अमेरिका (America) ने इजरायल (Israel) पर गाजा में जंग के दौरान कई मौकों पर अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून तोड़ने का संदेह जाहिर किया है. इस मामले में अमेरिकी संसद में रिपोर्ट पेश की गई है. अमेरिकी सरकार का कहना है कि इस मामले में अभी कई चीजें पुख्ता नहीं हुई हैं और अभी जानकारी आनी बाकी है.
बीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं कि इजरायल ने पिछले बरस अमेरिका की ओर से भेजे गए हथियारों का इस्तेमाल कैसे किया.
इस बीच अमेरिका ने इजरायल से रफा में किसी भी तरह के व्यापक अभियान न चलाने की चेतावनी दी है. अमेरिकी मानता है कि अगर रफा में बड़े पैमाने इजरायली सेना ऑपरेशन चलाती है तो बड़ी संख्या में आम नागरिकों की जान जा सकती हैं.
इसके अलावा अमेरिका ने इजरायल को आगाह किया है कि अगर वह रफा में किसी भी तरह के ऑपरेशन को अंजाम देता है तो वह हथियारों की सप्लाई रोक देगा.
पीएम नेतन्याहू ने अमेरिका को लेकर क्या कहा?
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा, "अगर इस जंग में हमें अकेले खड़े होना पड़ेगा, तो हम अकेले खड़े होंगे. अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम अपनी पूरी ताकत झोंक कर लडेंगे. जाहिर है हमारे पास कहीं ज्यादा ताकत है."
इसके अलावा समाचार एजेंसी एसोसिएट प्रेस की जानकारी के मुताबिक, इजरायल के शीर्ष सैन्य प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने हथियारों की रोक (अमेरिका की ओर से) को लेकर कोई तवज्जो नहीं दी.
उन्होंने एक प्रेस कांन्फ्रेस में एक सवाल के जवाब में कहा, "हमारी सेना के पास उन मिशनों के लिए युद्ध सामग्री है जिनकी वह योजना बना रही है और रफा में मिशनों के लिए भी हमारे पास वह है जो हमें चाहिए."
रफा शहर पर ऑपरेशन करने को लेकर क्यों अड़ा है इजरायल?
रफा शहर गाजा के दक्षिणी हिस्से में बसा शहर है. यहां फिलहाल गाजा के 13 लाख फिलिस्तीनी नागरिकों ने शरण ले रखी है. इजरायल का कहना है कि रफा हमास का आखिरी गढ़ है और अगर सेना हमास को खत्म करना चाहती है और 7 अक्टूबर के हमले में पकड़े गए बंधकों को वापस लाना चाहती है तो उसे यहां जरूर जाना होगा.
अमेरिका और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस बात पर जोर दिया है कि अगर इजरायल की ओर से रफा में व्यापक ऑपरेशन होते हैं तो इसका खामियाजा हजारों बेगुनाह नागरिकों को भुगतना होगा.
संयुक्त राष्ट्र सभा सदस्य बनने के योग्य फिलिस्तीन?
10 मई की तारीख को संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को सदस्य बनाने के मसौदे पर वोटिंग हुई. इस प्रस्ताव पर 143 देशों ने समर्थन दिया है जबकि 9 देशों ने विरोध में वोट किया है. वहीं 25 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
जिन 9 देशों ने फिलिस्तीन की सदस्यता के खिलाफ वोट किया है उनमें इजरायल और अमेरिका शामिल हैं. अप्रैल महीने में फिलिस्तान की सदस्यता को लेकर इसी तरह के एक प्रस्ताव को लेकर अमेरिका ने वीटो कर दिया है. हालांकि 10 मई के प्रस्ताव पर अमेरिका ने भले ही विरोध में वोट किया है लेकिन उसने वीटो नहीं किया है. हालांकि अब तक फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं बना है.
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