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US चुनाव: रिजल्ट पलटने के लिए शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे ट्रंप

बाइडेन ने कहा- ट्रंप लोकतंत्र के बारे में दुनिया को गलत संदेश भेज रहे हैं

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अमेरिकी पॉलिटिक्स में आए दिन कुछ नया देखने को मिल रहा है. चुनाव में भले ही जो बाइडेन की जीत हुई है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप लगातार चुनावी नतीजों को चैलेंज कर रहे हैं. हार स्वीकार न करने वाले ट्रंप को अभी भी लग रहा है कि वो बाइडेन के मुंह से जीत छीन सकते हैं. आइए जानते हैं ट्रंप किन पैंतरों से चुनाव परिणाम अपने पक्ष में करने की सोच रहे हैं.

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  • बाइडेन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि "ट्रंप जो कुछ कर रहे हैं. वो अफसोसजनक है, ट्रंप लोकतंत्र के बारे में दुनिया को गलत संदेश भेज रहे हैं.’
  • ट्रंप का इलेक्शन कैंपेन बड़े पैमाने पर चुनावी धोखाधड़ी की बातें कर रहा है, लेकिन अपने दावों के पक्ष में अभी तक कोई सबूत पेश नहीं कर सका है.
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ट्रंप चुनाव नतीजे सर्टिफाई होने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इसमें उन्हें अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई है. मिशिगन और जॉर्जिया जैसे बैटलग्राउंड राज्यों ने चुनाव सर्टिफाई कर दिया है. मिशिगन में वेन काउंटी में चुनाव सर्टिफिकेशन रोकने के लिए ट्रंप कैंपेन ने केस दायर किया था. काउंटी के बोर्ड ऑफ कैनवासर्स में दो रिपब्लिकन और दो डेमोक्रेटिक सदस्य हैं. रिपब्लिकन सदस्यों ने पहले मना किया और फिर बाइडेन की जीत सर्टिफाई कर दी. लेकिन इसके बाद वो फिर पलट गए. हालांकि, अब उनके विरोध का कोई मतलब नहीं है.

जॉर्जिया ने भी चुनाव सर्टिफाई कर दिया है. राज्य में रिकाउंटिंग हुई थी और उसके बाद बाइडेन को ही विजेता पाया गया. जॉर्जिया के रिपब्लिकन सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ने चुनाव सर्टिफाई किया है और कहा कि 'आंकड़े झूठ नहीं बोलते.'

रॉ पॉलिटिकल पावर और ऑफिस पावर

टाइम (TIME) की खबर के मुताबिक, ट्रंप अपनी हार को देखते हुये ऑफिस की शक्तियों का प्रयोग करने लगे हैं. ट्रंप के ऑफिस से सेक्रेटरी ऑफ स्टेट अपनी ऑफिशियल डिप्लोमैटिक ट्रिप के दौरान वोटिंग फ्रॉड जैसी आधारहीन बातों का दावा करते हैं. कुछ दिन पहले ही ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मिशिगन के लॉ मेकर्स को मिलने आमंत्रित किया था. खबर में यह भी कहा गया है कि ट्रंप की टीम प्रमुख राज्यों में वोट सर्टिफिकेशन में देरी कराने की रणनीति पर भी काम कर रही है. वहीं ट्रंप बड़े स्तर पर फंड राइजिंग का काम भी तेजी से कर रहे हैं. फंड राइजिंग लिस्ट भेजते हुए डोनर्स से अपील की जा रही है कि कानूनी लड़ाई में सहायता करें, लेकिन इस फंड का बड़ा हिस्सा एक नई पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के पास जा रहा है. इस कमेटी का नाम सेव अमेरिका है. ट्रंप डोनेशन का इस्तेमाल उन राजनेताओं के कैंपेन में कर सकते हैं जो उनके पक्ष में हैं.

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  • वोटों के प्रमाणीकरण में देरी होने पर मामला राज्य की विधानसभाओं state legislatures में जाएगा, जहां ट्रंप के पक्ष वाले डेलीगेट्स पर भी ट्रंप की नजरे हैं.
  • ट्रंप कानूनी दांव-पेच से या रिपब्लिकन अधिकारियों की आपत्ति से जितना हो सके उतने राज्यों में वोट सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को रोकना चाहते हैं.
  • ट्रंप के प्लान में ये भी शामिल है कि जिन राज्यों के जहां रिपब्लिकन प्रतिनिधियों से बाइडेन समर्थक बहुत कम अंतर से जीते हैं, उन्हें इलेक्शन फ्रॉड के चलते पॉपुलर वोट के नतीजों को खारिज करने के लिए मनाना. इन सबके बाद प्रतिनिधियों को इस बात के लिए मनाना कि वे अपने राज्य के इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों को 14 दिसंबर को बाइडेन की बजाय ट्रंप को दे दें.
  • साल 1876 में कुछ ऐसा ही विवाद देखने को मिला था, तब फ्लोरिडा, लुईसियाना, साउथ कैरोलाइना के इलेक्टोरल कॉलेज में किसी को बहुमत नहीं मिला. इसके बाद मामला निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के पास गया था.
  • अगर ट्रंप का गणित बिगड़ता है तो 20 जनवरी को 12 बजे बाइडेन अमेरिका के नए राष्ट्रपति बन जाएंगे, तब चाहे ट्रंप हार मानें या ना मानें.
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दबाव की राजनीति

बीबीसी की खबर कहती है कि ट्रंप उन लोगों पर दबाव बना रहे हैं जो इस मामले में प्रभाव रखते हैं कि राज्य किसे राष्ट्रपति के पद के लिए चुने. ट्रंप चुनाव अधिकारियों या राज्य के प्रतिनिधियों पर दबाव बना रहे हैं जो कि अमेरिका चुनाव में पहले कभी नहीं दिखा. UTAH उटाह के सीनेटर मिट रोमनी ने ट्रंप पर आरोप लगाया है कि वह सरकारी अधिकारियों पर दबाव डालकर चुनाव परिणाम और लोगों की इच्छा को पलटने की कोशिश कर रहे हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये विवादस्पद है, लेकिन गैर-कानूनी नहीं.

  • ट्रंप ने डेट्रॉयट के नतीजों को सर्टिफाई करने से इनकार करने वाले रिपब्लिकन अधिकारियों को फोन किया था.
  • मिशिगन के रिपब्लिकन प्रतिनिधियों को भी व्हाइट हाउस आने का न्योता दिया गया था.

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