अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 21 अप्रैल को ट्वीट किया कि वो अस्थायी तौर पर देश में इमिग्रेशन रोकने के लिए 'एग्जीक्यूटिव ऑर्डर' साइन करने वाले हैं.
ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए क्या स्थिति बनेगी और इस फैसले का क्या प्रभाव होगा, यहां समझिए.
इमिग्रेशन के सस्पेंशन का क्या मतलब है?
इस समय ये साफ नहीं है कि ट्रंप इस फैसले से क्या करना चाहते हैं या इससे क्या प्रोग्राम प्रभावित होंगे.
सामान्य तौर पर इमिग्रेशन सस्पेंड करने का मतलब है कि वीजा और परमिट पर अस्थायी रूप से रोक लग जाएगी. आदेश में क्या लिखा होगा, इससे उन लोगों पर प्रभाव पड़ेगा जो इमिग्रेशन की प्रक्रिया के बीच में हैं या इमिग्रेशन के बारे में सोच रहे हैं.
क्या सस्पेंशन शुरू हो गया है?
नहीं. ट्रंप ने अभी तक एग्जीक्यूटिव आदेश साइन नहीं किया है.
क्या इससे भारतीय प्रभावित होंगे?
इसका असल प्रभाव एग्जीक्यूटिव ऑर्डर सामने आने के बाद पता चलेगा. हालांकि, बैन उन भारतीयों को प्रभावित करेगा जो ग्रीन कार्ड के इंतजार में हैं.
अमेरिकन इमिग्रेशन पॉलिसी रिसर्च फर्म CATO.org के मुताबिक, करीब 5.5 लाख भारतीय 2018 में अपने ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे थे.
उसी साल 59,821 भारतीय नागरिकों को ग्रीन कार्ड मिला था.
पिछले कई सालों में 2018 तक अमेरिका में इमिग्रेंट्स में भारतीय, चाइनीज और मेक्सिकन लोग सबसे ज्यादा तादाद में हैं.
भारतीय किस तरह इमिग्रेट करते हैं?
अमेरिका में स्थायी निवास पाने के लिए भारतीय ये कुछ तरीके अपनाते हैं:
- EB-1: 'प्राथमिकता वर्कर्स' के लिए एम्प्लॉयमेंट आधारित स्थायी निवास.
- EB-2: एडवांस्ड डिग्री हासिल प्रोफेशन के सदस्यों के लिए स्थायी निवास
- EB-3: स्किल वर्कर्स और प्रोफेशनल के लिए स्थायी निवास
- EB-5: बड़ी संख्या में नौकरियां देने वाले और मुनाफे के लिए बनाए गए एंटरप्राइज के निवेशक के लिए स्थायी निवास
लेकिन H-1B वीजा का क्या?
H-1B वीजा भारतीय आईटी प्रोफेशनल के बीच सबसे ज्यादा पॉपुलर है. ये एक ‘नॉन-इमिग्रैंट’ वीजा है, जो एक सीमित समय (5 साल) के लिए वैध रहता है. ये वीजा अमेरिका में काम करने के लिए दिया जाता है. इसी के जरिए अमेरिकी कंपनी विदेशी लोगों को नौकरी पर रखती हैं. यूएस में काम करने के लिए भारतीयों का ये पसंदीदा तरीका है.
पहली नजर में ऐसा लग सकता है कि ट्रंप के ऐलान से इस वीजा पर असर नहीं होगा. लेकिन यूएस वीजा और इमिग्रेशन पर नजर रखने वाले पत्रकार मोहल घोष का कहना है:
ट्रंप ने अमेरिकी जॉब बचाने को लेकर भी ट्वीट किया है. अगर इमिग्रेशन सस्पेंड करने का मकसद जॉब बचाना है, तो H-1B भी प्रभावित होगा.
क्या अमेरिका में रह रहे भारतीयों को परेशान होना चाहिए?
इसके जवाब के लिए आदेश का इंतजार करना होगा. हालांकि, इस वीजा होल्डर के लिए एक और दिक्कत है.
विदेशी आईटी प्रोफेशनल ने ट्रंप प्रशासन से नौकरी से निकाले जाने के बाद देश में रहने की सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है. इन प्रोफेशनल ने इस सीमा को 60 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने की अपील की है.
H-1B वीजा पर काम करने वालों के लिए नौकरी से निकाले जाने के बाद 60 दिन का ग्रेस पीरियड होता है. इस दौरान उन्हें दूसरी नौकरी ढूंढनी होती है. ऐसा न करने पर देश छोड़ना होता है.
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