अमेरिकी आर्मी के जनरल और जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चेयरमैन मार्क माइली (Mark Miley) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन्स के लिए तालिबान (Taliban) के साथ समन्वय बैठाने को 'मुमकिन' बताया है. जनरल माइली ने कहा कि अमेरिका इस्लामिक स्टेट और अन्य संगठनों के खिलाफ ऑपरेशन्स में तालिबान का सहयोग कर सकता है.
अमेरिका की अफगानिस्तान से निकासी के बाद वाशिंगटन और तालिबान के रिश्ते कैसे होंगे, ये अहम मुद्दा अभी बाकी है. काबुल एयरपोर्ट से पिछले तीन हफ्तों में अमेरिकी नागरिक और अफगानों को निकालने में अमेरिका और तालिबान ने साथ मिलकर काम किया था.
काबुल एयरपोर्ट पर तालिबान के साथ सहयोग को लेकर जनरल माइली ने कहा, "युद्ध में आप मिशन और फोर्स के लिए खतरा कम करने के लिए कुछ भी करते हैं. जरूरी नहीं कि वही करें जो करना चाहते हों."
जनरल माइली का बयान पेंटागन की एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में आया. कॉन्फ्रेंस में रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन भी मौजूद थे. माइली ने तालिबान को 'क्रूर' बताया और कहा कि 'वो बदलते हैं या नहीं ये देखना बाकी है.'
तालिबान से कैसा होगा US का रिश्ता?
जनरल मार्क माइली पिछले साल से अब तक दो बार तालिबान नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. अमेरिकी सैनिकों पर हमले रोकने के लिए जनरल माइली ने तालिबान नेताओं के साथ आमने-सामने की बैठक की थी.
ऑस्टिन और माइली की प्रेस कॉन्फ्रेंस में अफगानिस्तान युद्ध में सेवाएं दे चुके अमेरिकी सैनिकों को ट्रिब्यूट दिया गया. ऑस्टिन और माइली ने वॉर वेटरन से अपनी सेवा की कीमत समझने की अपील की.
जनरल माइली ने कहा, "युद्ध मुश्किल होता है. बुरा होता है. क्रूर और माफ न किया जाने वाला भी होता है. हम सभी को दर्द और गुस्से का एहसास है. जब हम देखते हैं कि पिछले 20 सालों और 20 दिनों में क्या हुआ है तो वो दर्द देता है."
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए तालिबान के साथ रिश्तों पर फैसला करना सबसे बड़ा सिरदर्द है. बाइडेन और उनके विदेश सचिव एंटनी ब्लिंकेन का रवैया बाकी पश्चिमी देशों के लिए भी उदाहरण बनेगा.
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