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इमैनुएल मैक्रों की लव स्टोरी और फ्रांस के राष्ट्रपति बनने तक की अनोखी कहानी

15 साल की उम्र में जिस टीचर से मैक्रों ने प्यार किया उसी से बड़े होकर शादी की

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फ्रांस (France) के राष्ट्रपति चुनाव में इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) को बड़ी जीत हासिल हुई है. उन्हें 58% वोट मिले हैं. 2002 के बाद कोई राष्ट्रपति दूसरी बार फ्रांस का राष्ट्रपति बनने में सफल नहीं हुआ लेकिन 44 साल के मैक्रों एक बार फिर विजयी बने. इससे पहले 2017 में फ्रांस का राष्ट्रपति बन कर मैक्रों ने सबको चौंका दिया था. तब उनकी उम्र 39 साल की थी.

आइए जानते हैं इमैनुएल मैक्रों के बारे में, उनकी शिक्षा, राजनीतिक जीवन, विचार और दिलचस्प लव स्टोरी.

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21 दिसंबर, 1977 पिकार्डी शहर में मैक्रों ने जन्म लिया था. उनके पिता न्यूरोलॉजी के क्षेत्र में हैं और मां भी डॉक्टर हैं. मैक्रों नेशनल स्कूल ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के छात्र रहे हैं ये संस्थान अपने आप में खास है वो इसलिए क्योंकि यहां से पढ़े हुए कई छात्र सिविल सर्विसेस में हैं और मैक्रों समेत तीन राष्ट्रपति भी इसी संस्थान से पढ़ कर निकले जिसमें से एक पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद हैं. मास्टर्स की पढ़ाई मैक्रों ने फिलॉसफी में की है.

किसी फिल्म से कम नहीं मैक्रों की प्रेम कहानी

मैक्रों की प्रेम कहानी बहुत कम उम्र से ही शुरू हो गई थी. वह महज 15 साल के थे जब उनका दिल अपनी ड्रामा टीचर ब्रिजिट पर आ गया था. टीचर ब्रिजिट तब 39 साल की थी. यही नहीं वो शादीशुदा थीं और उनके तीन बच्चे भी थे. मैक्रों का प्यार केवल स्कूल तक सीमित नहीं रहा. उनके माता-पिता इसके खिलाफ थे और मैक्रों को उन्होंने पैरिस भेज दिया. मैक्रों की जगह तो बदल गई लेकिन ब्रिजिट के लिए प्यार नहीं बदला था. मैक्रों ने ठान ली थी कि शादी करेंगे तो ब्रजिट से ही करेंगे.

मैक्रों ने अपने दिल की बात ब्रिजिट को भी बताई लेकिन छोटी उम्र के लड़के के साथ शादी करना ब्रिजिट के लिए भी आसान नहीं रहा जिनके तीन बच्चे हैं. लेकिन मैक्रों ने हार नहीं मानी और ब्रेजिट को शादी के लिए मना लिया. आखिरकार मैक्रों ने साल 2007 में ब्रेजिट से शादी रचाई.

15 साल की उम्र में जिस टीचर से मैक्रों ने प्यार किया उसी से बड़े होकर शादी की

इमैन्युएल मैक्रों की बाई ओर खड़ी उनकी पत्नि ब्रिजिट

फोटो- ट्विटर/@EmmanuelMacron

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फाइनेंस के क्षेत्र से लेकर इंवेस्टमेंट बैंकर फिर बन गए राष्ट्रपति 

राष्ट्रपति बनने से पहले इमैनुएल मैक्रों कोई प्रसिद्ध नेता नहीं थे. यही नहीं उनका कोई पॉलिटल बैकग्राउंड भी नहीं था. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मिनिस्टरी ऑफ इकॉनमी में फाइनेंशियल इंस्पेक्टर के तौर पर काम किया यहां से निकल कर वे इंवेस्टमेंट बैंकर बन गए. उस बैंक का नाम रॉथ्स्चाइल्ड ऐंड साइ बैंक है.

वैसे तो मैक्रों न दक्षिणपंथी विचारधारा के थे ना ही वामपंथी थे. एक समय में उन्होंने तीन साल तक सोशलिस्ट पार्टी के साथ काम किया. इसके बाद मैक्रों फ्रांस्वा ओलांद सरकार में शामिल हुए हालांकि किसी नेता के तौर पर नहीं लेकिन वो उनके निजी कर्मचारी के तौर पर काम करते थे. और एक दिन मैक्रों को इकॉनमी, इंडस्ट्री ऐंड डिजिटल अफेयर्स का मंत्री बना दिया गया.

साल 2016 में मैक्रों ने खुद की राजनीतिक पार्टी का गठन किया. एन मार्शे के नाम से. ये पार्टी उन्होंने तब गठित की थी जब सालभर बाद 2017 में राष्ट्रपति के चुनाव होने ही वाले थे. लेकिन मैक्रों का जादू चला और वे राष्ट्रपति बने. उनकी ये जीत बहुत खास थी क्योंकि मैक्रों ने 66.1% वोट अपने नाम किए थे जबकि उनकी विरोधी मरीन ले पेन को 33.9% हिस्सा ही मिला था.
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किस विचारधारा के हैं इमैन्युएल मैक्रों?

राजनीति में विचारधार का होना अहम माना जाता है. साल 2017 में इमैनुएल मैक्रों की जीत में एक बात और खास थी. उस समय दुनियाभर में दक्षिणपंथी नेताओं की जीत हो रही थी लेकिन फ्रांस ने एक ऐसे नेता को चुना जिसे आप न दक्षिणपंथी और ना ही वामपंथी बुला सकते हैं. हालांकि कई एक्सपर्ट्स अलग-अलग दावा भी करते हैं.

मैक्रों को अपने आप को कट्टर सेंट्रिस्ट मानते हैं. वो कह चुके हैं कि लेफ्ट और राइट दोनों ही बेकार हैं. इनके पास आज की दुनिया को देने लायक कुछ नहीं रह गया है, ये अब चलन में नहीं है.

2017 के चुनाव से पहले मैक्रों बात करते थे कि कैसे पब्लिक सेक्टर का खर्च कम किया जाए, कैसे पांच साल के अंदर 1,20,000 नौकरियों को खत्म किया जाए. लेकिन दूसरी ओर वे पर्यावरण, हेल्थ और कृषि क्षेत्रों में बड़े स्तर पर निवेश की भी बात करते हैं. फ्रांस के मूल्यों के भी पक्षधर हैं.

2022 के चुनावी नतीजों में मैक्रों और उनकी विरोधी मरीन ले पेन के बीच जीत का अंतर 2017 के चुनावी नतीजों के मुकाबले बहुत बड़ा नहीं है. एक्सपर्ट का मानना है जनता मरीन को सत्ता से दूर रखना चाहती है इसलिए उन्होंने मैक्रों को चुना. मरीन पुतिन की समर्थक और यूरोपियन यूनियन के खिलाफ मानी जाती हैं. अब मैक्रों के इस कार्यकाल में उनके फैसलों पर नजर बनाए रखना दिलचस्प होगा.

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