि असल में उस चुनाव में उनकी जीत हुई थी. वह आरोप लगाते रहे हैं कि चुनाव में धांधली की वजह से जो बाइडेन विजेता बन पाए. हालांकि चुनाव अधिकारियों और अदालतों को ट्रंप के इन दावों का समर्थन करने वाला कोई सबूत नहीं मिला है.
बता दें कि कम्युनिकेशन डीसेंसी एक्ट 1996 की धारा 230 के तहत, इंटरनेट कंपनियों को आम तौर पर यूजर्स द्वारा पोस्ट की जाने वाली सामग्री के लिए जवाबदेही से छूट दी जाती है. यह कानून, जो इंटरनेट कंपनियों के लिए एक "सेफ हार्बर" प्रदान करता है, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को उन पोस्ट को हटाकर अपनी सेवाओं को मॉडरेट करने की भी अनुमति देता है, जो अश्लील हों या सेवाओं के मानकों का उल्लंघन करते हों.
हालांकि, ट्रंप और कई अन्य राजनेताओं ने लंबे समय से दलील दी है कि ट्विटर, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने इस सुरक्षा का दुरुपयोग किया है.
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