हाल ही में जारी यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) के नए कोविड -19 यात्रा नियमों में दुनिया के कई देशों में लग रही वैक्सीनों को मान्यता देने से इनकार किया गया. भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी यूके के कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता न देने के फैसले को ‘भेदभावपूर्ण नीति’ करार देते हुए वहां के यात्रियों पर भी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दे डाली. हालांकि इसके बाद मंजूरी मिली और अब सर्टिफिकेशन को लेकर बातचीत जारी है.
लेकिन विरोध की आवाज सिर्फ भारत से ही नहीं उठी बल्कि लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कई देशों ने इसे एक अतार्किक और भेदभावपूर्ण नीति करार देते हुए व्यापक विरोध जताया है.
यूके के ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी ग्रांट शाप्स ने इंग्लैंड के नए यात्रा नियमों को "अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के लिए एक नई सरलीकृत प्रणाली" बताया था. उनके अनुसार "इसका उद्देश्य लोगों के लिए यात्रा करने को आसान बनाना है."
लेकिन दुनिया के कई देश केवल चुनिंदा देशों में दिए जा रहे वैक्सीनों को मान्यता देने के यूके सरकार के फैसले पर गुस्सा और निराश हैं.
दुनिया के कई देश जाता रहे विरोध
भारत
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता न देने के निर्णय को ‘भेदभावपूर्ण नीति’ करार दिया. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने यूके को यह भी चेतावनी दी थी कि उसके नागरिकों को भी भारत की तरफ से इसी तरह के कोविड -19 प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय 76वें सत्र में भाग लेने के लिए अमेरिकी दौरे पर गए एस जयशंकर ने नव नियुक्त ब्रिटिश विदेश सचिव एलिजाबेथ ट्रस के साथ बैठक की थी. बैठक में उन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता न देने तथा भारतीय टूरिस्टों के लिए अनिवार्य 10 दिनों के क्वारंटाइन मुद्दे के "शीघ्र समाधान" की बात रखी थी.
भारत के व्यापक विरोध के बाद ब्रिटेन ने कोविशील्ड वैक्सीन को तो मान्यता दे दी लेकिन “वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट मुद्दे” का हवाला देते हुए कहा कि कोविशील्ड के दोनों डोज लेने वाले भारतीयों को अब भी क्वारंटीन होना होगा.
नाइजीरिया
नाइजीरिया में एक पब्लिक हेल्थ कंसल्टेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और डॉक्टर, Ifeanyi Nsofor ने अखबार “द गार्डियन" से कहा कि “यूके कोवैक्स वैक्सीन के सबसे बड़े फंडर्स में से एक है और अब यूके कह रहा है कि जो वैक्सीन उन्होंने हमारे यहां भेजे हैं, अब उनको ही मान्यता नहीं दी जाएगी. यह दुखद है, यह गलत है, यह भेदभावपूर्ण है."
“मेरे लिए यह कोविड -19 वैक्सीन असमानता की एक और लेयर है. हम इस तथ्य से निपट रहे हैं कि अमीर देश वैक्सीनों की जमाखोरी कर रहे हैं. यहां तक कि जब गरीब देश उन्हें खरीद सकते हैं तब भी उन्हें पर्याप्त संख्या में नहीं मिल सकता है."Ifeanyi Nsofor
लैटिन अमेरिका
एक नाराज लैटिन अमेरिकी डिप्लोमैट ने कहा कि “ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं है जिससे मैंने बात की हो और जो इस बारे में नाराज नहीं हो. लोग हैरान हैं"
"फाइजर, मॉडर्ना या एस्ट्राजेनेका वैक्सीन जिसे लैटिन अमेरिका में लगाया जा रहा है, मान्यता देने के लिए पर्याप्त नहीं है? मुझे नहीं पता कि यह कैसे स्वीकार्य हो सकता है. मैं बस इसके पीछे का तर्क नहीं सोच सकता ….मैं यह नहीं समझा सकता कि इसके पीछे क्या है - मुझे बस इतना पता है कि यह बहुत, बहुत, बहुत अनुचित है"
नए कोविड -19 यात्रा नियमों पर क्यों हो रहा विवाद ?
नए कोविड -19 यात्रा नियमों के तहत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया या यूरोपीयन यूनियन के किसी देश में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका, फाइजर/बायोएनटेक, मॉडर्ना या जेनसेन वैक्सीन के पूरे डोज लेने वाले यात्रियों को "पूरी तरह से वैक्सीनेटेड" माना जाएगा और उन्हें यूके में आने पर क्वारंटीन से छूट दी जाएगी.
लेकिन जिन लोगों को अफ्रीका या लैटिन अमेरिका के साथ-साथ भारत सहित अन्य देशों में उसी वैक्सीन का दोनों डोज लगा है, उन्हें “पूरी तरह से वैक्सीनेटेड” माना जाएगा और यूके में आने पर 10 दिनों के क्वारंटीन होना होगा.
प्रतिबंधों पर अंतरराष्ट्रीय नाराजगी के जवाब में यूके ने अब कुछ देशों के साथ उनके वैक्सीन को मान्यता देने का निर्णय लिया है. केन्या में यूके के हाईकमीशन ने केन्या के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया था कि यूके ने इस पूर्वी अफ्रीकी देश में लगने वाली वैक्सीन को मान्यता दी है.
इसके अलावा भारत की नाराजगी और चेतावनी के बाद कोविशील्ड वैक्सीन को तो मान्यता दे दी. फिलहाल सर्टिफिकेशन को लेकर बातचीत चल रही है.
इनपुट्स - “द गार्डियन"
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