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US, सहयोगी देशों ने बढ़ते साइबर हमलों के लिए चीन को दोषी ठहराया

अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने नई एडवाइजरी जारी की है

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अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने 19 जुलाई को चीन (China) पर साइबरस्पेस में पैसे की उगाही की देखरेख करने का आरोप लगाया. अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने देश और उसके सहयोगी देशों की साइबरस्पेस संपत्तियों पर बड़े खतरे को लेकर नई एडवाइजरी जारी की है. एजेंसियों का कहना है कि इन संपत्तियों को चीन-समर्थित साइबर गतिविधियों और रैनसमवेयर हमलों (cyber attacks) से खतरा है.

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एक संगठित ऐलान में जॉइंट साइबरसिक्योरिटी एडवाइजरी (CSA) जारी की गई. इसमें कहा गया कि सरकारी साइबर एक्टर्स राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य, शैक्षिक और क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाकर संवेदनशील जानकारी, नई तकनीक, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चोरी करते हैं.

अमेरिका के अलावा EU, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, जापान और NATO ने साथ मिलकर चीन पर साइबर गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप लगाया है. ये पहली बार है जब NATO ने चीन की साइबर गतिविधियों की निंदा की है.
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जॉइंट एडवाइजरी खुलासा करती है कि कैसे कुछ साइबर एक्टर्स मैनेज्ड सर्विस प्रोवाइडर्स, सेमीकंडक्टर कंपनियां, डिफेंस इंडस्ट्रियल बेस (DIB), यूनिवर्सिटी और मेडिकल संस्थान जैसे सेक्टर को निशाना बनाते हैं. एडवाइजरी में कहा गया कि ये साइबर ऑपरेशन चीन के आर्थिक और सैन्य विकास कार्यक्रमों को समर्थन देते हैं.

Chinese State-Sponsored Cyber Operations: Observed TTPs नाम की इस एडवाइजरी में चीन-समर्थित साइबर एक्टर्स की 50 तरकीबों, तकनीक और प्रक्रिया का विवरण दिया गया है, जिसके इस्तेमाल से वो अमेरिका और सहयोगी देशों की संपत्ति पर हमला करते हैं.

ये जॉइंट एडवाइजरी G7 देशों के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने जानकारी से छेड़छाड़, गलत जानकारी और साइबर हमलों से लोकतंत्र और आजादी को खतरे पर जोर दिया था.

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