जो बाइडेन (Joe Biden) अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बन गए हैं. बुधवार को अपने शपथ के बाद बाइडेन ने राष्ट्रपति के रूप में अपना पहला भाषण दिया. पोडियम पर भाषण देने पहुंचे बाइडेन ने लोकतंत्र मजबूत करने से लेकर नस्लभेद पर अपनी बात रखी.
राष्ट्रपति बनने के बाद दिए गए भाषण में जो बाइडेन ने कहा कि यह लोकतंत्र की विजय है. अमेरिका अपनी परीक्षा में पास हो गया है. आइए पढ़ते हैं अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के पूरा भाषण.
उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित लोगों का धन्यवाद दिया और कहा कि यह अमेरिका का दिन है, यह लोकतंत्र का दिन है. ये इतिहास बनने और उम्मीद का दिन है. उन्होंने कहा,
ये इतिहास बनाने का दिन है, उम्मीद बंधाने वाला दिन है. जब भी अमेरिका की परीक्षा हुई है, वो पास हुआ है. आज एक कैंडिनेट नहीं, एक मकसद की जीत हुई. लोकतंत्र की जीत हुई है. हमने फिर सीखा है कि लोकतंत्र कीमती चीज है, नाजुक चीज है. इस ग्राउंड पर कुछ दिन पहले हमारे लोकतंत्र की बुनियाद हिलाने की कोशिश की गई. लेकिन आज हम यहां खड़े हैं शांति से सत्ता परिवर्तन के लिए, ठीक उसी तरह जैसे 200 साल से अमेरिका में होता आया है, अमेरिका किसी एक से नहीं, कुछ से नहीं, सबसे बना है. हमें बहुत सी चीजें ठीक करनी हैं, बहुत से चीजें फिर से बहाल करनी हैं. अमेरिका ने ऐसी चुनौती का सामना शायद ही कभी किया है. कोरोना ने एक साल में इतनी जाने ले लीं, जितनी अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध में नहीं गंवाईं, लाखों बेरोजगार हो गए, हजारों बिजनेस बंद हो गए.
नस्लभेद पर क्या बोले बाइडेन
बाइडेन ने अपने पहले भाषण में अमेरिकी नस्लभेद पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा,
“400 सालों से नस्लीय इंसाफ की मांग हमें झकझोरती है. सबके लिए इंसाफ की मांग को इंतजार नहीं करना होगा. खुद हमारा ग्रह अपने अस्तित्व की गुहार लगा रहा है. राजनीति में कट्टरवाद बढ़ा है, श्वेत श्रेष्ठता, घरेलू आतंकवाद बढ़ा है. हमें इनका सामना करना होगा और हम इन्हें हराएंगे, लेकिन जीतने के लिए हमें एकता की जरूरत है. आज मैं पूरी आत्मा से बस यही चाहता हूं अमेरिका एक साथ आ जाए, एकजुट हो जाए, एकता के कई दुश्मन हैं- गुस्सा, विरोध, नफरत, उग्रवाद, अपराध, हिंसा, बीमारी, नाउम्मीदी, बेरोजगारी लेकिन एकता हो तो हम महान चीजें कर सकते हैं. हम गलत को सही कर सकते हैं, बच्चों को स्कूल भेज सकते हैं, नौकरियां पैदा कर सकते हैं, वायरस को हरा सकते हैं. हम मिडिल क्लास को फिर खड़ा कर सकते हैं. हम नस्लीय इंसाफ दे सकते हैं, हम अमेरिका को फिर से दुनिया का लीडर बना सकते हैं. मुझे मालूम है कि आजकल एकता की बात करना मूर्ख का ख्वाब माना जाता है, मुझे मालूम है कि हमें तोड़ने वाली ताकतें बड़ी हैं लेकिन मुझे ये भी मालूम हैं कि वो नई नहीं हैं, हमारा इतिहास समानता के अमेरिकी आदर्श और नस्लभेद, नफरत के बीच संघर्ष से भरा पड़ा है लेकिन विश्वयुद्ध, मंदी और 9/11 हर जगह आखिर जीत अच्छाई की हुई है. ऐसे हर लम्हे में हम एकजुट हुए हम फिर से वही कर सकते हैं. इतिहास, आस्था और तर्क हमें राह दिखाते हैं, एकता की राह. हम एक दूसरे को प्रतिरोधी न मानें, पड़ोसी मानें, एक दूसरो का सम्मान करें, एकजुट हो जाएं, चीख चिल्लाहट बंद करें, माहौल जरा हल्का करें, एकता के बिना शांती नहीं है, सिर्फ गुस्सा और कड़वाहट है, कोई तरक्की नहीं है, सिर्फ गुस्सा है थकावट है, राष्ट्र नहीं सिर्फ हंगामा है. ये चुनौती की घड़ी है और एकता का रास्ता ही सही है और इस समय हमें वाकई में युनाटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका बनना है अगर आप ये करते हैं तो मैं गारंटी देता हूं हम फेल नहीं होंगे. चलिए नई शुरुआत करते हैं, चलिए फिर से एक दूसरे को सुनते हैं, देखते हैं, इज्जत करते हैं. राजनीति को अपनी राह में सबकुछ जला देने वाली आग होने की जरूरत नहीं है. हर असहमति युद्ध की वजह हो, जरूरी नहीं. हमें उस कल्चर को नकारना है, जहां तथ्यों को तोड़ा मरोड़ा जाता है, कई बार पैदा किया जाता है.”
कमला हैरिस
अपने पहले भाषण में जो बाइडेन ने अपनी साथी और अमेरिका की पहली महिला उप राष्ट्रपति का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा,
कमला पहली महिला उपराष्ट्रपति बनी हैं, तो ये मत कहिए कि चीजें बदल नहीं सकतीं. जब कुछ लोगों ने इस पवित्र जगह को दूषित करना चाहा. उसके कुछ दिन बाद हम यहीं खड़े हैं. वो अपने मकसद में न कामयाब हुए, न कभी कामयाब होंगे. जिन लोगों ने मेरा समर्थन नहीं किया वो सुन लें, अगर आप भी असहमत हैं तो रहिए, यही लोकतंत्र है, यही अमेरिका है. असहमति और शांतिपूर्वक विरोध हमारी ताकत है, लेकिन असहमति से हमारे बीच बैर नहीं होनी चाहिए. जान लीजिए मैं पूरे अमेरिका का राष्ट्रपति हूं. वादा करता हूं कि जिन्होंने मुझे वोट नहीं किया मैं उनके लिए भी उतना ही लड़ूंगा, वो कौन सी चीजें हैं जिसे हम अमेरिकी चाहते हैं - अवसर, सुरक्षा, आजादी, सम्मान, गर्व और हां सच. हाल के हफ्तों और महीनों ने हमें सिखाया कि झूठ और सच्चाई में क्या फर्क है झूठ जो सत्ता और मुनाफे के लिए बोले गए और हम सब की जिम्मेदारी है, खासकर नेताओं की जिन्होंने संविधान की रक्षा की शपथ ली है कि वो सच का साथ दें और झूठ को हराएं.
बेरोजगारी पर क्या बोले पाइडेन
बाइडेन ने कहा,
मुझे मालूम है कि बहुत से अमेरिकी भविष्य को लेकर चिंतित हैं, वो नौकरी चाहते हैं. मुझे मालूम है कि वो मेरे पिता की तरह रातों को सोचते हैं कि क्या उनका हेल्थकेयर बचेगा, लोन चुका पाएंगे, अपने परिवार की देखभाल कर पाएंगे.लेकिन इसके बाद क्या, मैं वादा करता हूं ये सब मिलेगा लेकिन जवाब स्वार्थ में नहीं है, बंट जाने में नहीं है, खुद से अलग दिखने वाले या जो आपकी तरह पूजा नहीं करते, उन लोगों पर अविश्वास में नहीं है. हमें इस असभ्य युद्ध को खत्म करना ही होगा- रेड बनाम ब्लू, ग्रामीण बनाम शहरी, परंपरावादी बनाम उदारवादी. हम ऐसा कर सकते हैं अगर में पत्थर दिल के बजाय दरियादिल बनें, अगर हम थोड़े सहिष्णु हो जाएं, थोड़े विनम्र हो जाएं. जैसा कि मेरी मां कहती थीं, खुद को सामने वाले की जगह रखकर सोचिए किस्मत कभी भी पलट सकती है. कभी आप किसी की मदद करते हैं, कभी आपको मदद की जरूरत पड़ती है यही जीने का तरीका है, ऐसा करेंगे तो देश मजबूत और समृद्ध होगा.
“कोरोना से लड़ना होगा”
जो बाइडेन ने अपने भाषण के आखिर में कहा,
हम शायद वायरस के सबसे खतरनाक समय में प्रवेश करने जा रहे हैं आइए राजनीति को परे करके एक देश के रूप में इस महामारी का सामना करें. दुनिया हमें देख रही है, उनके लिए मेरा संदेश- अमेरिका हर परीक्षा से कामयाब होकर बाहर निकला है. हम अपने गठबंधनों को दुरुस्त करेंगे और दुनिया से तालमेल बिठाएंगे, बीते कल की नहीं बल्कि आज और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए. हम नेतृत्व अपनी ताकत के बूते नहीं करेंगे बल्कि उदाहरण बनकर करेंगे. हम शांति, तरक्की और सुरक्षा के लिए मजबूत पार्टनर बनेंगे, सच और हमारे लोकतंत्र पर हमला हो रहा है. वायरस का प्रकोप है, बढ़ती गैरबराबरी है, नस्लवाद है, जलवायु संकट है, दुनिया में अमेरिका की स्थिति... इनमें से भी हमें चुनौती देने के लिए काफी है, लेकिन इस वक्त ये सारी चुनौतियां एक साथ आई हैं आज हम इनका सामना कैसे करते हैं, इसी पर हमारा मूल्याकंन होगा. मुझे भरोसा है हम इससे बाहर निकल आएंगे, और हम ऐसा करेंगे तो हम अमेरिका की स्टोरी का नया चैप्टर लिखेंगे. अगर हम ये कर पाए तो आने वाली पीढ़ियां कहेंगे उन्होंने अपना बेस्ट दिया. अंत में मैं फिर वादा करता हूं मैं संविधान, लोकतंत्र, अमेरिका की रक्षा करूंगा, मैं जो भी करूंगा आपके हित में करूंगा.हमलोग मिलकर अमेरिका की ऐसी कहानी लिखेंगे जहां उम्मीद हो-डर नहीं, एकता हो-बंटवारा नहीं, रोशनी हो-अंधकार नहीं, मर्यादा और शालीनता हो, प्यार हो, महानता हो, अच्छाई हो. आइए हम अपनी आजादी की अपने देश में रक्षा करें और दुनिया को राह दिखाएं. मे गॉड ब्लेस अमेरिका एंड मे गॉड प्रोटेक्ट अवर ट्रूप्स. थैंक यू अमेरिका!
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)