व्हाइट हाउस के मुताबिक, "राष्ट्रपति बाइडेन ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ये स्पष्ट किया कि अगर रूस, यूक्रेन पर हमला करता है, तो अमेरिका और हमारे सहयोगियों से रूस को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. राष्ट्रपति बाडेन ने राष्ट्रपति पुतिन से इसके बजाय डी-एस्केलेशन और कूटनीति में शामिल होने के लिए कहा."
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 12 फरवरी को करीब एक घंटे तक फोन पर बात हुई.
बाइडेन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कॉल पेशेवर थी, लेकिन इससे कोई हल नहीं निकला. क्रेमलिन ने कहा कि पुतिन ने बाइडेन से कहा कि वॉशिंगटन, रूस की मुख्य चिंताओं को ध्यान में रखने में विफल रहा है, और उसे नाटो के विस्तार और यूक्रेन में आक्रामक बलों की तैनाती सहित प्रमुख तत्वों पर कोई 'पर्याप्त जवाब' नहीं मिला है.
बाइडेन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये साफ नहीं है कि पुतिन कूटनीति के लिए प्रतिबद्ध थे या नहीं, जबकि वो बिडेन के संपर्क में रहने के लिए सहमत थे.
वॉशिंगटन और उसके सहयोगियों ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि यूक्रेन के पास 100,000 सैनिकों वाली रूसी सेना किसी भी क्षण हमला कर सकती है. अमेरिका ने यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों को भी तुरंत देश छोड़ने को कहा था. इजरायल, पुर्तगाल और बेल्जियम ने भी अपने नागरिकों से तुरंत यूक्रेन छोड़ने को कहा है.
ब्रिटेन, जापान, लातविया, नॉर्वे और नीदरलैंड के बाद ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने भी अपने नागरिकों को जल्द से जल्द यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी है. ऑस्ट्रेलिया भी कीव में अपना दूतावास खाली कर रहा है.
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