उत्तराखंड (Uttarakhand) के उत्तरकाशी (Uttarkashi Tunnel Rescue) की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया है. बाहर आते ही कई श्रमिकों का सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जोरदार स्वागत किया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भारतीय लोगों ने राहत की सांस ली और सरकार को धन्यवाद दिया. वहीं, 400 से अधिक घंटे के बाद इस रेस्क्यू पर विदेशी मीडिया की खास नजर रही. चलिए जानते हैं विदेशी मीडिया ने क्या कहा?
द न्यूयॉर्क टाइम्स
न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा-"2 सप्ताह से अधिक समय के बाद, भारतीय सुरंग में फंसे श्रमिकों को रेस्क्यू किया गया. बार-बार मैकेनिकल विफलताओं के बाद, मलबे के अंतिम हिस्से को साफ करने के लिए प्रशिक्षित खनिकों को मैनियुली काम करना पड़ा."
द गार्जियन
द गार्जियन ने उत्तराखंड के सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने की खबर को प्रमुखता से जगह दी है. न्यूज बेवसाइट ने लिखा-
हिमालय के पहाड़ों में एक ध्वस्त सुरंग में 17 दिनों तक फंसे रहने के बाद सभी 41 भारतीय मजदूरों को बचा लिया गया है. सिल्कयारा-बारकोट सुरंग के प्रवेश द्वार से स्ट्रेचर पर निकले मजदूरों का नाटकीय दृश्य 400 घंटे से अधिक समय के बाद आया, इस बचाव अभियान में कई बाधाएं, देरी और जल्दी ही बचा लेने का झूठा वादा शामिल था.
बेवसाइट ने आगे लिखा-रैट होल माइनिंग को समझाया. गार्जियन ने लिखा...
"बहुत छोटी सुरंगों के माध्यम से कोयला निकालने की एक विधि है रैट होल माइनिंग. इसके उच्च जोखिम के कारण भारत में गैरकानूनी है, लेकिन कुछ राज्यों में यह प्रथा आम है."
बचाए गए लोगों की हीरो की तरह स्वागत-डॉन
पाकिस्तानी न्यूज बेवसाइट डॉन ने लिखा-मंगलवार को जब बचावकर्मियों ने हिमालयी सड़क सुरंग से सभी 41 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला तो भारतीय कामगारों का जोरदार जयकारों और फूलों की मालाओं से स्वागत किया गया.
विशेष रूप से स्ट्रेचर पर 57 मीटर (187 फीट) स्टील पाइप के माध्यम से खींचे जाने के बाद बचाए गए लोगों का मुस्कुराहट के साथ हीरो के रूप में स्वागत किया गया, जहां राज्य के अधिकारियों ने उनके परिवारों को गले लगाने से पहले उनका स्वागत किया.
बेवसाइट ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय सुरंग में फंसे 41 लोगों को बचाने के लिए रैट माइनर्स ने सुरंग खोदी.
रेस्क्यू में इतना लंबा समय क्यों लगा?- वाशिंगटन पोस्ट
वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा-बचाव अभियान केवल कुछ दिनों तक चलने की उम्मीद थी. इसके बजाय, उन 41 निर्माण श्रमिकों तक पहुंचने में 17 दिन लग गए, जो इस महीने की शुरुआत में उत्तरी भारत में भूस्खलन के कारण एक पहाड़ी सुरंग ढह जाने से फंस गए थे.
कष्टदायी इंतजार आखिरकार मंगलवार रात को खत्म हुआ और सभी को जिंदा बाहर निकाला गया. लेकिन खुशी और राहत से परे, यह सवाल बना हुआ है कि जो भारत के हालिया इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और जटिल बचाव अभियानों में से एक बन गया, अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञों द्वारा सहायता प्राप्त और कई बचाव एजेंसियों के नेतृत्व में इतना लंबा समय क्यों लगा?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)