दुनिया का सबसे उम्रदराज सफेद गैंडा अब नहीं रहा. सूडान नाम का 45 साल का यह सफेद गैंडा केन्या के ओल पेजेटा कंजर्वेसी में रखा गया था. सोमवार को बढ़ती उम्र से जुड़ी बीमारियों से इस नॉर्दर्न व्हाइट प्रजाति के इस गैंडे की मौत हो गई. उसकी मौत के बाद अब इस प्रजाति की दो मादाएं बची हैं. सूडान की बेटी और उसकी नातिन.
सूडान पिछले कुछ वक्त से बीमार था और उम्र संबंधी उसकी दिक्कतें बढ़ती जा रही थी. वह कई तरह के संक्रमण का शिकार था. उसकी तकलीफों को देखते हुए उसे दया मृत्यु दी गई. नॉर्दर्न व्हाइट प्रजाति के गैंडे दुनिया में काफी कम हैं. उम्मीद की जा रही है कि ओल पेजेटा कंजर्वेसी, केन्या के अधिकारियों ने सूडान के कुछ जेनेटिक नमूने अपने पास संरक्षित रखे होंगे ताकि आईवीएफ तकनीक से इस प्रजाति के गैंडे पैदा किए जा सकें.
पिछले साल सूडान उस वक्त सुर्खियों में आया था जब टिंडर डेटिंग एप पर उसे ‘मोस्ट एलिजिबल बैचलर’ करार दिया गया था. व्हाइट गैंडे की प्रजाति बचाने के लिए फंड जुटाने के अभियान के तहत सूडान को यह खिताब दिया गया था.
दुनिया भर में गैंडे की पांच प्रजातियां हैं और यह हाथी के बाद जमीन पर पाए जाने वाले दूसरा बड़ा स्तनधारी जीव है. सफेद गैंड की दो प्रजातियां हैं- साउदर्न व्हाइट राइनो और नॉर्दर्न व्हाइट राइनो. सॉउदर्न व्हाइट राइनो प्रजाति के 20000 गैंडे दुनिया भर में होंगे. जबकि नॉर्दर्न व्हाइट राइनो प्रजाति के सफेद गैंडों की संख्या पांच के करीब बताई जाती है. इनमें सबसे उम्र दराज सूडान की मौत हो गई. 2014 में एक और नर गैंडे की मौत हो गई थी.
4 लाख रुपये में 100 ग्राम गैंडे के सींग
ज्यादातर अफ्रीकी देशों में पाए जाने वाले गैंडे अंधाधुंध शिकार की वजह से खत्म होते जा रहे हैं. चीन और वियतनाम में गैंडों के सींग भारी कीमत पर बिकते हैं. चीन और वियतनाम में इसके सींग का इस्तेमाल कैंसर और यौन बीमारियों के इलाज में किया जाता है.इसके अलावा यमन में छुरों और कटार की मूठ इससे बनाई जाती है. 1970 और 1980 के दशकों में अफ्रीकी देशों में इनका काफी शिकार हुआ.
भारत में भी गैंडों पर संकट
भारत के असम में एक साल वाले गैंडे पाए जाते हैं. बड़े पैमाने पर इनका शिकार होने की वजह से यहां रेंजरों को गैंडों के शिकार के शक में किसी को भी गोली मारने का आदेश दे दिया गया था. यह मामला काफी विवादास्पद भी हो गया था. पहले यहां गिने-चुने एक सींग वाले गैंडे थे लेकिन अब संरक्षण के कड़े नियमों की वजह से इनकी तादाद लगभग 2500 हो गई है.
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