संयुक्त राष्ट्र (UN) में अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा ने अल्पसंख्यकों की धार्मिक आजादी को दबाने के मुद्दे पर पाकिस्तान और चीन को फटकार लगाई है. धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए न्यूयॉर्क में 22 अगस्त को हुई UN की बैठक के दौरान इन दोनों देशों में धार्मिक आजादी पर बढ़ रही पाबंदियों को लेकर चिंता जताई गई. इस बैठक के दौरान चीन में उइगरों और पाकिस्तान में क्रिश्चियनों, हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव का जिक्र किया गया.
ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान के प्रेसिडेंट नवीद वाल्टर ने UN को अल्पसंख्यकों के खिलाफ चीन और पाकिस्तान के पक्षपाती रवैए के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि चीन जैसे देशों में अल्पसंख्यकों की धार्मिक आजादी पर पाबंदी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को हथियार बनाया जाता है.
बता दें कि अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के लिए चीन और पाकिस्तान की लंबे समय से निंदा होती रही है. चीन पर उइगरों को हिरासत केंद्र भेजकर उनका उत्पीड़न करने और उनकी धार्मिक गतिविधियों में दखल देने के आरोप लगते रहे हैं. पाकिस्तान से भी धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, उनके जबरन धर्म परिवर्तन और कई तरह के उत्पीड़न की खबरें आती रहती हैं.
UN की बैठक में धार्मिक आजादी के मुद्दे पर अमेरिका ने कहा, ''हम चीन में धार्मिक आजादी पर पाबंदी को लेकर काफी चिंतित हैं. हम चीनी सरकार से अनुरोध करते हैं कि वो देश में हर किसी के मानवाधिकारों और बुनियादी आजादी का सम्मान करे.''
धार्मिक आजादी पर ब्रिटेन पीएम के विशेष दूत लॉर्ड अहमद ने कहा, ''ब्रिटेन दुनियाभर में धार्मिक समुदायों के अधिकारों की आवाज उठाता रहा है.'' उन्होंने कहा कि इन समुदायों में चीन के उइगर और पाकिस्तान के क्रिश्चियन और अहमदी शामिल रहे हैं.
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