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World Consumer Rights Day: क्या हैं उपभोक्ता के अधिकार? ऑनलाइन ठगी होने पर क्या करें?

हर साल "विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस" 15 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाता है.

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हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (World Consumer Rights Day) के रूप में मनाया जाता है. यह खास दिन उपभोक्ता के अधिकारों को उजागार करने के लिए मनाया जाता है. डिजिटल युग में ई- कॉमर्स का दायरा काफी बड़ा हो जाने के बाद उपभोक्ताओं को जागरूक करने की आवश्यकता अधिक बढ़ गई है क्योंकि इस क्षेत्र में अक्सर ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहां उपभोक्ता ऑनलाइन ठगी, फ्रॉड, धोखाधड़ी आदि का शिकार हो रहे हैं.

तो आइए जानते हैं कि इस प्रकार की समस्या आने पर क्या करें. इसके लिए उपभोक्ताओं के पास क्या- क्या अधिकार हैं और किस प्रकार के प्रावधान हैं?

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भारतीय उपभोक्ताओं की ई-कॉमर्स के क्षेत्र में वृद्धि

डिजिटल युग में ई-कॉमर्स का दायरा काफी बड़ा हो चुका है और वेब के जरिए बिक्री के मामले में पिछले कुछ साल में उपभोक्ताओं की संख्याओं में काफी उछाल आया है. खासकर वैसे लोगों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है, जो इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ जानकारी तलाशने और मनोरंजन के लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि वस्तुएं खरीदने और सेवाएं प्राप्त करने के लिए कर रहे हैं.

उपभोक्ताओं के अधिकार क्या- क्या हैं?

एक उपभोक्ता का अधिकार है कि वह जिस वस्तु का उपयोग कर रहा है, उसकी गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, कीमत और मानक के बारे में पर्याप्त जानकारी हो और एक उपभोक्ता के रूप में वे किसी भी कदाचार से सुरक्षित हों.

उपभोक्ताओं के मुख्य अधिकार-

सुरक्षा का अधिकार: उपभोक्ता को लंबे समय तक अपने हितों की सुरक्षा के लिए बाजार में उपलब्ध उत्पाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का अधिकार है.

सूचित होने का अधिकार: उपभोक्ता उत्पादों के संबंध में सभी आवश्यक विवरण प्राप्त कर खुद को कदाचार से बचा सकता है.

चयन करने का अधिकार: बाजार में उचित मूल्य पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के उत्पादों का चयन करना उपभोक्ता का अधिकार है.

सुनवाई का अधिकार: उपभोक्ता के हित पर उचित ध्यान दिया जाएगा और उन्हें ऐसा करने के लिए उचित मंच प्रदान किया जाएगा.

समस्या के समाधान का अधिकार: उपभोक्ता को किसी भी प्रकार के शोषण के मामले में उचित समाधान की मांग करने का अधिकार है.

उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार: अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना उपभोक्ता की भी जिम्मेदारी है और इसलिए उपभोक्ताओं को "उपभोक्ता शिक्षा के अधिकार" का अधिकार है.

हालांकि, एक तरफ ई- कॉमर्स का दायरा बड़ा हुआ है लेकिन दूसरी तरफ इस दौरान लोगों के ऑनलाइन ठगी के मामले सामने आते रहे हैं. जहां या तो उपभोक्ता ठगा जाता है या फिर उसका अकाउंट हैक कर लिया जाता है.
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ऑनलाइन ठगी के बाद क्या करें ?

यदि कोई उपभोक्ता ई-कॉमर्स के दौरान ऑनलाइन ठगी का शिकार हो जाता है तो वह वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 और आईटी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत शिकायत दर्ज कर सकता है.

भारत में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA) पेश किया गया था. सीपीए का उद्देश्य ग्राहक विवादों को हल करना और इन विवादों के निपटारे के लिए उपभोक्ता परिषदों और अन्य प्राधिकरणों की स्थापना में मदद करना था.

इस आधार पर उपभोक्ताओं के शोषण को रोकने और उनकी शिकायतों के समाधान के लिए सरकार द्वारा 1986 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत जिला स्तर पर उपभोक्ता अदालतों की स्थापना की गई. जहां उपभोक्ताओं के साथ किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या उससे संबंधित शिकायत कर सकता हैं.

ऑनलाइन शिकायत ऐसे दर्ज करा सकते हैं.

  • आप घर बैठे ही ई- कॉमर्स से जुड़ी किसी भी धोखाधड़ी की ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके लिए आपको सरकार के शिकायत समाधान पोर्टल INGRAM (इंटरग्रेटेड शिकायत निवारण तंत्र) पर शिकायत दर्ज करना होगा.

  • राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) के वेबसाइट या ऐप पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

  • राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) के अनुसार, धोखाधड़ी वाले लेनदेन के मामले में उपभोक्ता को एफआईआर भी दर्ज करानी चाहिए या कंपनी का पता नहीं चलने पर पुलिस या साइबर सेल में शिकायत करनी चाहिए.

  • इसके अलावा NCH में शिकायत दर्ज करने के लिए आप 1800-11-4000 या 14404 पर कॉल कर सकते हैं. नेशनल हॉलिडे को छोड़कर सभी दिन सुबह 9.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक आप शिकायत के लिए कॉल कर सकते हैं.या फिर 8130009809 नंबर पर एसएमएस भी भेज सकते हैं.

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