विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार, 7 अक्टूबर को आरटीएस, एस/एएस01 मलेरिया वैक्सीन को मंजुरी दी, जो मच्छर जनित बीमारी के खिलाफ पहला टीका है.
समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि मलेरिया एक वर्ष में 4,00,000 से अधिक लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है, जिसमें ज्यादातर अफ्रीकी बच्चे शामिल हैं.
यह निर्णय एक पायलट प्रोग्राम की समीक्षा के बाद आया है जिसे 2019 से घाना, केन्या और मलावी में चलाया गया था. इसमें वैक्सीन की दो मिलियन से अधिक खुराक दी गई थी.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने उन देशों के सबूतों की समीक्षा करने के बाद कहा कि डब्ल्यूएचओ "दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन के व्यापक उपयोग की सिफारिश कर रहा था".
उप-सहारा अफ्रीका देशों को प्राथमिकता
डब्ल्यूएचओ ने सिफारिश की है कि उप-सहारा अफ्रीका में और मध्यम से उच्च मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को दो साल की उम्र तक चार खुराक मिलनी चाहिए.
एजेंसी ने कहा कि हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत मलेरिया से होती है.
इसके अलावा, 2019 डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली मौतों में आधे से अधिक छह उप-सहारा अफ्रीकी देशों में हैं और लगभग एक चौथाई अकेले नाइजीरिया में हैं.
बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द के साथ, मलेरिया के लक्षणों में ठंड लगना, बुखार और पसीना आना शामिल हैं.
गंभीर मलेरिया को 30 प्रतिशत तक कम करता है टीका
एएफपी ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के टीकाकरण, टीके और जैविक विभाग के निदेशक केट ओ'ब्रायन ने कहा कि वैक्सीन पायलट के नतीजों से पता चला है कि यह "गंभीर मलेरिया को 30 प्रतिशत तक कम कर देता है."
उन्होंने कहा कि वैक्सीन "डिलीवर करने योग्य" है और "उन देशों में दो तिहाई बच्चे जो बेड नेट के नीचे नहीं सोते हैं, वे अब वैक्सीन से लाभान्वित हो रहे हैं"
यह पहली बार था जब डब्ल्यूएचओ ने मानव परजीवी के खिलाफ टीके के व्यापक उपयोग की सिफारिश की थी. इस बीच, डब्ल्यूएचओ ग्लोबल मलेरिया प्रोग्राम के निदेशक पेड्रो अलोंसो के हवाले से कहा गया, कि "वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक बड़ी सफलता है."
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